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रिंग रोड के लिए भू-उपयोग परिवर्तन पर लगेगी रोक, जानिए- अधिग्रहण की जद में आने वाले गांव

कानपुर आउटर रिंग रोड को लेकर अधिसूचना जारी होने से पहले प्रस्तावित गांवों में अधिग्रहण से पहले भू उपयोग परिर्वतन की वजह से मुआवजा बढ़ेगा जिसे देखते हुए एनएचएआइ कानपुर नगर और देहात के डीएम को पत्र लिखकर रोक लगवाएगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 08:56 AM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 08:56 AM (IST)
रिंग रोड के लिए भू-उपयोग परिवर्तन पर लगेगी रोक, जानिए- अधिग्रहण की जद में आने वाले गांव
कानपुर में प्रस्तावित रिंग रोड की कवायद तेज है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। रिंग रोड के पहले चरण के कार्य के लिए मंधना से सचेंडी के बीच भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जल्द ही जारी हो जाएगी। इसके अलाइनमेंट को मंजूरी के लिए इसी हफ्ते राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के चेयरमैन की समिति के समक्ष रखा जाएगा। इसी के साथ ही अलाइनमेंट वाली भूमि के भू उपयोग परिवर्तन पर रोक लगेगी।

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कानपुर नगर और देहात जनपद के जिन गांवों से रिंग रोड गुजरना है वहां भू उपयोग परिवर्तन के लिए प्राधिकरण से एनओसी लेनी होगी। इस संबंध में प्राधिकरण प्रबंधन कानपुर नगर और कानपुर देहात जिले के जिलाधिकारियों को पत्र लिखेगा । ताकि जिन गाटा संख्या का अधिग्रहण होना है उनका भू उपयोग परिवर्तन न हो जाए। भू उपयोग परिवर्तन होने से भूमि का मुआवजा बढ़ जाएगा और तमाम भू स्वामी ऐसी कोशिश कर सकते हैं।

पांच चरणों में बनेगी 93 किमी लंबी रिंग रोड

रिंग रोड 93 किमी लंबी होगी। इसे पांच चरणों में बनाया जाना है। पहले चरण का कार्य सचेंडी से मंधना के बीच होना है। मंधना में यह कानपुर- अलीगढ़ जीटी रोड से शुरू होकर सचेंडी में कानपुर- इटावा हाईवे पर खत्म होगी। इसकी लंबाई 22 किलोमीटर होगी। उन गांवों की अधिसूचना जारी हो गई है जहां से यह ङ्क्षरग रोड गुजरेगा, लेकिन अभी गाटा संख्यावार अधिसूचना जारी होनी है। अधिसूचना जारी तब होगी जब अलाइनमेंट मंजूर हो जाएगा। मंधना के पास जीटी रोड पर अंडरपास बन रहा है। इससे वहां फ्लाईओवर बनाने में दिक्कत है। इस वजह से अलाइनमेंट में थोड़ा बदलाव किया गया है। इस बदलाव को मंजूरी मिल जाएगी तब गाटावार भूमि की अधिसूचना जारी होगी।

इससे पहले ही संबंधित गांवों में कुछ लोग इस आशंका में भूमि का भू उपयोग परिवर्तन कराने की कोशिश में जुट गए हैं कि उनकी भूमि से ही होकर रिंग रोड गुजरेगा। ऐसे में उन्हें मुआवजा अधिक मिल जाएगा। हालांकि उनकी मंशा अब परवान नहीं चढ़ेगी, क्योंकि प्राधिकरण से एनओसी लेने के बाद ही भूमि का भू उपयोग परिर्वतन किया जाएगा। प्राधिकरण यह बताएगा कि संबंधित भूमि अधिग्रहण के दायरे में आएगी या नहीं। नहीं आएगी तो वह एनओसी देगा अन्यथा नहीं।

इन गांवों की भूमि ली जानी है

बघवट, मलिकपुर, मकरंदपुर बंथा, टोड पुर, प्रतापपुर खास, ढिकिया, बाघपुर, अन्ने, रसदपुर, फत्तेपुर निहुटा, टिकरी, हृदयपुर प्रतापपुर, बाराखेड़ा, ङ्क्षसहपुर दिवनी, रंजीतपुर, भाऊपुर, खरगपुर बिठूर, चकटोडरपुर, बसौसी, निहुटा, खरगपुर, चकरतनपुर, टिकरा कानपुर, रौतेपुर, सुरार, दूल, भूल, नकटू, भीसी जरगांव, भौंती प्रतापपुर, सुजानपुर, धरमंगतपुर, कटरा घनश्याम, भिसार, पकरी, दलेलपुर, शेखपुर, चचेंडी, सचेंडी, हलपुरा, कुर्मी खेड़ा खुर्द, चौबेपुर पक्खन, चकहजरतपुर, तिघरा, अमिलिहा, देवपालपुर, महराजपुर, भवानीपुर, कुर्मीखेड़ा कला, गजनेरपुर, मालौ, गोगूमऊ, सराय छितम, रौतापुर कला, नाढ़ूपुर, उमरी, सहज्योरा, सरदारपुर, बहरामपुर, पूरा जसू, हंसपुर, ताजपुर, इंदलपुर जुगराज, शेरपुर बैरा, बंसठी, जकबहरमपुर, ततारपुर , रायगोपालपुर, इटरा, दिलावरपुर टोसवा, रुद्रापुर, बनी, पचोर, गोविंदेपुर, पेम, चौबेपुर कला, गंभीरपुर, रैकेपुर, मकसूदाबाद।


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