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कानपुर के पहले पुलिस आयुक्त ने कहा, कमिश्नरेट में माफिया पर होगी कड़ी चोट, पढ़िए- उनका इंटरव्यू

कानपुर में नवनियुक्त पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने अपराध और अपराधी यातायात और महिला सुरक्षा के अलावा शहर को लेकर सबसे बड़ी चुनौती नई व्यवस्था के बारे में बातचीत की। उन्होंने माफिया पर सख्त शिकंजा कसने की बात कही।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 28 Mar 2021 07:44 AM (IST)Updated: Sun, 28 Mar 2021 07:44 AM (IST)
कानपुर के पहले पुलिस आयुक्त ने कहा, कमिश्नरेट में माफिया पर होगी कड़ी चोट, पढ़िए- उनका इंटरव्यू
पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने साझा की अपनी योजना।

कानपुर, जारगण स्पेशल। कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद कानपुर के पहले पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने कार्यभार संभाल लिया है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती नई व्यवस्था के साथ काम को आगे बढ़ाना है। अपराध और अपराधी, यातायात और महिला सुरक्षा के अलावा कानपुर को लेकर उनकी क्या योजनाएं है, इस पर शनिवार को पुलिस आयुक्त से बातचीत की गई। पुलिस आयुक्त ने दो टूक कहा कि माफिया पर कड़ी चोट होगी। यातायात प्रबंधन ऐसा होगा, जिसमें चौराहे पर पुलिस तैनात करने की जरूरत न पड़े। आधी रात को भी यातायात रोड लाइट के इशारे पर दौड़े। दैनिक जागरण संवाददाता गौरव दीक्षित की पुलिस आयुक्त से हुई बातचीत के प्रमुख अंश...

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प्रश्न - आपके पिता प्रदेश के डीजीपी थे और कानपुर में भी बतौर आइजी तैनात रहे। आपको भी कानपुर का पहला पुलिस आयुक्त बनने का गौरव मिला। कैसा अनुभव कर रहे हैं?

उत्तर - यह जिम्मेदारी मेरे लिए सौभाग्य की बात है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रदेश में कमिश्नरेट का मूल प्रस्ताव कानपुर के लिए ही था जो अब मूर्त रूप ले सका। इसके अलावा पिता जी की कानपुर से जुड़ी यादें भी इस शहर से मेरा जुड़ाव बढ़ाती हैं। उन्होंने यहीं से डीएवी कॉलेज से बीए, एमए और एलएलबी की डिग्री हासिल की। कुछ समय के लिए वह शेयर मार्केट से भी जुड़े रहे। बाद में पिता जी वर्ष 1991 में आइजी बनकर कानपुर आए थे।

प्रश्न - कमिश्नरेट प्रणाली आम पुलिस प्रणाली से कैसे अलग है? क्या जो अतिरिक्त अधिकार मिले हैं, उससे कोई आमूलचूल बदलाव की संभावना है?

उत्तर - कमिश्नरेट प्रणाली को मैं चार शब्दों में सीमित करने की कोशिश करता हूं- ज्यादा अधिकारी, ज्यादा अधिकार, ज्यादा जिम्मेदारी और ज्यादा जवाबदेही। जो काम पहले एक डीआइजी या एसएसपी करते थे, अब उस काम को करने के लिए छह अधिकारी होंगे। पर्यवेक्षण की गुणवत्ता बढ़ेगी तो समस्याएं अपने आप दूर हो जाएंगी। जहां तक अधिकारों की बात है तो पुलिस के पास पहले से ही गिरफ्तारी समेत तमाम बड़े अधिकार थे, नई व्यवस्था में कुछ छोटे अधिकार भी मिल जाएंगे। इससे काम सरल होगा। असर दिखाई पड़ेगा मगर, कुछ समय लगेगा।

प्रश्न - लखनऊ और नोएडा में कमिश्नरेट प्रणाली लागू है। कानपुर में क्या कोई नई सोच के साथ आए हैं?

उत्तर - बदलाव तो करने हैं, लेकिन अभी पुरानों के अनुभवों को लेकर ही आगे बढऩा होगा। मेरा मानना है कि इससे व्यवस्था और बेहतर ढंग से काम कर सकेगी।

प्रश्न - कमिश्नर प्रणाली में पुलिस का संख्या बल क्या होगा, कब तक पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध हो सकेगा?।

उत्तर - दोनों अपर पुलिस आयुक्तों ने कार्यभार संभाल लिया है। डीसीपी भी मिल जाएंगे। पंचायत चुनाव को लेकर अन्य अधिकारियों की तैनाती में अभी वक्त लगेगा। पुलिस बल बढ़ेगा।

प्रश्न - डायल 112 में आप डेढ़ साल तक रहे। एटीएस व एसपीजी में काम का अनुभव है ,उसका आप पुलिङ्क्षसग में कैसे प्रयोग करेंगे?

उत्तर - एटीएस, एसपीजी, सीबीआइ सभी अपने-अपने क्षेत्रों की विशेषज्ञ एजेंसियां हैं। कानपुर में पुलिङ्क्षसग इन सभी का सम्मिलित रूप है। संगठित अपराध या साइबर क्राइम पर जब काम करते हैं तो सीबीआइ की तर्ज पर काम करते हैं। स्वाट जैसी पुलिस की एजेंसियां एनएसजी या एटीएस जैसी हैं। असल में पुलिस का असली काम क्षमता का विकास करना है, जिसमें पुलिस आयुक्त से लेकर सिपाही तक सभी को प्रयास करने होंगे।

प्रश्न - कानपुर में यातायात बड़ी समस्या है। आपकी क्या योजना है?

उत्तर - कमिश्नरेट प्रणाली में कानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण, महिला अपराधों पर रोकथाम के साथ ही यातायात पर भी खास जोर रहेगा। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस आइपीएस रैंक के अधिकारी को जिला संभालने की जिम्मेदार थी, उसी रैंक का अधिकारी केवल यातायात को संभालेगा। उनका साथ देने के लिए एक एडीसीपी और दो एसीपी भी रहेंगे। मेरा मानना है कि व्यवस्था ऐसी हो, जिसमें चौराहे पर पुलिस कर्मी यातायात संचालन के लिए न लगाने पड़ें। तकनीक ही ऐसी हो कि व्यवस्था सुधर जाए। इस संबंध में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए नगर आयुक्त से बात की है। उन्होंने आइटीएमएस की कुछ समस्याएं बताई हैं। शहर को सीसीटीवी कैमरे से लैस किया जाएगा। ऐसी व्यवस्था होगी, जिसमें रात के समय भी ट्रैफिक रोड लाइट के हिसाब से ही चलेगा।

प्रश्न - ड्रग्स, शराब और भूमाफिया शहर में खासे सक्रिय हैं, इनके लिए आपके पास क्या योजनाएं हैं?

उत्तर - सभी प्रकार के अपराध के मूल में भूमाफिया है। मेरा पहला निशाना भूमाफिया होंगे। संगठित गिरोहों और माफिया पर कड़ी चोट की जाएगी। मुझे बताया गया है कि पूर्व डीआइजी प्रीतिंदर सिंह ने अवैध शराब को लेकर टोल फ्री नंबर जारी किया है। ऐसे प्रयास आगे भी जारी रहेंगे।

प्रश्न - कमांडो ट्रेनिंग करने वाले आप प्रदेश के चंद आइपीएस में शामिल हैं। क्या सोचकर यह ट्रेनिंग ली?

उत्तर - किसी को गाड़ी चलानी सिखानी हो तो जरूरी है कि आपको भी गाड़ी चलाना आता हो। जिला पुलिस के लिए स्वाट टीम का गठन मेरा सपना था, लेकिन इसके लिए जरूरी था कि पहले मैं इस कार्य में खुद को दक्ष साबित करूं। वर्ष 2003 में कानुपर में एसपी इंटेलीजेंस के पद पर रहते हुए मैं चार माह की कठिन कमांडो ट्रेङ्क्षनग ली। कानपुर में भी सशक्त टीम स्वाट टीम का गठन करूंगा। हालांकि पूर्व डीआइजी ने बताया है कि उन्होंने स्वाट टीम का गठन किया है। देखना है कि उसमें कैसे जवान हैं।

प्रश्न - लखनऊ से कानपुर आते समय मुख्यमंत्री या डीजीपी ने कुछ कहा था?

उत्तर - मुख्यमंत्री महोदय, डीजीपी सर और अपर मुख्य सचिव गृह ने चलते समय कहा कि सरकार ने कानपुर में कमिश्नरेट का फैसला बड़ी उम्मीदों के साथ किया है। इन उम्मीदों पर खरा उतरना है। बड़ी जिम्मेदारी है, जिसमें जनता की कसौटी पर खरा उतरना होगा।

प्रश्न - कानपुर के लिए क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर - सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सभी आम नागरिकों और जनप्रतिनिधियों से वादा करना चाहूंगा कि उन्हें बेहतर सुरक्षा और अपराध मुक्त समाज देने का प्रयास करूंगा।

दागी पुलिस कर्मियों को ढूंढ़ निकालेगी आंतरिक विजिलेंस इकाई

बिकरू कांड और संजीत हत्याकांड से पुलिस को लेकर नकारात्मक छवि बनी है। कई पुलिस वालों के दामन दागदार हैं। इसके बाद भी कई मामलों में पुलिस वालों पर अपराधियों के साथ सांठगांठ के आरोप लगे हैं। दागदार पुलिस वालों से निपटने के लिए भी पुलिस आयुक्त ने तैयारी कर रखी है। उन्होंने बताया कि वह इसके लिए एक आंतरिक विजिलेंस इकाई का गठन करने जा रहे हैं। यह टीम अपराधियों के साथ गठजोड़ करने वाले पुलिसकर्मियों, पुलिसिंग से इतर अन्य कारोबार करने वालों पर नजर रखेगी। ऐसे पुलिसकर्मियों के साथ कड़ाई से निपटा जाएगा। गौरतलब है कि पुलिस आयुक्त के पिता श्रीराम अरुण भी जब प्रदेश के डीजीपी बने तो उन्होंने पुलिस में भी कोर्ट मार्शल जैसी व्यवस्था की आवाज उठाई थी। वह पुलिस में सेना जैसा अनुशासन चाहते थे।


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