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करवाचौथ : रोहिणी नक्षत्र और वरीयान का महायोग, जानिए- पूजन की खास विधि और चंद्रोदय का समय

Karwa Chauth Moon Timing करवाचौथ पर्व पर इस बार खास महामंगल योग में सुहागिनें चांद और सजना का दीदार करेंगी। रोहिणी नक्षत्र और वरीयान योग में खास तरह से पूजन करने पर भगवान शिव व माता पार्वती के साथ स्वामी कार्तिक और चंद्रमा देवता से शुभफल की प्राप्ति होगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 08:49 AM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 06:29 PM (IST)
करवाचौथ : रोहिणी नक्षत्र और वरीयान का महायोग, जानिए- पूजन की खास विधि और चंद्रोदय का समय
सिद्ध अमृत योग में खास होगा पूजन का समय।

कानपुर, जेएनएन। Karwa Chauth Moon Timing and Poojan Vidhi : अखंड सौभाग्य के महापर्व के रूप में करवाचौथ पर्व पर इस बार खास महामंगल योग बन रहा है्, जिसमें सुहागिनें चांद का दीदार करेंगी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 अक्टूबर को करवा चौथ व्रत पूजन इस बार रोहिणी नक्षत्र और वरीयान योग में मनाया जाएगा। इस योग में पूजन करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। करवाचौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है करवा यानी मिट्टी का बर्तन और चौथ यानि चतुर्थी। इस त्योहार में सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रहकर अपने पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। करवाचौथ का त्योहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। करवाचौथ का महापर्व महामंगल योग में मनाया जाएगा और रोहिणी नक्षत्र होने के चलते यह सिद्ध अमृत योग रहेगा।

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करवाचौथ पूजन महात्मय : करवाचौथ व्रत में भगवान शिव शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा-अर्चना करने का विधान है। करवाचौथ को ललिता चर्तुथी और दशरथ चर्तुथी के नाम से भी जाना जाता है। व्रतधारी महिलाएं भोर पहर स्नान के बाद ललिता देवी का पूजन स्मरण करती हैं। मां ललिता देवी सौभाग्य की देवी हैं उनके स्मरण पूजन से घर में सुख, शांति, समृद्धि और संतान तथा पति की दीर्घायु का वर मिलता है। रात्रि में जब पूर्ण चंद्रोदय होता है तब चंद्रमा को छलनी से देखकर अघ्र्य देकर आरती उतारें और अपने पति का का दीदार करें। इससे पति की उम्र लंबी होती है। सुहागिन पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारण करती हैं।

करवा चौथ की पूजा सामग्री : मां पार्वती, भगवान शंकर और गणपति की एक फोटो, कच्चा दूध, कुमकुम, अगरबत्ती, शक्कर, शहद, पुष्प, शुद्ध धी, दही, मेहंदी, मिष्ठान, गंगा जल, चंदन, अक्षत, महावर, कंघा, मेहंदी, चुनरी, बिंदी, बिछुआ, चूड़ी, मिट्टी का टोंटीदार करवा, दीपक और बाती के लिए रुई, गेंहू, शक्कर का बूरा, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, छन्नी, आठ पूड़ी की अठवारी, हलवा, तांबे या मिट्टी के पात्र में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री, जैसे सिंदूर, चूडिय़ां शीशा, कंघी, सिंदूर सहित आदि सामग्री को थाल में सजाकर करवा चौथ की कथा का श्रवण करती है।

पूजन में करें इन मंत्रों का उपयोग : ऊं शिवायै नम: से पार्वती माता का और ऊं नम: शिवाय से भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए। ऊं षण्मुखाय नम: मंत्र से स्वामी कार्तिकेय और ऊं गणेशाय नम: से भगवान गणेश का स्मरण करना चाहिए। ऊं सोमाय नम: से चंद्रमा का स्मरण करते हुए चंद्रमा को अघ्र्य देना चाहिए।

108 छिद्रयुक्त छलनी से करें चंद्रमा का दीदार

पद्मेश इंस्टीट्यूट आफ वैदिक साइंसेस के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित केए दुबे पद्मेश का कहना है कि 108 छिद्रयुक्त छलनी से चंद्रमा का दीदार करने के बाद पति को देखना चाहिए। चंद्रमा से 108 प्रकार की अमृत किरणें पृथ्वी पर आती हैं चंद्रमा दर्शन के बाद उसी छलनी से सजना का दीदार करना शुभ माना जाता है। करवा चौथ अखंड सौभाग्य, समृद्धि, ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है।

कानपुर में 8.20 मिनट के आसपास होगा चंद्र का उदय

ज्योतिषाचार्य पं. केए दुबे पद्मेश ने बताया कि रविवार को चतुर्थी 29 घंटे 44 मिनट और रोहिणी नक्षत्र 25 घंटे दो मिनट का तथा वरीयान योग 23 घंटे 34 मिनट की अवधि तक है। करवाचौथ पूजन में भगवान शिव व माता पार्वती के साथ स्वामी कार्तिक और चंद्रमा देवता का पूजन करना चाहिए। कानपुर में शहर में चंद्रमा 8.20 मिनट के आसपास उदय होगा। उदय होते ही चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। इससे दाम्पत्य जीवन में वात्सल्य सुख की प्राप्ति होती है। करवाचौथ का त्योहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता है।


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