केडीए अब जमीन के सत्यापन के बाद बनाएगा लेआउट, कई योजनाओें के फंसने के बाद हुआ फैसला
कानपुर विकास प्राधिकरण ने वाहवाही लूटने के लिए शहर में कई योजनाए तो बना दी लेकिन बाद में कानूनी दांवपेंच में जमीनें फंसने के बाद आवंटी परेशान हो गए। अब इस समस्या को दूर करने के लिए केडीए ने पहले जमीन का सत्यापन करने की योजना बनाई है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। जवाहरपुरम योजना, शताब्दीनगर, कालपी योजना, हाईवे योजना समेत कई केडीए की योजनाएं जमीन के सत्यापन न होने के कारण फंस गई। जवाहरपुरम योजना वर्ष 2007 में लांच हुई, इसमें 14 सेक्टर है इसमें कई सेक्टर जमीन विवाद के चलते फंसे हुए है। निरीक्षण के दौरान इस सच्चाई से वाकिफ हुए उपाध्यक्ष ने मातहतों को आदेश दिए है कि जमीन का सत्यापन कराने के बाद लेआउट तैयार किया जाए जिससे बाद में जमीन विवादों में न फंसे। नगरीय क्षेत्र में ग्रामीण सीलिंग किस प्रकार दर्ज हुई इसके लिए उपाध्यक्ष ने सचिव, डिप्टी कलेक्टर व तहसीलदार की अगुवाई में कमेटी गठित की है। यह कमेटी जमीन का परीक्षण करेगी। विवादित जमीन के चलते केडीए की कई योजनाएं फंसी हुई है।
तहसीलदार टीम के साथ पहले जमीन का अधिग्रहण और खाका तैयार करते है। इसके बाद नियोजन विभाग योजना का लेआउट तैयार करता है। अभियंत्रण विभाग योजना को मौके पर मूर्तरूप देता है। मजे की बात यह है कि तीन-तीन विभाग जुड़े होने के बाद भी जमीन के दस्तावेजों का परीक्षण ठीक से नहीं कराया जाता है। बाद में योजना फंस जाती है। वर्ष 2007 में केडीए ने आइआइटी के पास जवाहरपुरम योजना 1 से 14 सेक्टर में विकसित की थी लेकिन जमीन विवाद के चलते तमाम भूखंड फंस गए। रजिस्ट्री होने के बाद भी आवंटी भटकते रहे। यहीं हाल अलकनंदा और हाईवे योजना का भी है। इसके अलावा शताब्दी नगर व कालपी रोड में भी जमीन विवाद के चलते तमाम भूखंड आवंटन के बाद फंसे हुए है।
उपाध्यक्ष अरविंद सिंह ने पिछले दिनों जवाहरपुरम और शताब्दीनगर योजना का निरीक्षण किया तो कई जगह विवादित जमीन के चलते योजना में कई टुकड़े फंसे हुए है। इसके बाद उन्होंने अफसरों को आदेश दिए है कि विवाद रहित प्राधिकरण की भूमि पर नई योजना के संबंध में लेआउट तैयार किए जाए। जवाहरपुरम योजना में कई सेक्टरों में भूमि काश्तकारों से विवाद या न्यायालय द्वारा स्थगनादेश होने के कारण कार्य बाधित है। ऐसे में मामलों के निस्तारण के आदेश दिए।
कारपोरेट सेक्टर की तर्ज पर अब बचे फ्लैट बेचेगा केडीए
केडीए अब अपने बचे फ्लैट कारपोरेट कल्चर की तर्ज पर बेचेगा। इसके लिए हर योजना में एक-एक माडल फ्लैट का निर्माण कराया जाएगा। ताकि लोग उसको देखकर समझ सकेंगे की कैसा फ्लैट होगा। साथ ही आफिस बनेगा। स्टाप मौजूद रहेगा फ्लैट खरीदने वालों को दिखाएगा। केडीए के जवाहरपुरम, मकसूदाबाद, शताब्दी नगर, केडीए हाईट्स कल्याणपुर, केडीए ग्रीन्स मैनावती में कई फ्लैट बिकने को बचे है। लगभग साढ़े पांच हजार फ्लैट केडीए के बिक्री के लिए बचे है। इसके चलते केडीए का लगभग 12 अरब रुपये फंसे हुए है। उपाध्यक्ष अरङ्क्षवद ङ्क्षसह ने अफसरों को आदेश दिए हैं कि हर योजना में एक माडल फ्लैट का निर्माण कराया जाए, साथ ही आफिस खोला जाएगा। मौके पर फ्लैट देखने आने वालों को दिखाए जाए। स्टाफ द्वारा विजिटर रजिस्टर रखा जाए, जिसमें आने वाले व्यक्ति की पूरी जानकारी प्रविष्ट की जाए। फ्लैट से जुड़ी कोई कमी है तो दूर किया जाए।