जानिए- कितना खतरनाक है Black Fungus, नाक और मुंह के रास्ते करता है शरीर में प्रवेश
रक्त नलिकाओं में पहुंचने पर ब्लैक फंगस और घातक हो जाता है खून का प्रवाह रुकने से संक्रमित की मौत होने की आशंका रहती है। प्रभावित अंग में तेजी से संक्रमण फैलाकर उसे पूरी तरह से खराब कर देता है।
कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस (एक घातक फफूंदी समूह का संक्रमण) जब रक्त नलिकाओं (धमनियों और शिराओं) में पहुंचता है तो और भी घातक हो जाता है। खून के जरिए सभी अंगों में पहुंच खून के थक्के बनाकर उसका प्रवाह रोक देता है, जिससे मौत तक हो जाती है।
नाक और मुंह के रास्ते ही फंगल का प्रवेश
म्यूकर माइकोसिस के मोलड्स (संक्रमण फैलाने वाले कारक) हवा में मौजूद रहते हैं। कमजोर इम्युनिटी होने पर नाक और मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश करके मुंह और नाक के म्यूकस से चिपक कर तेजी से बढऩे लगते हैं। इसलिए मुंह, नाक, आंख, ब्रेन और फेफड़े को प्रभावित करते हैं। यह मांसपेशियों, टिश्यू व हड्डियों को तोड़ते हुए तेजी से आगे बढ़ता है। प्रभावित अंग में संक्रमण फैलाकर कर उसे पूरी तरह खराब कर देता है।
अंग में पैदा होने लगती सडऩ
म्यूकर माइकोसिस शरीर के जिस अंग की मांसपेशियों व टिश्यू में अपना संक्रमण फैलाते हैं। उसकी खून की सप्लाई पूरी तरह रोक देते हैं। ऐसे में टिश्यू खराब होने से अंग में नाइक्रोसिस (सडऩ) होने लगती है। इसीलिए सर्जरी करके प्रभावित अंग को पूरी तरह काट कर हटाना पड़ता है।
ये हैं प्रमुख लक्षण
चेहरे पर सूजन, सांस लेने में दिक्कत, सिर में भीषण दर्द, धुंधलापन, रोशनी चली जाना, आंख बाहर की तरफ निकलना, नाक और आंख के नीचे कालापन।
सर्जरी ही इलाज
ब्लैक फंगस से प्रभावित अंग को काट कर निकालना पड़ता है। इसमें नाक के म्यूकस, साइनस, आंख के टिश्यू, ब्रेन की हड्डी एवं टिश्यू शामिल हैं। सर्जरी के बाद एंटी फंगल दवाइयां राहत देती हैं।
ऐसे में ज्यादा तेज फैलता संक्रमण
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता।
- मुंह और नाक के रास्ते प्रवेश करके नाक के म्यूकोजा, साइनस, आबिंटल से होते हुए आंख, ब्रेन और फेफड़ों तक पहुंचने में।
- जिन कोरोना संक्रमितों का लंबे समय तक आइसीयू में इलाज चला हो।
- स्टेरॉयड और खून पतला करने की दवाइयां लंबे समय तक दी गईं हों।
- अस्पताल में सफाई और देखभाल में कमी रही हो।
- -म्यूकर माइकोसिस एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है। यह शरीर से पोषण लेकर फाइबर की तरह बढ़ता है। माइक्रोस्कोप से देखने में फीते की तरह नजर आता है, जिसे हाईफी कहते हैं। प्रभावित अंग पर तेजी से अपना जाल फैलता है। खून की नलिकाओं में पहुंचने पर और घातक हो जाता है। इससे प्रभावित अंग काले पडऩे लगते हैं, इसलिए इसे ब्लैक फंगस कहते हैं। -डॉ. डीपी शिवहरे, विभागाध्यक्ष, त्वचा रोग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।