Kargil Vijay Diwas 2021: इटावा के श्यामवीर ने सुनाया वो अमर किस्सा, बताया- कैसे टाइगर हिल पर हासिल की फतह
Kargil Vijay Diwas 2021 श्यामवीर बताते हैं उन्हें खूब याद है कि नीचे वाले जवान को 10 फ्रूटी देकर यह आदेश दिया गया था कि सबसे आगे चल रहे जवानों के पास इन्हें पहुंचा दें लेकिन चार किमी. नीचे से भेजी गई फ्रूटी उस रात किसी जवान ने नहीं पी।
इटावा, [राजकिशोर गुप्ता]। Kargil Vijay Diwas 2021 कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मन के छक्के छुड़ाकर टाइगर हिल में तिरंगा फहराने वाले जवानों की टीम में जिले की भरथना तहसील के खानपुर गांव निवासी हवलदार श्याम सिंह यादव भी शामिल थे। वह बताते हैं, 10 साथियों के साथ चार जुलाई को 18 हजार फीट ऊंची टाइगर हिल पर पहुंचकर पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। 18 ग्रेनेडियर रेजीमेंट के 500 जवान 15 कदम का फासला बनाकर चार किलोमीटर कतार में चल रहे थे। इसके बाद 26 जुलाई को पाकिस्तानी सैनिकों को भगाने में सफलता मिली थी। उस दिन को देश कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाता है। उनके जेहन में वह यादें अब भी ताजा हैं।
श्यामवीर बताते हैं, उन्हें खूब याद है कि नीचे वाले जवान को 10 फ्रूटी देकर यह आदेश दिया गया था कि सबसे आगे चल रहे जवानों के पास इन्हें पहुंचा दें, लेकिन चार किमी. नीचे से भेजी गई फ्रूटी उस रात किसी जवान ने नहीं पी। जब फ्रूटी उनके पास पहुंची तो उन्हें उसमें कोई स्वाद नहीं मिला। उनके दिमाग में केवल टाइगर हिल ही चल रहा था। रात 12 बजे वह टाइगर हिल से 300 मीटर पीछे पहुंच चुके थे, जहां कब्जा जमाए बैठे दुश्मन देश के जवान आपस में बातें कर रहे थे कि हिंदुस्तान की फौज अब कभी उन तक नहीं पहुंच पाएगी।
श्यामवीर बताते हैं, चार जुलाई 1999 की वह रात उन्हें अच्छी तरह से याद है, जब उनकी बटालियन को टाइगर हिल पर फतेह की जिम्मेदारी दी गई थी। खाने का सामान कम करके असलहा और बारूद ज्यादा लेकर मिशन बनाकर जवानों ने ऊबड़-खाबड़ रास्ते से चार जुलाई की रात आठ बजे चढ़ाई शुरू की थी। दुश्मन टाइगर हिल की चोटी पर था, जबकि हमारे जवान नीचे थे। इसका फायदा उठाकर वह श्रीनगर, द्रास, कारगिल व लेह मार्ग पर गोलाबारी कर रहा था। इधर से भी जवाबी फायरिंग हुई, लेकिन दुश्मन जवान पत्थरों की आड़ में छिपे थे। इसी बीच हमने ग्रेनेड से चोटी पर हमला कर दुश्मन के कई जवान मार गिराए। फायरिंग बंद होने पर रात एक बजे मेजर सचिन के साथ टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया गया। तिरंगे को चोटी पर देख दुश्मन के छक्के छूट गए और वह भारतीय जवानों के आगे ज्यादा देर तक टिक नहीं सके।
पत्नी ने कहा था तिरंगा फहराकर ही लौटना: श्याम वीर बताते हैं, जब कारगिल युद्ध में लड़ाई का मौका मिला तो पत्नी उर्मिला ने उन्हें फोन कर दुश्मनों को खदेड़कर चोटी पर तिरंगा फहराकर ही लौटने की बात कही। इससे सीना गर्व से और चौड़ा हो गया। इसके बाद उनके दिमाग में सिर्फ दुश्मनों पर विजय पाने का ही जुनून सवार था। विजय मिलते ही पत्नी ने घर में घी के दिए जलाए, हालांकि उन्हें 12 अगस्त तक टाइगर हिल पर ही रुकना पड़ा। सब कुछ सामान्य हुआ, तब वह टाइगर हिल की जिम्मेदारी दूसरे साथियों को सौंपकर वापस लौटे। अब वह सेवानिवृत्त होकर इटावा की सीएसडी कैंटीन के एक्सटेंशन काउंटर पर पूर्व सैनिकों के परिवारों को सेवाएं दे रहे हैं। उनके तीन बेटियां व एक बेटा है। वह कहते हैं, देश के लिए हर किसी को कुर्बानी देने के लिए तैयार रहना चाहिए।