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अधिग्रहण में भूमि छोड़ना साजिश या लापरवाही, होगी जांच

यमुना तटवर्ती क्षेत्र में प्रस्तावित पावर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान ही नेयवेली व राजस्व के तत्कालीन अधिकारियों ने खेल कर दिया था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 01:27 AM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 01:27 AM (IST)
अधिग्रहण में भूमि छोड़ना साजिश या लापरवाही, होगी जांच
अधिग्रहण में भूमि छोड़ना साजिश या लापरवाही, होगी जांच

संवाद सहयोगी, घाटमपुर: यमुना तटवर्ती क्षेत्र में प्रस्तावित पावर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान ही नेयवेली व राजस्व के तत्कालीन अधिकारियों ने खेल कर दिया था। अधिग्रहीत भूमि के बीच ही बगैर अधिग्रहण के भूमि (पाकेट लैंड) छोड़ देने से किसानों के असंतोष के चलते कई माह तक काम ठप रहा था। इसके साथ ही नई दरों से किसानों को मुआवजा भुगतान के चलते करीब 28 करोड़ परियोजना की लागत भी बढ़ गई। भूमि जानबूझकर छोड़ी गई इस आशंका पर ही छह माह पहले तत्कालीन जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। उनके तबादले के बाद जांच ठंडे बस्ते में चली गई, लेकिन अब फिर पत्रावली आलमारी से बाहर आई है।

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वर्ष 2011 में धारा 4 एवं 2012 में धारा 6 के प्रकाशन के साथ ही यमुना तटवर्ती गांव सिधौल, सिरसा, धरछुआ, असवारमऊ, बांध, बगरिया व रामपुर गांव की 720.843 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की गई थी। जिसके लिए बाजार मूल्य से चार गुना मुआवजा राशि का भुगतान किया गया था। वर्ष 2015 में कंपनी ने अधिग्रहीत जमीन पर कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू की, तो अधिग्रहण से छूटी भूमि के किसानों ने मुआवजा न मिलने का तर्क देकर विरोध शुरू कर दिया। 2016 के अंत में भूमि पूजन कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन केंद्रीय ऊर्जा व कोयला राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल की मौजूदगी में किसानों ने प्रदर्शन किया। इसके बाद सर्वे टीम गठित की गई। सर्वे में पता चला कि जो भूमि अधिग्रहीत की गई है उसमें 52.33 हेक्टेयर का अधिग्रहण नहीं हुआ है। यह भूमि अलग- अलग जगहों पर स्थित है। इसके बाद एनयूपीपीएल (नेयवेली उत्तर प्रदेश पावर लिमिटेड) को अब नई भूमि अधिग्रहण नीति के तहत वर्तमान बाजार दर पर किसानों को मुआवजे का भुगतान करना पड़ रहा है। जिससे करीब 28 करोड़ रुपये परियोजना लागत बढ़ने की संभावना है। 25 मई को तत्कालीन जिलाधिकारी सुरेंद्र ¨सह ने उप जिलाधिकारी व तहसीलदार घाटमपुर एवं एनयूपीपीएल के अधिशासी अभियंता राकेश रोशन की कमेटी गठित कर जांच का आदेश दिया था, लेकिन जांच पूरी नहीं हुई। जांच टीम को यह जांचना है कि भूमि जानबूझकर छोड़ी गई या फिर भूलवश उसका अधिग्रहण नहीं हो सका।

जिम्मेदार बोले

एनयूपीपीएल के मुख्यालय से सभी अभिलेखों की पत्रावली प्राप्त कर ली है। प्रकरण की गंभीरता से जांच की जा रही है। जल्द ही पाकेट लैंड छोड़ने के लिए दोषी पाये जाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति सहित आख्या जिलाधिकारी को प्रेषित कर दी जाएगी।

-मीनू राणा, उप जिलाधिकारी, घाटमपुर


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