Kanpur Violence : हाजी वसी और मुख्तार बाबा ही नहीं डी-टू गैंग से जुड़े हैं कई बिल्डर, जांच में सामने आए बड़े नाम
कानपुर नई सड़क पर हुए उपद्रव के बाद एसआइटी की जांच में कई परतें खुल रही हैं मास्टर माइंड हयात जफर हाशमी से जुड़े हाजी वसी और मुख्तार बाबा ने ही अकेले संपत्तियां नहीं बनाई बल्कि डी-2 गैंग की मदद से कई बिल्डरों के नाम सामने आ रहे हैं।
कानपुर, जागरण संवाददाता। नई सड़क उपद्रव में जांच में जुटी एसआइटी (विशेष जांच दल) और कमिश्नरेट पुलिस ने डी-टू (स्थानीय स्तर पर नंबर दो में पंजीकृत अपराधियों का गिरोह) और स्थानीय बिल्डरों की मिलीभगत पर जांच केंद्रित कर दी है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि हाजी वसी या मुख्तार बाबा ही नहीं बल्कि डी-टू से लगभग एक दर्जन बिल्डर जुड़े हैं। एक अनुमान के मुताबिक गिरोह ने अपने तीन दशक के कार्यकाल में करीब 400 करोड़ रुपये की संपत्ति बनाई है। बड़ी बात यह है कि डी-टू गैंग ने संपत्तियां मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ही नहीं बनाईं बल्कि स्वरूपनगर, सिविल लाइन, आर्यनगर और कैंट जैसे पाश इलाकों में भी जमीनें हैं। डी-टू गैंग से जुड़े तीन दर्जन से ज्यादा अपराधियों के नाम अब तक प्रकाश में आ चुके हैं, जिन पर जांच हो रही है।
तीन जून को नई सड़क और दादा मियां का हाता में हुए उपद्रव की परतें जैसे-जैसे खुल रही है, शहर में अपराधियों के बड़े अर्थतंत्र पर चोट की संभावना उतनी बढ़ रही है। अब तक पुलिस और प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई में मुख्तार बाबा के बाबा बिरयानी के नाम से विख्यात कई आउटलेट पर ताला पड़ चुका है। इनमें से अधिकतर संपत्तियां विवादित हैं। इन संपत्तियों को बाबा ने डी-टू गैंग की दहशत के दम पर खड़ी की थीं।
बाबा बिरयानी की तलाक महल स्थित मुख्य दुकान भी रामजानकी मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जा करके बनाई गई थी। जानकारी में आया है मुख्तार बाबा की एक जमीन छावनी क्षेत्र में भी है, जिसे किसी दूसरे के नाम पर लिया गया था। बाबा यहां पर स्कूल बनवाने की योजना बना रहा था। बाबा और हाजी वसी के अलावा एक एक दर्जन बिल्डरों के नाम पुलिस को मिले हैं, जिन पर जांच की जा रही है।
भाजपा सरकार आने पर हैदराबाद और जयपुर में बढ़ा रहे पैठ : पुलिस सूत्रों के मुताबिक केंद्र व प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद डी-टू गैंग ने कानपुर और प्रदेश के अन्य जिलों से अपनी गतिविधियां समेटना शुरू कर दिया है। जो संपत्तियां उस वक्त कब्जाई गईं, उनमें से बड़ी संख्या में संपत्तियां बेची जा चुकी है, जिसमें सर्वाधिक शत्रु संपत्तियां और वक्फ की संपत्तियां हैं। उनको बेचकर गिरोह ने करोड़ों रुपया एकत्र किया और हैदराबाद और जयपुर में यह पैसा लगाया गया है।