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Kanpur Rojnamcha Column: प्रति रिपोर्ट की फीस लेकर कहते हैं- हम सिर्फ गांधी जी की सिफारिश मानते हैं

कानपुर पुलिस विभाग की पर्दे के पीछे की कारगुजारियों और चर्चाओं को बाहर लेकर आता है रोजनामचा कॉलम। बीते एक सप्ताह की चर्चाओं में इस बार एक सर्किल में तैनात दीवान चर्चा में हैं जिन्होंने प्रति रिपोर्ट फीस तय कर रखी है।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Sat, 24 Apr 2021 09:15 AM (IST)Updated: Sat, 24 Apr 2021 09:15 AM (IST)
Kanpur Rojnamcha Column: प्रति रिपोर्ट की फीस लेकर कहते हैं- हम सिर्फ गांधी जी की सिफारिश मानते हैं
खबरों को चुटीले अंदाज में लेकर आया है साप्ताहिक कॉलम रोजनामचा।

कानपुर, [आशीष पांडेय]। कानपुर शहर में पुलिस विभाग में कई चर्चाएं बाहर नहीं आ पाती हैं, ऐसी खबरों को चुटीले अंदाज में लेकर आया है साप्ताहिक कॉलम रोजनामचा। शहर के एक सर्किल में तैनात दीवान का मानना है कि लोेग लगाते रहें चक्कर हम तो सिर्फ गांधी जी की सिफारिश मानते हैं।

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  • हम सिर्फ 'गांधी जी' की सिफारिश मानते हैं...

देखो भाई सही-गलत क्या है हमसे मतलब नहीं। लोग जगह-जगह से अपना काम कराने के लिए फोन पर सिफारिश कराते हैं, लेकिन उससे कोई फायदा नहीं है। लगाते रहें चक्कर हम तो सिर्फ गांधी जी की सिफारिश मानते हैं। शहर के एक सर्किल में तैनात दीवान का यही मानना है। दरअसल यहां अक्सर धोखाधड़ी के मामलों में प्रार्थना पत्र के आधार पर संबंधित थाने से आख्या मांगी जाती है। थाने से रिपोर्ट लगकर उच्चाधिकारियों के यहां होकर आगे जाती है। सही को सही और गलत को भी सही करने के लिए गांधी जी से सिफारिश लगवानी पड़ती है। गांधी जी की सिफारिश हो गई तो काम बना, नहीं तो फरियादी चक्कर काटता रहे। खास बात ये है कि दीवान ने तो प्रति रिपोर्ट फीस भी तय कर रखी है। विधायक हो या कोई अन्य जनप्रतिनिधि गांधी जी की सिफारिश पर ही काम करा सकते हैं।

  • वांछित चौकी में बैठकर करा रहा समझौता

सीसीटीवी कैमरे चोरी के मामले में वांछित चल रहा आरोपित दो दिन पहले एक ट्रक और कार की भिड़ंत के मामले में समझौता कराने चौकी पहुंच गया। जब एक दारोगा को इस बात की जानकारी हुई अमुक व्यक्ति तो वांछित है तो उसे संबंधित चौकी को इस बारे में जानकारी दी, जिन महोदय के पास जानकारी पहुंची वे तपाक से बोल पड़े कि भाई, इसमें दम नहीं है। पकडऩा तो इसके हिस्ट्रीशीटर साथी को है। आखिरकार वांछित घंटों चौकी में बैठा रहा और दोनों पक्षों के बीच फैसला कराने में जुटा रहा। जब इस बारे में और जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि मामला खाकी से जुड़ा होने के कारण नरमी बरती जा रही है। सवाल ये है कि महज एक प्रार्थना पत्र पर दूसरे थाना क्षेत्र से युवक को हिरासत में लेकर दिनभर थाने में बैठाने वाली पुलिस क्षेत्र में खुलेआम घूम रहे हिस्ट्रीशीटर पर इतनी दयावान क्यों है।

  • मातहत बताते कि साहब अभी व्यस्त हैं

शहर में तैनात एक अधिकारी को कमिश्नरेट में भी बड़ी जिम्मेदारी मिल गई है। जिम्मेदारी मिलने के बाद से उनकी व्यस्तता इतनी बढ़ गई है कि कुछ पूछिये ही नहीं। फोन पर भी बात करना मुश्किल हो जाता है। अगर फोन मिलाया जाए तो अधीनस्थ ही फोन उठाकर बताते हैं कि साहब अभी व्यस्त हैं। जिम्मेदारी मिलने के बाद साहब की व्यस्तता तो बढ़ी है, लेकिन काम अब तक नजर नहीं आया है। काम पर बात की जाए तो अपराध में भी कमी नहीं आयी है। अपराध का जो ग्राफ गिरा है वह सिर्फ नाइट कफ्र्यू और लॉकडाउन की वजह से है। नहीं तो साहब की चौकसी का आलम यह है कि एक तरफ लुटेरों के गैंग का राजफाश हुआ कुछ देर में लुटेरों ने फिर से लूट की वारदात को अंजाम देकर पुलिस को चुनौती दे डाली। पुराने बड़े व चॢचत मामलों की जांच भी एक कदम भी नहीं बढ़ी।

  • कारखास के जरिए खेल करने के प्रयास में माफिया

एक दुर्घटना के मामले में खनन माफिया की ट्रैक्टर-ट्राली पकड़ गई। ट्रैक्टर-ट्राली पकड़े जाने के बाद से खनन माफिया ने थाने और चौकी में सेटिंग बैठाने के लिए चक्कर काटने शुरू कर दिए हैं। प्रतिदिन सुबह शाम मंदिर की तरह थाने और चौकी में हाजिरी लगा रहे हैं, लेकिन अभी मामला फिट नहीं हुआ है। सीधी सेटिंग न बनने पर उसने कई लोगों से सलाह ली तो उसे ट्रैक्टर बदलवाने का सुझाव दिया। इस पर माफिया ने डंपर पास कराने के नाम पर चौथ लेने वाले कारखास से संपर्क किया है। माफिया अब कारखास के जरिए इंश्योरेंस वाले ट्रैक्टर को दिखाने के लिए जुगाड़ बनाने में लगा है। सूत्रों के मुताबिक खनन माफिया का प्रयास है कि पकड़े गए ट्रैक्टर-ट्राली के स्थान पर इंश्योरेंस वाली ट्रैक्टर-ट्राली लगाई जाए, जिससे हादसे का शिकार होने वाले को मुआवजा न देना पड़े। जो कुछ भी लेनदेन होना है वह इंश्योरेंस कंपनी के माध्यम से हो।


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