परिवहन मंत्रालय से मिले संकेत, कानपुर के रिंग रोड प्रोजेक्ट को जल्द मिलेगी मंजूरी, पहले बनेगा बाईपास
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने मंडलायुक्त के साथ की समीक्षा। रोड के तीन अलाइनमेंट के प्रस्तुतीकरण को अफसरों ने देखा मंधना से सचेंडी बाईपास पर जोर।इन प्रोजेक्ट को लाभ होगा ऐसे में यूपीडा यूपीसीडा और केडीए भी रिंग रोड प्रोजेक्ट में वित्तीय भागीदारी कर सकेंगे।
कानपुर, जेएनएन। शहर को जाम मुक्त कराने के लिए शुरू की गई दैनिक जागरण की मुहिम रंग ला रही है। रिंग रोड प्रोजेक्ट को जल्द ही मंजूरी मिलने के संकेत राष्ट्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से मिले हैं। रिंग रोड के लिए गंभीर प्रयास कर रहे मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर की पहल पर मंत्रालय के संयुक्त सचिव अमित घोष ने मंगलवार को ऑनलाइन मीटिंग की। उन्होंने कंसलटेंट के बनाए तीनों अलाइनमेंट का प्रस्तुतीकरण कराया और मंडलायुक्त से कहा कि परीक्षण कर लें और जो उपयुक्त लगे, उसके बारे में उन्हें बताएं। तय किया गया कि मंधना से भौंती या सचेंडी तक पहले बाईपास बनाकर शहर को जाम से मुक्ति दिलाई जाए और फिर इस बाईपास को ङ्क्षरग रोड का हिस्सा बनाया जाएगा। मंडलायुक्त 12 दिसंबर को बैठक कर अलाइनमेंट व बाईपास के प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देंगे और फिर शासन के माध्यम से मंत्रालय को भेजा जाएगा।
तीन में से किसी एक का ही प्रस्ताव होगा मंजूर
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से नामित कंसलटेंट ने 85 किमी, 101 किमी और 105 किमी लंबे आउटर रिंग रोड का तीन अलाइनमेंट बनाया है। इनमें से किसी एक को ही मंत्रालय को मंजूर करना है। इनमें कौन उपयुक्त है, यह मंडलायुक्त की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समग्र विकास समिति तय करेगी।
अरसे बाद मिलेगी मंजूरी
समिति ने ही ने ही पांच साल पहले जीटी रोड को मंधना के पास से भौंती के पास दिल्ली- प्रयागराज हाईवे से जोडऩे के लिए बाईपास का प्रस्ताव बनाया था। तय किया गया था कि इसे बाद में ङ्क्षरग रोड का हिस्सा बना दिया जाएगा। हालांकि प्रोजेक्ट मंजूर नहीं हुआ। अब मंडलायुक्त ने शहर को राहत दिलाने के लिए मंत्रालय को पत्र भेजा तो बैठक हुई। वीडियो कांफ्रेंसिंग में संयुक्त सचिव अमित घोष ने कहा कि रिंग रोड केडीए की सीमा से बाहर रखना उचित रहेगा, इससे परियोजना की लागत कम आएगी।
ये कहते हैं मंडलायुक्त
मंडलायुक्त ने कहा कि अगर मंधना- भौंती बाईपास का निर्माण हो जाए तो शहर को जाम से तत्काल राहत मिल जाएगी और कम समय में यह काम हो जाएगा। बाद में इसे रिंग रोड का हिस्सा बना लिया जाए। कंसलटेंट अख्तर हुसैन ने कहा कि भौंती तक बाईपास बनाने की जगह सचेंडी तक बनाया जाए। दूरी भले ही अधिक होगी और लागत बढ़ेगी, लेकिन यह बाईपास आबादी से बाहर होगा। अधिकारियों ने 101 किमी के आउटर रिंग रोड के अलाइनमेंट को उपयुक्त बताया।
संयुक्त सचिव ने मंडलायुक्त से कहा कि वह बैठक कर ङ्क्षरग रोड प्रोजेक्ट और बाईपास के बारे में समझ लें और फिर बताएं। एनएचएआइ के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने भी मंधना-भौंती या मंधना-सचेंडी बाईपास को तत्काल के लिए उपयोगी बताया। बैठक में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के मुख्य महाप्रबंधक नवीन कुमार, समिति के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव, एनएचएआइ के कानपुर इकाई के पीडी पंकज मिश्र व कन्नौज के पीडी गौरव गुप्ता उपस्थित रहे।
12 को मंडलायुक्त करेंगे प्रोजेक्ट पर चर्चा
मंडलायुक्त ने 12 दिसंबर को बैठक बुलाई है। इसमें तय होगा कि मंधना से भौंती तक बाईपास बनाया जाए या मंधना से सचेंडी तक। अगर मंधना से भौंती तक बनेगा तो इसकी लंबाई करीब 15 किमी होगी जबकि सचेंडी तक बनेगा तो 22 किमी होगी। बैठक में डीएम, केडीए वीसी, समन्वयक नीरज श्रीवास्तव, एनएचएआइ के परियोजना निदेशक, नगर आयुक्त, पीडब्ल्यूडी के अफसर शामिल होंगे।
मंधना-शुक्लागंज मार्ग हो सकता है रिंग रोड का हिस्सा
संयुक्त सचिव ने कहा कि मंधना से गंगा बैराज होते हुए शुक्लागंज जाने वाले बंधे पर सड़क को रिंग रोड का हिस्सा बनाया जा सकता है। नीरज श्रीवास्तव ने उन्हें बताया कि यह सड़क ङ्क्षसचाई विभाग के बंधे पर बनाई गई है, निर्माण लोक निर्माण विभाग ने किया है। बैठक में इसका परीक्षण किया जाएगा। इस मार्ग ने कानपुर- लखनऊ हाईवे को कानपुर जीटी रोड से जोड़ दिया है। इस पर पर्याप्त यातायात भी है। संयुक्त सचिव ने मंडलायुक्त से कहा कि पूर्व में ट्रांसगंगा सिटी को लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे से जोडऩे के लिए सड़क बनाने का प्रस्ताव बना था, उसका भी परीक्षण करा लें ताकि पता चले कि इस रिंग रोड का लाभ कैसे सिटी को मिलेगा।
प्राधिकरण से वित्तीय सहभागिता का सुझाव
संयुक्त सचिव ने कहा कि कानपुर विकास प्राधिकरण और अन्य विकास प्राधिकरण भी रिंग रोड के आसपास उपयोगी प्रोजेक्ट बनाएं ताकि वे भी ङ्क्षरग रोड के प्रोजेक्ट में वित्तीय सहभागिता कर सकें। उन्होंने प्रोजेक्ट निर्माण में केंद्र-राज्य सरकार की वित्तीय सहभागिता के बारे में बताया। पटना व कई अन्य प्रोजेक्ट में राज्य सरकारों ने किस तरह वित्तीय सहभागिता की है, इसका उदाहरण दिया।
रिंग रोड को लेकर मंत्रालय गंभीर : अमित घोष
संयुक्त सचिव अमित घोष ने कहा कि रिंग रोड प्रोजेक्ट के निर्माण को लेकर मंत्रालय गंभीर है। शहर में जाम की समस्या के समाधान के लिए ङ्क्षरग रोड बहुत ही जरूरी है। मंडलायुक्त, डीएम व संबंधित विभागों के अधिकारी प्रस्तावित अलाइनमेंट का परीक्षण मौके पर जाकर जरूर कर देख लें कि कौन-कौन से बिंदु उपयोगी हैं।
101 किमी के रिंग रोड के लिए चाहिए 608 हेक्टेयर भूमि
101 किमी आउटर रिंग रोड के निर्माण के लिए 608 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी। निर्माण की लागत 28 सौ 78 करोड़ रुपये आएगी। भूमि अधिग्रहण की लागत अलग है। भूमि अधिग्रहण में आने वाले खर्च में राज्य सरकार की अंशधारिता होती है। अब राज्य सरकार को यह प्रस्ताव देना है कि वह भूमि अधिग्रहण में आने वाले खर्च में से कितनी राशि देना चाहती है।
03 अलाइनमेंट रिंग रोड का बना है
85 किमी, 101 किमी और 105 किमी का
101 किमी लंबे रिंगरोड के निर्माण की लागत 2878 करोड़
05 हाईवे कानपुर से होकर गुजरते हैं जो जाम का कारण हैं।
कुछ ऐसा है अलाइनमेंट
ङ्क्षरग रोड का फिलहाल 101 किमी का जो अलाइनमेंट है, उसके अनुसार कानपुर-प्रयागराज हाईवे के हाथीपुर गांव से शुरू होकर कानपुर- हमीरपुर हाईवे के निहालपुर गांव के पास से कानपुर- इटावा हाईवे के चकरपुर मंडी के आगे सचेंडी के पास से होते हुए जीटी रोड पर रामनगर गांव के पास से होकर कानपुर- लखनऊ हाईवे को उन्नाव बाजार के समीप से होते हुए फिर प्रयागराज हाईवे पर हाथीपुर गांव के पास जाकर मिलाने की योजना है। गंगा पर बिठूर और ड्योढ़ी घाट के पास पुल बनेगा। पांडु नदी पर तीन पुल बनेंगे। विभिन्न सड़कों पर 17 छोटे पुल, तीन फ्लाईओवर, छह ओवरब्रिज और 54 अंडर पास बनाने की योजना है। इसमें मंधना-बैराज-शुक्लागंज मार्ग को शामिल करते हैं तो लागत कम हो जाएगी।
बाईपास देगा बड़ी राहत
अगर मंधना-भौंती बाईपास या मंधना-सचेंडी बाईपास बन जाए तो बड़ी राहत मिल जाएगी, इसके बन जाने से सारे हाईवे एक दूसरे से जुड़ जाएंगे। अलीगढ़, हरदाई, बांगरमऊ की ओर से आने वाले लोग जिन्हें हमीरपुर जाना है या प्रयागराज, बांदा, महोबा, चित्रकूट जाना है, आसानी से शहर के बाहर- बाहर जाएंगे। इसी तरह प्रयागराज, फतेहपुर, हमीरपुर की ओर से आने वाले लोग जिन्हें कन्नौज की ओर जाना है, वे भी जाम में नहीं फंसेंगे।
अभी यहां लगता है जाम
मंधना, कल्याणपुर, गुरुदेव चौराहा, जरीब चौकी , टाटमिल, रामादेवी, चकेरी, नौबस्ता, पनकी, भौंती आदि जगहों पर जाम लगता है। सिर्फ एक बाईपास ही यहां जाम से मुक्ति देगा और जब ङ्क्षरग रोड बन जाएगा तो शहर पूरी तरह जाम से मुक्त हो जाएगा।
औद्योगिक विकास को लगेंगे पंख
इस ङ्क्षरग रोड के किनारे ही साढ़ गांव के पास डिफेंस कॉरिडोर बसाने के लिए भूमि ली जा रही है। गंगा बैराज पर ट्रांसगंगा सिटी का विकास हो रहा है। रमईपुर में 60 एकड़ में प्लास्टिक पार्क और 235 एकड़ में मेगा लेदर क्लस्टर प्रस्तावित है। चकेरी औद्योगिक क्षेत्र को भी पंख लगेंगे। यहां बाहर के उद्यमी आसानी से निवेश कर सकेंगे। मंधना में औद्योगिक क्षेत्र बसाया जाना है। यहां भी भूमि उपलब्ध है। कानपुर विकास प्राधिकरण आसानी से इस रिंग रोड के आसपास नया शहर बसा सकेगा। आवासीय प्रोजेक्ट लांच किए जा सकेंगे। इससे शहर में बढ़ती आबादी के दबाव को भी कम करने में मदद मिलेगी। इन प्रोजेक्ट को लाभ होगा ऐसे में यूपीडा, यूपीसीडा और केडीए भी रिंग रोड प्रोजेक्ट में वित्तीय भागीदारी कर सकेंगे।
रिंग रोड से मिलेगी बड़ी राहत
शहर से होकर दिल्ली- कानपुर- प्रयागराज हाईवे, कानपुर- झांसी हाईवे, कानपुर- लखनऊ हाईवे, कानपुर- हमीरपुर - सागर हाईवे और कानपुर - अलीगढ़ जीटी रोड गुजर रही है। इस वजह से शहर में हर रोज जाम लगता है। इस समस्या का समाधान ङ्क्षरग रोड से ही निकलेगा।