UP Board Result 2019 : पढि़ए, 10वीं के टॉपरों की सफलता का राज, क्या बनना चाहते हैं वो
लंबे अर्से के बाद प्रदेश की टॉपर सूची के मेधावियों में सर्वाधिक कानपुर के हैं।
कानपुर, जेएनएन। यूपी बोर्ड की दसवीं के रिजल्ट में शहर के छह होनहारों नें प्रदेश की टॉप टेन सूची में स्थान बनाकर नाम रोशन किया है। उनकी सफलता से परिजन और शिक्षक ही नहीं बल्कि शहरवासी भी गर्व कर रहे हैं। लंबे अर्से बाद प्रदेश के टॉपरों की सूची में सर्वाधिक कानपुर के मेधावी शामिल हुए हैं। आइए जानते टॉपरों की जुबानी उनकी सफलता के राज और भविष्य में उनका लक्ष्य क्या है...।
आइआइटी से पढ़कर बनना है इंजीनियर
12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद सबसे पहले आइआइटी मुंबई में प्रवेश लेंगे। मेरी मंजिल आइआइटी से पढ़कर इंजीनियर बनने की है। शनिवार को यह बातें यूपी बोर्ड परीक्षा परिणाम में 568 अंकों के साथ प्रदेश में आठवां स्थान हासिल करने वाले अनुराग ने कहीं। इस मेधावी छात्र ने कहा कि किताबों से दोस्ती व खुद की तैयारी से उसे सफलता मिली। बालाजी चौक नेहरू नगर निवासी अनुराग ने बताया कि यह जरूरी नहीं कि हम दिनभर पढ़ते रहें। महज चार घंटे रोजाना तैयारी की और परिणाम सभी के सामने है। लोकतंत्र में अगर भागीदारी करने का मौका मिले तो किस मुद्दे पर वोट करेंगे? इस सवाल के जवाब में बताया कि शिक्षा व सुरक्षा के मुद्दे पर अपना वोट देंगे। अनुराग के पिता नागेंद्र सिंह कौशांबी में सरकारी विद्यालय में शिक्षक हैं, जबकि माता विनोद कुमार गृहणी हैं। अनुराग ने प्रदेश की मेरिट सूची में आठवां स्थान हासिल किया तो बहन आंशी ने जनपद में नौवां स्थान पाया। आंशी ने कुल 560 अंक (93.33 फीसद) हासिल किए। भाई-बहन की इस सफलता से पूरे परिवार में खुशी है।
अब्दुल कलाम को आदर्श मानतीं हैं श्रद्धा
प्रदेश में आठवां स्थान हासिल करने वाली श्रद्धा सचान की ख्वाहिश सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की है। मिसाइल मैन व पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानने वाली श्रद्धा अपनी सफलता का श्रेय पिता मनोज कुमार सचान के मार्गदर्शन व योजनाबद्ध पढ़ाई को देती हैं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक विषय महत्वपूर्ण होता है इसलिए बोर्ड परीक्षा की तैयारी के मद्देनजर सभी को पूरा समय देना चाहिए। वह छह से सात घंटे नियमित पढ़ाई करती हैं जबकि इस दौरान वह उन प्रश्नों पर अधिक जोर देती हैं जो कठिन व महत्वपूर्ण होते हैं। जब तक उत्तर पूरी तरह कंठस्थ नहीं हो जाता वह उसका अभ्यास करती रहती हैं।
उनके पिता जो कि जूनियर स्कूल में शिक्षक हैं, उन्होंने एक पिता के साथ शिक्षक की तरह भी उनका मार्गदर्शन किया। पढ़ाई के लिए उन्होंने कभी दबाव नहीं डाला। मां सरोज सचान का भी कदम कदम पर साथ मिला। अब उनकी तमन्ना सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनकर देश के लिए नई नई तकनीक विकसित करने की है। श्रद्धा बताती हैं कि पढ़ाई के साथ अपने दिमाग को तरोताजा रखने के लिए मनोरंजन भी जरूरी है। उन्हें बैडमिंटन खेलना, टीवी देखना व पेंटिंग करना पसंद है। पढ़ाई के साथ वह इन्हें भी समय देती हैं।
आइएएस बनकर करनी है देश सेवा
एक ओर जहां तमाम मेधावी आइआइटी से इंजीनियङ्क्षरग की पढ़ाई पूरी कर भविष्य में इंजीनियर बनना चाहते हैं, तो वहीं ओंकारेश्वर में 10वीं के छात्र हर्ष खत्री आइएएस बनकर देशसेवा करना चाहते हैं। यूपी बोर्ड के परिणाम में हर्ष ने 566 अंकों के साथ (94.33 फीसद) प्रदेश की मेरिट सूची में 10वां स्थान हासिल किया।
स्वभाव से सादगी पसंद हर्ष ने बताया कि उन्होंने रोजाना पांच से छह घंटे की पढ़ाई की। गणित के सवालों का खूब अभ्यास किया। बोले हर विषय की तैयारी अलग-अलग करनी चाहिए। वहीं जब उनसे पूछा गया कि इस सफलता के लिए सबसे ज्यादा किसने प्रेरित किया? तो मुस्कुराकर जवाब दिया कि भाई योगेश खत्री ने। इस मेधावी छात्र ने बताया कि उसे राजनीति में कोई खास रुचि नहीं है। हालांकि वोट किस मुद्दे पर देंगे? इस सवाल के जवाब में कहा कि विकास के मुद्दे पर। कौशलपुरी निवासी हर्ष के पिता सुरेश कुमार खत्री व्यावसायी हैं जबकि माता कविता खत्री गृहणी हैं। दूसरे छात्रों को सफलता के टिप्स देते हुए कहा कि परीक्षाओं से कभी नहीं घबराना चाहिए बल्कि आपकी तैयारी ठोस होनी चाहिए। परीक्षाओं के दौरान अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
किसान की बेटी का प्रदेश में परचम
प्रदेश में नौवां व जिले में तीसरा स्थान प्राप्त करने वाली शिवाजी इंटर कॉलेज अर्रा की छात्रा दिव्यानी सिंह के पिता जगन्नाथ सिंह चौहान एक किसान हैं। उनकी बेटी ने अपनी मेहनत व समर्पण से परिवार को जो गौरव दिया है उससे उनके पिता फूले नहीं समा रहे हैं। वह सरवनखेड़ा में खेती करते हैं और अपनी आय से परिवार का गुजारा करते हैं। अब वह आइएएस बनकर देश की सेवा करने का जज्बा रखती है।
दसवीं के परिणाम में प्रदेश में नौवां स्थान पाने वाली दिव्यानी शिवाजी इंटर कालेज की छात्रा हैं, उन्होंने 567 यानि 94.5 फीसद अंक हासिल किए हैं। वह बताती हैं कि सीमित संसाधनों में भी उनके पिता ने शैक्षणिक संसाधनों की कभी भी कमी नहीं होने दी। मां मंजू सिंह जो एक गृहणी हैं उन्होंने भी कदम कदम पर पिता व उनका साथ दिया। उन्हें दसवीं की परीक्षा में मेरिट में आने की प्रेरणा स्नातक की पढ़ाई कर रहे उनके बड़े भाई दिग्विजय सिंह से मिली। उन्होंने इसके लिए उनका मार्गदर्शन किया, जिससे यह सफलता प्राप्त हुई। उन्होंने बताया कि प्रश्न व उसके उत्तर को समझने के लिए वह उसे कई बार पढ़ती हैं। जब उन्हें वह समझ में आ जाता है तब दूसरे प्रश्नों के बीच उसे दोहराती हैं। उनकी नजर में किसी भी टॉपिक को छोडऩा नहीं चाहिए फिर चाहे वह महत्वपूर्ण हो अथवा नहीं क्योंकि किसी भी कक्षा में पूरी पढ़ाई करके ही शत प्रतिशत अंक प्राप्त किए जा सकते हैं।