'तूफानों' से टकराकर ताकतवर हो गई हवा, जानें-इस बार हीट आइलैंड इफेक्ट का कैसा रहेगा प्रभाव
लॉकडाउन से ऑक्सीजन और चक्रवात के कारण इस बार सर्दियों में हीट आइलैंड इफेक्ट से बढ़ने वाला प्रदूषण बेहद कम होगा।
कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। तूफानों से टकराकर हवा और ताकतवर हो गई है। इतनी ताकतवर कि सर्दियों में भी डटकर मुकाबला कर ले और प्रदूषण को बढऩे न दे। हवा की ताकत इस बार मानसून भी बढ़ाएगा। मौसम विज्ञानियों ने लगातार बारिश की संभावना जताई है यानी बारिश हवा के प्रदूषण को धरती पर ले आएगी। बाहरी कारण न हुए तो इस बार सर्दियों में हीट आइलैंड इफेक्ट से बढ़ने वाले प्रदूषण की मात्रा बेहद कम होगी।
मई-जून में बढ़ जाती थी मात्रा
वायुमंडल में हानिकारक गैसें, धूल, वाहन व फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं काफी मात्रा में रहता है। बीते वर्षों में मई-जून में इनकी मात्रा बढ़ जाती थी। इस बार लॉकडाउन के दौरान व्यावसायिक व औद्योगिक गतिविधियां बंद रहीं और वाहन भी नहीं चले। इन सबसे कार्बन उत्सर्जन कम हुआ तो हवा को 'ऑक्सीजन' मिली। वहीं, मई में बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवात 'अंफन' और अरब सागर से उठे तूफान 'निसर्ग' के सक्रिय होने से तेज गति की हवाएं वातावरण से प्रदूषित कण, गैस और भारी तत्व उड़ा ले गईं।
शुद्धता को दर्शाने लगा वायु गुणवत्ता सूचकांक
वायु गुणवत्ता सूचकांक भी इस शुद्धता को दर्शाने लगा। वहीं, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक एसएन पांडेय का कहना है कि इस वर्ष गर्मियों में सामान्य से तेज हवा चलती रही। तापमान में उतार-चढ़ाव रहने से बारिश के आसार बने रहे। मानसून में भी लगातार बारिश की संभावना है। यह सब कारक वातावरण को साफ रखेंगे।
तेज हैं प्राकृतिक क्रियाएं
हरकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियङ्क्षरग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पृथ्वीपति सचान कहते हैं, इस समय बीते 20 वर्षों की सबसे स्वस्थ हवा है और प्राकृतिक क्रियाएं तेजी से सक्रिय हैं। पेड़-पौधे अधिक ऑक्सीजन छोड़ रहे हैं, वातावरण में प्रदूषित कण काफी कम हैं। सर्दियों में इसका लाभ मिलेगा और हीट आइलैंड इफेक्ट के कारण बढऩे वाला प्रदूषण काफी कम होगा। यह संदेश है कि हम सबक लें और पर्यावरण प्रबंधन करें तभी भविष्य सुरक्षित होगा।
जानिए, हीट आइलैंड इफेक्ट
आइआइटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. मुकेश शर्मा कहते हैं कि शहरी क्षेत्र में ऊंची-ऊंची बिल्डिंग, वाहन, व्यावसायिक व औद्योगिक गतिविधियां अधिक होने से तापमान दो-तीन डिग्री अधिक रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहर में गर्मी अधिक देर तक रहती है। हवा गर्म होकर ऊपर बढ़ जाती है। इससे वायुदाब कम होता है और आसपास की हवा आकर फैल जाती है। यही हीट आइलैंड इफेक्ट है। इनमें धूल व प्रदूषित कण भी होते हैं। इसीलिए सर्दियों में दिल्ली, एनसीआर, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी आदि शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब रहता है।