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#Good News: देश में फिर छाया कानपुर का नाम, अव्वल आया शहर का प्राणि उद्यान

उत्तर भारत में कानपुर में बना चिडिय़ाघर प्रजाति क्षेत्रफल व वन्य जीवों के लिहाज से सबसे बड़ा है। यह तेंदुआ संरक्षण में अव्वल आने के साथ बाघ और दरियाई घोड़े को संरक्षित रखने में दूसरे नंबर पर रहा है। प्रवासी पक्षी भी अठखेलियां करने आते हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 10:41 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 10:41 AM (IST)
कानपुर का चिड़ियाघर उत्तर भारत में खासा बड़ा है।

कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। सबके लिए हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा कानपुर चिडिय़ाघर तेंदुआ संरक्षण में देश भर में अव्वल है। यहां पर सर्वाधिक 23 तेंदुए हैं। इसके बाद नंदनकानन वन में 12 व चंडीगढ़ के चिडिय़ाघर में 10 तेंदुए संरक्षित हैं। वहीं, बाघ और दरियाई घोड़ा संरक्षित रखने के मामले में यह दूसरे स्थान पर है। यहां रंग-बिरंगे पक्षी, मगरमच्छ, गैंडा समेत दूसरे वन्यजीव व झील में अठखेलियां करते प्रवासी पक्षी भी खूब लुभाते हैं।

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ओडिशा स्थित नंदन कानन वन में सर्वाधिक 22 बाघ हैं। कानपुर चिडिय़ाघर में नौ और मैसूर में आठ बाघ हैं। नंदनकानन वन में दरियाई घोड़ों की संख्या 34 है, जबकि कानपुर में आठ और पटना में छह है। सहायक निदेशक अरविंद सिंह ने बताया कि उत्तर भारत में 29 चिडिय़ाघर हैं, जिनमें यह प्रजाति, क्षेत्रफल व वन्य जीवों की संख्या के लिहाज से सबसे बड़ा है। वन्यजीवों के प्रजनन के लिए मुफीद वातावरण है। यहां इटावा, औरैया, कन्नौज, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, उन्नाव, मैनपुरी व बुंदेलखंड समेत दूसरे जिलों से भी दर्शक सैर सपाटे व पिकनिक के लिए आते हैं।

मैसूर से आएंगे जिराफ व चिंपैंजी, इजरायल से जेब्रा

चिडिय़ाघर प्रशासन अब जिराफ, चिंपैंजी व जेब्रा समेत अन्य वन्य जीव लाने की तैयारी कर रहा है। मैसूर चिडिय़ाघर से जिराफ व चिंपैंजी लाए जाएंगे, जबकि इजराइल से जेब्रा का जोड़ा लाने पर सहमति बनी है।

14 बाघ भेजे जा चुके हैं दूसरे चिडिय़ाघरों में

कानपुर स्थित चिडिय़ाघर की 1974 में स्थापना हुई थी। इसके बाद से अब तक देश के विभिन्न चिडिय़ाघरों में 14 बाघ भेजे चुके हैं।

तेंदुए के आठ बच्चे व हिमालयन भालू का भी आकर्षण

यहां पर तेंदुए का वह बाड़ा आकर्षण का केंद्र है, जहां दो वर्ष के तेंदुए के आठ बच्चे एक साथ रहते हैं। इनमें पांच नर व तीन मादा हैं। इसके साथ ही एक नर व चार मादा हिमालयन भालू हैं। यहां अनुभूति केंद्र में बच्चों को पक्षियों की आवाजें खूब भाती हैं।

कानपुर जू की खास बातें

  • 76.56 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है चिडिय़ाघर
  • 18 हेक्टेयर की झील में 60 मगरमच्छ हैं, देश भर में सर्वाधिक हैं।
  • 1510 वन्य जीव हैं
  • 123 वन्य जीव प्रजातियां हैं, जिसमें हिरन की सर्वाधिक 11 प्रजातियां हैं।
  • 64 मांसाहारी जीव हैं
  • 05 शेर हैं
  • 01 ट्वाय ट्रेन है
  • 09 गोल्फ कार्ट हैं
  • 60 रुपये का टिकट वयस्क और बच्चों का 30 रुपये है
  •  05 व 10 रुपये है चिडिय़ाघर के अंदर स्थित मछली घर का टिकट।
  • 08 बजे सुबह से शाम पांच बजे तक चिडिय़ाघर खुलता है।

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