छोड़ा मास्क का साथ तो हांफने लगी जिंदगी, संक्रमण से बचने के लिए ध्यान रखें जरूरी बातें
कानपुर शहर में कोरोना वायरस का संक्रमण घटता देखकर लोग लापरवाह होने लगे हैं जिससे परेशानी बढ़ना शुरू हो गई है। चेस्ट अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 200-250 मरीज आ रहे हैं जिसमें ज्यादातर सीओपीडी से पीडि़त हैं।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के आंकड़े घटते देख लोगों ने लापरवाही बरतनी शुरू कर दी है। इसका असर उनके स्वास्थ्य पर दिख रहा है। न तो शारीरिक दूरी के मानक का पालन किया जा रहा है और न ही चेहरों पर अब मास्क नजर आ रहे हैं। बिंदास होकर लोग सड़कों पर निकल रहे हैं। इससे वातावरण में उड़ रही धूल और प्रदूषण कारक तत्व फेफड़ों तक पहुंचकर सांस संबंधी रोगों का शिकार बना रहे हैं। मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल की ओपीडी में आने वाले सांस रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। प्रतिदिन यहां 200 से 250 मरीज आ रहे हैं।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुधीर चौधरी ने बताया कि सोमवार को 193 मरीज ओपीडी में आए। इनमें 60 फीसद क्रॉनिक ऑब्ट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीडि़त थे। उन्हें बैक्टीरियल इंफेक्शन एवं अन्य समस्याएं थीं। कुछ मरीज टीबी से पीडि़त थे। उन्होंने बताया कि अब लोगों ने मास्क का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। इस वजह से बीमारियों की चपेट में आने वालों की संख्या बढ़ गई है।
जनवरी से दिसंबर तक आते थे 8 से 10 मरीज
डॉ. चौधरी ने बताया कि वर्ष 2020 की शुरुआत से लेकर अंत तक सिर्फ इमरजेंसी में ही 8 से 10 मरीज आते थे। इस दौरान लोगों को न वायरल हुआ और न ही बैक्टीरियल इंफेक्शन। मरीजों ने बुखार तक न आने की बात कही। यह मास्क लगाने और शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने की बदौलत ही संभव हो सका।
मास्क एवं शारीरिक दूरी ही हथियार
डॉ. चौधरी ने बताया कि किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाव के लिए मास्क और शारीरिक दूरी के नियम का पालन जरूरी है। इन दोनों हथियार को अपनाते हुए बीमारियों से बच सकते हैं।
ध्यान रखें ये नियम
- किसी से भूल कर गले न मिलें।
- किसी से हाथ कतई न मिलाएं।
- दूर से ही नमस्ते एवं आदाब करें।
- घर आने पर हाथ-पैर साबुन से धोएं।
- सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहें।
- बाहर निकलें तो मास्क जरूर लगाएं।
- शारीरिक दूरी का पूरी तरह पालन करें।
एक नजर में शहर के हालात
- कोरोना काल में 8-10 मरीज इलाज के लिए आते हैं।
- चेस्ट अस्पताल में रोजाना 200-250 मरीज अब आ रहे हैं।
- सीओपीडी के मरीज 55-60 फीसद तक हैं।