लाल इमली : 11 महीनों से नहीं मिला वेतन, चौथी मौत से मजदूरों में उबाल
मजदूर नेताओं का दावा, इस सरकार में मजदूरों के वेतन के हेड में एक रुपया भी नहीं है। स्थानीय अधिकारी वित्त मंत्री के पास फाइल अटकी होने का दावा कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : साथी की मौत से गुस्साए लाल इमली के मजदूरों का गुस्सा यूं ही नहीं है। असल में जहां एक और एक के बाद एक महीने के अंदर चार साथियों की असमय मौत का दर्द है तो 11 महीने से वेतन न मिलने से खाली पेट उन्हें बगावत करने के लिए मजबूर कर रहा है।
लाल इमली के हालात बेहद खराब हैं। मजदूरों को 11 महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है। वेतन क्यों नहीं मिल रहा, इस सवाल के जवाब में उप महाप्रबंधक गजेंद्र शुक्ला का कहना है कि नवंबर में पैसा मांगा गया था। कुछ कमियां थी, जिसे दूर कर दिया गया है। इसके बाद फाइल वित्त मंत्रालय से वित्त मंत्री के पास भेज दी गई है। वित्त मंत्री के हस्ताक्षर न हो पाने की वजह से वेतन के लिए बजट एलॉट नहीं हो पा रहा है। जब इस संबंध में मजदूर नेताओं से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आखिरी बार वर्ष 2013-14 में मिल के वेतन मद में पैसा सरकार की ओर से डाला गया है। भाजपा सरकार आने के बाद एक रुपये का बजट भी मजदूरों के वेतन के लिए जारी नहीं किया गया।
27 दिन में चौथी मौत
अनिल कुमार की मौत के बाद मजदूरों का गुस्सा यूं ही नहीं है। 27 दिनों में चार कर्मचारी असमय ही काल के गाल में समा चुके हैं। 25 मार्च को रामकेश वर्मा, 30 मार्च को रामलाल, और 5 अप्रैल को नीलू मिश्रा की मौत हो चुकी है। वहीं केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद से 20 मिल कर्मचारियों को मृत्यु हो चुकी है। दो साल में 19 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है।
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वेतन न मिलने से स्थिति हुई खराब
लाल मिल कर्मचारी अनिल कुमार की जिंदगी बेहद चुनौतीपूर्ण हो चुकी थी। 11 माह से वेतन न मिलने के कारण वे मानसिक अवसाद से गुजर रहे थे। अनिल के बेटे अतुल ने बताया कि वह दो भाई और एक बहन हैं। फरवरी 2017 में पिता ने छोटी बहन की शादी लखनऊ में की थी। वह नोटबंदी का दौर था। किसी तरह कर्जा लेकर बेटी के हाथ पीले किए। बेटी की ससुराल पक्ष से कुछ वायदे भी किए थे कि आर्थिक पक्ष मजबूत होते मांग पूरी कर दी जाएगी। ससुराल पक्ष से आल्टो कार की मांग की जा रही थी। वेतन नहीं मिला तो मांग कहां से पूरी होती। चार महीने से बेटी मायके में ही रह रही है।