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कानपुर में दो दोस्तों की मुहिम बनी वरदान, वाट्सएप के जरिये बुक कराया 10 हजार लोगों का स्लाट

अब बुजुर्गो की कर रहे मदद ज्यादातर लोग समझ चुके हैं कि कैसे स्लाट बुक करना है अब प्रतिदिन आठ से 10 लोग ही संपर्क कर रहे हैं। अब दोनों दोस्त उसी वाट्सएप ग्रुप के जरिये निराश्रित बुजुर्गो के भोजन और चिकित्सा की व्यवस्था करने का काम कर रहे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 10 Aug 2021 12:54 PM (IST)Updated: Tue, 10 Aug 2021 12:55 PM (IST)
कानपुर में दो दोस्तों की मुहिम बनी वरदान, वाट्सएप के जरिये बुक कराया 10 हजार लोगों का स्लाट
कानपुर में कोरोना रोधी वैक्सीन लगवाने के लिए अपने मोबाइल से लोगों का स्लाट बुक करते मनीष। सौ. : स्वयं

राजीव सक्सेना, कानपुर। स्वतंत्रता पर्व की तैयारियों के बीच ऐसे नायकों की चर्चा जरूरी है जिन्होंने लोगों के जीवन की रक्षा के लिए कोरोना महामारी से आजादी की अलख जगाई। आज इसी क्रम में कानपुर के दो दोस्तों के बारे में जानते हैं जिन्होंने जिंदगी का टीका लगवाने में आम जनता की अनूठे तरीके से मदद की।

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दूसरी लहर के दौरान जब लोग टीकाकरण कराने के लिए परेशान थे कि कैसे आनलाइन स्लाट (टीकाकरण का दिन व केंद्र) बुक कराएं, तब दो दोस्तों ने ‘हमारा कानपुर-बेहतर कानपुर’ नाम से वाट्सएप ग्रुप बनाकर लोगों को टीकाकरण की राह दिखाई। ये दोनों दोस्त हैं केशव नगर निवासी प्रोफेशनल फोटोग्राफर मनीष त्रिपाठी और अधिवक्ता अमित मिश्र।

स्लाट बुक न कर पाने वालों के लिए की शुरुआत: मनीष बताते हैं, वास्तव में यह वाट्सएप ग्रुप उन लोगों के लिए बनाया गया था, जो वैक्सीन का स्लाट बुक नहीं कर पा रहे थे। ग्रुप से करीब ढाई सौ लोगों को जोड़ा और सभी से टीकाकरण के लिए स्लाट बुक न करा पाने वाले लोगों को उनका (मनीष व अमित) मोबाइल नंबर देने को कहा। इसके बाद एक दौर ऐसा भी आया जब दिनभर उनके फोन की घंटी बजती ही रहती थी। वे अब तक करीब 10 हजार लोगों के लिए स्लाट बुक कराकर टीकाककरण करवाने में मदद कर चुके हैं।

रविवार को भी स्लाट करते रहे बुक: मनीष के मुताबिक, दूसरी लहर के दौरान टीकाकरण के लिए बहुत अधिक लोग सामने आने लगे, लेकिन ज्यादातर स्लाट बुक नहीं करा पा रहे थे। तमाम के पास स्मार्टफोन भी नहीं था। मित्र अमित के साथ रविवार को छुट्टी का दिन भी स्लाट बुक करने में ही गुजरने लगा। अमित के अनुसार, प्रयास रहता था कि जिनके लिए स्लाट बुक करा रहे हैं, उन्हें उनके घर के पास ही टीका लगवाने का अवसर मिले। हालांकि कई बार यह नहीं भी हो पाता था। लक्ष्य था कि ज्यादा से ज्यादा लोगों के स्लाट बुक हो जाएं और टीका लग जाए।

अब बुजुर्गो की कर रहे मदद: ज्यादातर लोग समझ चुके हैं कि कैसे स्लाट बुक करना है, अब प्रतिदिन आठ से 10 लोग ही संपर्क कर रहे हैं। अब दोनों दोस्त उसी वाट्सएप ग्रुप के जरिये निराश्रित बुजुर्गो के भोजन और चिकित्सा की व्यवस्था करने का काम कर रहे हैं।


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