Kanpur Shelter Home Case: सुचिता की प्रियंका को नसीहत, कहा-खुद मां हैं और सोचकर टिप्पणी करनी चाहिए
Kanpur Shelter Home उप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य ने विपक्ष पर तंज सकते हुए कहा एक्ट पढ़ने के बाद कोई भी टिप्पणी करनी चाहिए थी।
कानपुर, जेएनएन। यूपी की सियासत को गरमाने वाले कानपुर के राजकीय संवासिनी गृह के प्रकरण में उप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी ने विपक्ष पर करारा तंज कसा है। उन्होंने राजनीतिक बयान देने वालों पर भी निशाना साधा और टिप्पणी करने वालों को पॉक्साे एक्ट पढ़ने की नसीहत दी।
सोच-समझकर बोलें प्रियंका वाड्रा
सुचिता चतुर्वेदी ने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा को भी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि वह खुद मां हैं और ऐसे मामलों में उन्हें सोचकर बोलना चाहिए था क्योंकि यहां रहने वाली बालिकाओं का हम विवाह भी कराते हैं। ऐसी टिप्पणी करने से उनसे कौन शादी करेगा। उन्होंने साफ किया कि राजकीय संवासिनी गृह की 57 बालिकाओं में कोविड 19 संक्रमण एक महिला कर्मचारी से पहुंचा है। स्टाफ की कमी के चलते महिला कर्मचारी काे क्वारंटीन न कराना सबसे बड़ी चूक रही, जिसकी वजह से इतनी बड़ी संख्या में बालिकाएं संक्रमित हुई हैं।
किसी भी बालिका को नहीं एचआवी और हेपेटाइटिस सी
उप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी ने मंगलवार को सर्किट हाउस पहुंचकर पुलिस, प्रशासन और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की और पूरे मामले की जानकारी ली। इसके बाद पनकी स्थित केडीए ड्रीम्स पहुंची जहां बालिकाओं को क्वारंटीन किया गया है। एक बालिका से बातचीत की और इलाज, सुविधाओं के बाबत पूछताछ की।
पत्रकारों से वार्ता में उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। इसी क्रम में वह यहां पर आई हैं और बुधवार को रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेंगी। उन्होंने संवासिनी गृह की बालिकाओं में एचआइवी और हेपेटाइटिस सी होने की बात को भी सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि इसे लेकर वह खुद भी हैरान हैं कि आखिर यह बात खबरों का हिस्सा कैसे बन गई। जिला प्रशासन या सीएमओ द्वारा मामला स्पष्ट न करे जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह बात उन्हीं से पूछिए।
संक्रमित महिला को क्वारंटाइन न किया जाना सबसे बड़ी चूक
पूरे मामले में चूक मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा 9 और 12 जून को दो बालिकाओं की डिलीवरी हुई थी, जो महिला कर्मचारी पॉजिटिव आई हैं उसका नियमित आना जाना था। ऐसे में उससे ही संक्रमण बालिकाओं तक पहुंचा। उसका क्वारंटीन न किया जाना ही सबसे बड़ी चूक थी। उन्होंने तर्क भी दिया कि बालिका गृह में स्टाफ की कमी के चलते उसे क्वारंटीन नहीं किया गया। साथ ही 15 जून को पहला केस आने के बाद 17 जून को 33 बालिकाएं कोरोना पॉजिटिव आयीं थीं।
इतनी बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव आने के बाद 20 जून को बालिकाओं को क्वारंटीन किया गया। तीन दिनों तक सभी की रिपोर्ट का इंतजार करना भी प्रशासन की बड़ी चूक थी। उन्होंने यह भी माना कि राजकीय संवासिनी गृह में क्षमता से अधिक बालिकाएं रह रहीं हैं। इस पूरे प्रकरण पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही हैं। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।