आइए...जहां है खेरेश्वर धाम और 52 दरवाजा मंदिर, पौराणिक विरासत संजोए है गंगा का सरैयां घाट
शिवराजपुर में गंगा का सरैयां घाट पौराणिक विरासत संजोए है। यहां खेरेश्वर धाम है और 52 दरवाजा मंदिर भी। यहां प्रतिदिन रुद्रभिषेक और हर-हर बम-बम की गूंज सुनाई पड़ती है तो सावन में बड़ा मेला भी लगता है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कानपुर से चलकर जीटी रोड पर स्थित शिवराजपुर कस्बा से दाहिनी ओर गंगा रोड पर तारापति तिराहा होकर साढ़े तीन किलोमीटर दूर गंगा तट पर स्थित है सरैयां घाट। तारापति तिराहे से घाट की दूरी सिर्फ 500 मीटर है, जहां पैदल या निजी वाहन से आसानी से पहुंच सकते हैं। घाट पर स्थित है महाकालेश्वर का 52 दरवाजा वाला मंदिर, जबकि तारापति तिराहा से बायीं ओर पास ही है प्राचीन खेरेश्वर धाम। यहां प्रतिदिन रुद्रभिषेक और हर-हर, बम-बम की गूंज सुनाई पड़ती है तो सावन में बड़ा मेला लगता है। नरेश पांडेय की रिपोर्ट।
खेरेश्वर मंदिर के पुजारी कमलेश गिरि, वीरेंद्र पुरी, घाट के सेवकर्ता गोपीकृष्ण अग्निहोत्री व अनुराग शुक्ला बताते हैं, खेरेश्वर मंदिर करीब सात सौ वर्ष पुराना है। मान्यता है कि अश्वत्थामा प्रतिदिन सुबह यहां पूजन करने आते हैं। मंदिर खुलने पर यहां विशेष पुष्प और जल चढ़ा मिलता है। बताते हैं कि प्राचीनकाल में इस स्थान पर चरवाहे गायें लेकर आते थे। एक दिन एक गाय वहां खेर (टीला) पर खड़ी हुई तो कुछ लोगों ने स्वयं ही उसका दूध निकलता देखा। पहले भी कई बार गायें यहां से जाने के बाद घर में दूध नहीं दे सकीं थी, जिसका सच इस घटना से सामने आया। इसके बाद टीला की खोदाई की गई तो वहां शिवलिंग निकला। इसी वजह से इस स्थान का नाम खेरेश्वर पड़ गया। सरैया घाट के किनारे महाकालेश्वर मंदिर राजा शिवराज सिंह ने निर्मित कराया था। इसमें 52 दरवाजे होने के कारण इसे 52 दरवाजा का मंदिर भी कहते हैं। मान्यता है कि मंदिर के इन दरवाजों की गणना में कभी पूरी संख्या कोई गिन नहीं पाता है। इस मंदिर में भी प्राचीन शिवलिंग स्थापित है।
नमामि गंगे योजना से घाट का सुंदरीकरण
केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना के तहत सरैया घाट का सुंदरीकरण कराया गया है। इससे यह स्थान और रमणीक हो गया है। घाट के पास ही कई प्राचीन पुराने मंदिर आकर्षण का केंद्र हैं। इन्हें लोग काफी देर तक अपलक निहारते रहते हैं।
10 साल पहले महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार
सरैयां घाट पर सेवा समिति की ओर से सप्ताह में एक बार सफाई और विशेष मौकों व पर्वों पर आरती का आयोजन किया जाता है। महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार करीब 10 साल पहले राजकुमार काया ने कराया था।