लखनऊ खंडपीठ से जुड़ने को कानपुर है तैयार, अवध बार एसोसिएशन को दिया गया समर्थन
कानपुर का न्यायिक क्षेत्राधिकार लखनऊ से जोडऩे की उठाई गई आवाज को कानपुर बार एसोसिएशन का समर्थन मिला है। वर्तमान में इलाहाबाद हाईकोर्ट में कानपुर का न्यायिक क्षेत्राधिकार है। इसे खत्म करने लखनऊ से जोडऩे की मांग अवध बार एसोसिएशन ने की है।
कानपुर, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट में कानपुर का न्यायिक क्षेत्राधिकार है। इसे खत्म करने लखनऊ से जोड़ने की मांग अवध बार एसोसिएशन ने की है। इसके लिए अवध बार एसोसिएशन लखनऊ में आंदोलन भी चला रही है। संस्था के आंदोलन को कानपुर बार एसोसिएशन ने भी अपना समर्थन दे दिया है। पदाधिकारी भी चाहते हैं कि कानपुर समेत अन्य जिलों का क्षेत्राधिकार लखनऊ खंडपीठ से जुड़ जाए।
कानपुर के लोगों को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने के लिए अभी 200 किमी से ज्यादा का सफर तय करना पड़ता है जबकि यह क्षेत्राधिकार लखनऊ खंडपीठ से जुड़ा तो यहां के लोगों को हाईकोर्ट जाने के लिए 80 किमी की दूरी तय करनी होगी। वादकारी को सस्ता और सुलभ न्याय के तहत लखनऊ की अवध बार एसोसिएशन ने इन बिंदुओं को उठाते हुए कानपुर मंडल के सभी जिलों का न्यायिक क्षेत्राधिकार लखनऊ खंडपीठ में जोड़ने की मांग की है। इसे लेकर वह लगातार आंदोलन भी कर रहे हैं। कानपुर बार एसोसिएशन भी इसके लिए तैयार है।
कानपुर बार एसोसिएशन के महामंत्री राकेश तिवारी ने बताया कि सहमति पत्र अवध बार को दिया जा चुका है। हम भी चाहते हैं कि शहरवासियों को सस्ता और सुलभ न्याय प्राप्त हो। लखनऊ खंड पीठ से जुड़ाव होने से वादकारियों के साथ ही अधिवक्ताओं को ज्यादा सफर करने से बचना पड़ेगा और वह मुकदमा लड़ने की तैयारी को और समय दे सकेंगे।
1972 में उठी थी पहली बार मांग
बार एसोसिएशन के महामंत्री बताते हैं कि वर्ष 1972 में पहली बार अवध बार एसोसिएशन ने यह मांग उठायी थी। तब अवध बार एसोसिएशन के तत्कालीन महामंत्री को अवमानना का नोटिस दे दिया गया था। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद यह मामला निपटा था। इसके बाद 2004-05 में यह मामला उठाया गया। अब एक बार फिर इस मुद्दे को अवध बार एसोसिएशन ने उठाया है।
82 न्यायिक अधिकारियों के बैठने की है व्यवस्था
महामंत्री बताते हैं कि लखनऊ खंडपीठ में 82 न्यायिक अधिकारियों के बैठने की व्यवस्था है। इस क्षमता का पूर्ण रूप से प्रयोग होना चाहिए। कानपुर के साथ ही इटावा, औरैया, कन्नौज, फरूखाबाद और कानपुर देहात का न्यायिक क्षेत्राधिकार जुडऩे से यहां के वादकारियों को राहत मिलेगी।