फर्जी पासपोर्ट बनवाकर कितनों को भेज दिया विदेश, आतंकी कनेक्शन को लेकर भी संदेह, कानपुर क्राइम ब्रांच ने किया गिरफ्तार
कानपुर में कर्नलगंज पुलिस व क्राइम ब्रांच टीम ने टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले संचालक को गिरफ्तार किया है। आतंकियों को देश के बाहर भेजने में भी संल्पित होने की आशंका पर जांच शुरू की गई है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। फर्जी दस्तावेजों की मदद से पासपोर्ट बनवाकर अब तक सैकड़ों लोगों को विदेश भेज चुके शातिर को कर्नलगंज पुलिस ने क्राइम ब्रांच की मदद से गिरफ्तार किया है। आरोपित के पास से मिले कंप्यूटर से जानकारियां एकत्र कर पड़ताल शुरू की गई है। आतंकियों को भी फर्जी दस्तावेजों से पासपोर्ट बनवाकर देश से बाहर भेजने में उसके संलिप्त होने की आशंका है।
डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल ने बताया, सोमवार देर रात कर्नलगंज स्थित अनाया टूर एंड ट्रैवल्स के कार्यालय में छापा मारकर पकड़े गए आरोपित की पहचान बाबूपुरवा निवासी वसीम अली के रूप में हुई है। वह फर्जी अंक पत्र, पासपोर्ट व आधार कार्ड तैयार कर पासपोर्ट बनवाता था। आरोपित के पास से पांच पीले रंग के बैग, जिसमें हाईस्कूल के चार प्रमाण पत्र, दो जाली पासपोर्ट, एक आधार कार्ड, छह रबर की मुहरें, पांच भारत सरकार के होलोग्राम, दो मोबाइल फोन, एक लैपटाप, एक कंप्यूटर, दो सीपीयू, दो कलर प्रिंटर, 35 से ज्यादा असली पासपोर्ट व अन्य कागजात बरामद हुए हैं।
कर्नलगंज थाना प्रभारी बलराम मिश्रा के मुताबिक, आरोपित फर्जी तरीके से पहले शैक्षिक दस्तावेज, निवास प्रमाण पत्र व अन्य कागजात तैयार करता था, फिर पासपोर्ट बनवाता था। कभी पासपोर्ट बनवाने में नाकाम रहता तो जाली पासपोर्ट बनाकर थमा देता था। उन्होंने बताया कि कंप्यूटर से मिले डाटा के आधार पर अब तक करीब 200 से अधिक लोगों का फर्जी पासपोर्ट बनाकर उन्हें विदेश भेजे जाने की बात सामने आई है। पड़ताल में यह संख्या और बढऩे की आशंका है। गिरफ्तारी करने वाली टीम में थाना कर्नलगंज के दारोगा अमित मलिक, दारोगा मोहम्मद फहीम खां, एसओजी टीम से दारोगा विजय दर्शन शर्मा, दारोगा सुनीत शर्मा, प्रदीप सिंह, रामजस, बन्धन कटियार, अजय, कमलकांत, नवीन कुमार आदि शामिल रहे।
कर्नलगंज पुलिस की सक्रियता से हुई गिरफ्तारी : आरोपित वसीम की गिरफ्तारी कर्नलगंज पुलिस की सक्रियता से हुई। एक पासपोर्ट के लिए कर्नलगंज थाने से रिपोर्ट मांगी गई। थाना पुलिस को दस्तावेजों में लगे अंक पत्र पर संदेह हुआ। जांच में अंकपत्र फर्जी निकला। जब पासपोर्ट बनवाने वाले को पुलिस ने तलब किया तो सारा खेल सामने आ गया। उसने बताया कि वसीम अली को आठ हजार रुपये, नाम, पता और मोबाइल फोन नंबर दिया था। उसके बाद वसीम ने ही सभी प्रमाण पत्र तैयार कराए। मामला क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। इसके बाद मंगलवार को आरोपित को पकड़ा गया।
मुस्लिम और खाड़ी देशों के लिए बने ज्यादा पासपोर्ट : पुलिस के मुताबिक, आरोपित के पास से 35 असली पासपोर्ट मिले हैं, जिन्हें कब्जे में लेकर दस्तावेजों की जांच शुरू की गई है। कंप्यूटर में सैंकड़ों लोगों का रिकार्ड मिला है, जिससे आशंका है कि इनके पासपोर्ट भी वसीम ने बनवाए। उसने ज्यादातर पासपोर्ट मुस्लिम व खाड़ी देशों की यात्रा पर जाने वालों के बनवाए।
पासपोर्ट विभाग भी सवालों के घेरे में : पासपोर्ट विभाग भी सवालों के घेरे में है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर फर्जी दस्तावेजों की मदद से असली पासपोर्ट कैसे तैयार होते रहे। क्या पासपोर्ट विभाग दस्तावेजों की पड़ताल नहीं करता। शक है कि विभाग के कुछ कर्मी वसीम के साथ मिले हुए हैं, जो बेरोकटोक उसके पासपोर्ट बनवाते रहे। मामला संवेदनशील होने के कारण अभी अधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं।
कहीं आतंकियों का मददगार तो नहीं वसीम : आशंका है कि वसीम ने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से तैयार पासपोर्ट की मदद से आतंकियों को देश के बाहर भेजने में भी मदद की। पिछले कई वर्षों से कानपुर में पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल आदि के आतंकियों के नाम व पहचान छिपाकर रहने की खबरें आती रही हैं। पिछले साल काफी कोशिश के बाद भी आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) व अन्य एजेंसियां ऐसे आतंकियों को पकडऩे में नाकाम रही थीं। आशंका है कि वसीम ने ही फर्जी दस्तावेजों से तैयार पासपोर्ट से उन्हें देश से बाहर भेजा। क्राइम ब्रांच इसकी पड़ताल कर रही है।