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Kanpur Rojnamcha Column: भारी पड़ा फोटो खिंचाने का रिवाज, ए ये पब्लिक है कब मानती है...

कानपुर महानगर में पुलिस महकमे में कई बातें चर्चा में तो रहती हैं लेकिन सुर्खियां नहीं बन पाती हैं। इन्ही चर्चाओं को चुटीले अंदाज में लोगों तक रोजनामचा कॉलम पहुंचाता है। इस बार नेताओं को फोटो खिंचवाना भारी पड़ गया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 29 May 2021 10:58 AM (IST)Updated: Sat, 29 May 2021 10:58 AM (IST)
Kanpur Rojnamcha Column: भारी पड़ा फोटो खिंचाने का रिवाज, ए ये पब्लिक है कब मानती है...
कानपुर की पुलिस महमके की चर्चा है रोजनामचा कॉलम।

कानपुर, गौरव दीक्षित। कानपुर महानगर में पुलिस महकमे की हलचल को आपतक चुटीले अंदाज में लेकर आता है रोजनामचा कॉलम। इस बार पुलिस ने नकली इंजेक्शन में आरोपित को गिरफ्तार किया तो नेताओं पर फोटो खिंचवाने का रिवाज भारी पड़ गया।

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भारी पड़ता फोटो खिंचाने का रिवाज

ब्लैक फंगस में कारगर लाइपोजोनल एम्फोटेरेसिन बी के नकली इंजेक्शन के साथ गिरफ्तार प्रताप मिश्रा की वायरल तस्वीरों ने भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है। आपदा के इस असुर के साथ संबंधों को लेकर अब भाजपा के नेता कन्नी काट रहे हैं, वहीं एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि बड़े लोगों के साथ सेल्फी से संबंधों का पता कैसे चलाया जाए। तमाम लोग रोजाना साथ खड़े होकर सेल्फी लेते हैं। अब कौन जाने कि साथ वाला व्यक्ति कैसा है। कानपुर के लिए सेल्फी का यह खतरा नया नहीं है। पूर्व एसएसपी अनंत देव भी बिकरू कांड में गिरफ्तार किए गए जय बाजपेयी के साथ सेल्फी वाली फोटो की वजह से ही विवादित हुए और बाद में उन्हें निलंबन का दंश भी झेलना पड़ा। अब नया मामला सामने आने के बाद एक बार फिर सेल्फी को लेकर माननीय से लेकर अफसर पर सतर्क हो गए हैं।

यह दाग नहीं धुलेगा

कमिश्नरेट पुलिस प्रणाली लागू होने के बाद बड़े जोर-शोर से यह कहा गया कि पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर किया जाएगा। मगर, काकादेव में 15 दिनों में सामने आई दो घटनाओं से साबित हो गया है कि कितनी भी सख्ती कर लो, कुछ लोगों से सुधार की गुंजाइश नहीं की जा सकती। पिछले दिनों सत्ताधारी एक विधायक के घर के बाहर से पकड़े गए बदमाशों पर तमंचा लगाने को लेकर वायरल वीडियो से काकादेव पुलिस की फजीहत के बाद शुक्रवार को एक ऑडियो वायरल हुआ। इसमें एक महिला से मारपीट करने का आरोपित अपने साथी से बातचीत में स्वीकार कर रहा है कि उसकी थाना पुलिस से सेङ्क्षटग हो गई है। वह यहां तक कह रहा है कि वह थाना तमंचा लगाकर गया था, पर उसका कुछ नहीं हुआ। ऐसे में बेहतर पुलिङ्क्षसग के दावों पर सवाल खड़े होने लाजमी हैं। शायद पुलिस दाग धुलने का तैयार नहीं है।

काम बोलता है

पुलिस की क्राइम ब्रांच में तैनाती को साइड पोङ्क्षस्टग माना जाता है। कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने से पहले पूर्व के अफसर को पूरे कार्यकाल बस यही गम रहा कि सरकार उनकी योग्यता के हिसाब से उनसे काम नहीं ले रही है। बेचारों में किसी तरह से नौ महीने का अपना कार्यकाल काटा। मगर, अब वही क्राइम ब्रांच धूम मचाए है। मानव तस्करी, नकली खाद्य पदार्थ, नकली सीमेंट फैक्ट्री जैसे तमाम गिरोह को अब तक क्राइम ब्रांच टीम सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है। बड़े साहब का दावा है, वह क्राइम ब्रांच को इतनी मजबूत बना देंगे कि आने वाले वक्त में आइपीएस जोन में नहीं बल्कि क्राइम ब्रांच में तैनाती की सिफारिश करेंगे। क्राइम ब्रांच के धूम धड़ाके ने साबित कर दिया है कि वाकई में काम बोलता है। कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच दो महीने में इतने गुडवर्क कर चुकी है, जितने पिछले पांच वर्षों में भी नहीं हुए होंगे।

ये पब्लिक है कब मानती है

कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद झकरकटी से जरीब चौकी तक मॉडल रोड तैयार होनी है। इसके तहत पुलिस ने सड़क के दोनों ओर अतिक्रमण को हटवाया था, ताकि मार्ग चौड़ा हो सके। इसी बीच कोरोना ने रफ्तार पकड़ी और सभी योजनाएं ठंडे बस्ते में चली गईं। इधर पुलिस ने सड़क का जो हिस्सा अतिक्रमण मुक्त कराया था, वहां दोबारा से अतिक्रमण होने लगा है। फिलहाल वाहन कम हैं तो समस्या नहीं है, मगर जैसे ही कोरोना कफ्र्यू खत्म होगा और भीड़ बढ़ेगी, वहां से गुजरना फिर भारी पड़ेगा। सभी व्यवस्थाएं आम लागों को सहूलियत देने के लिए भी बनाई जाती हैं, मगर आम आदमी ही इन्हें बनाए नहीं रखता। शहर की यातायात व्यवस्था में बड़ा रोड़ा सड़क किनारे अतिक्रमण है जो कि आम आदमी की ही देन है। खबरी के मुताबिक शहर में कोरोना संक्रमण थमने के बाद सबसे ज्यादा सख्ती यातायात प्रबंधन पर ही होने जा रही है।


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