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नकली इंजेक्शन बेचने वाला सरगना गिरफ्तार, बिहार-गुजरात और एमपी समेत कई राज्यों तक फैला जाल

कानपुर पुलिस ने ब्लैक फंगस का नकली इंजेक्शन बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था। पुलिस को गिरोह के सरगना विजय के मोबाइल फोन से कई अहम सुबूत मिले हैं। अबतक पकड़े गए आरोपितों के खिलाफ रासुका के तहत भी कार्रवाई की जाएगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 07:46 AM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 09:33 AM (IST)
नकली इंजेक्शन बेचने वाला सरगना गिरफ्तार, बिहार-गुजरात और एमपी समेत कई राज्यों तक फैला जाल
कानपुर पुलिस को मिली बड़ी सफलता ।

कानपुर, जेएनएन। ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले लाइपोजोनल इम्फोटोरिसिन बी के नकली इंजेक्शन बेचने वाले गिरोह के सरगना विजय मौर्या को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उसके मोबाइल फोन में नकली दवाओं की सप्लाई से जुड़े कई अहम सुबूत मिले हैं। पता चला है कि गिरोह का नेटवर्क उत्तर प्रदेश से बाहर आधा दर्जन राज्यों तक फैला है। गिरोह के लोगों ने देश के विभिन्न हिस्सों में ब्लैक फंगस में इस्तेमाल होने वाली दवाएं बड़े पैमाने पर बेची हैं। हालांकि, ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि वह दवाएं नकली थीं या नहीं।

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सुबूत जुटाकर किया गिरफ्तार

ग्वालटोली पुलिस ने सोमवार को लखनऊ के कुर्सी रोड स्थित दो मेडिकल स्टोर संचालकों पंकज अग्रवाल और मधुरम बाजपेयी को पूछताछ के आधार पर हिरासत में लिया था। पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने बताया, उनसे पता चला था कि गिरोह का सरगना विजय मौर्या है। पुलिस ने उसको नोटिस देकर बयान के लिए बुलाया था। विजय के खिलाफ सुबूत मिलने पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) कलक्टरगंज त्रिपुरारी पांडेय ने बताया कि विजय का कुर्सी रोड पर ही मोहित मेडिकल स्टोर के नाम से प्रतिष्ठान है। उसके मोबाइल में मिली कॉल रिकार्डिंग और एसएमएस से साफ हो गया है कि गिरोह का जाल सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान व मध्यप्रदेश तक है। गैंग ने इन प्रांतों में बड़ी संख्या में नकली इंजेक्शन व दवाएं खपाई हैं। हालांकि, पूछताछ के बाद भी पुलिस अभी तक यह पता नहीं लगा सकी है कि विजय कहां से नकली इंजेक्शन लाता था। शीशी, रैपर और ढक्कन कहां बनाता था।

नकली इंजेक्शन के 10 हजार वायल खपाए

पुलिस के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ब्लैक फंगस का पहला मामला सामने आने के तीसरे दिन ही गिरोह ने नकली लाइपोजोनल इम्फोटोरिसिन बी इंजेक्शन तैयार कर लिया था। चौथे या पांचवें दिन इसे बाजार में उतार दिया गया। अब तक गिरोह के 10 हजार नकली इंजेक्शन सात से 15 हजार रुपये की कीमत में बेचने की बात सामने आई है।

कोरोना मरीजों को बेचे थे नकली रेमडेसिविर

एसीपी के मुताबिक, गिरोह कोरोना काल को आपदा में अवसर मानकर काम कर रहा था। कई सदस्य मेडिकल लाइन में हैं, इसलिए उन्हें दवाओं, जरूरी इंजेक्शन व अन्य उपकरणों के बारे में जानकारी रहती है। मधुरम बाजपेयी से पूछताछ में सामने आया है कि दूसरी लहर से पहले से यह गिरोह नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाकर बाजार में उतारा था। इंजेक्शन में दवाओं के स्थान पर ग्लूकोज भरा गया था। इसके अलावा आक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी भी खूब की। एक शहर से दूसरे शहर तक आक्सीजन सिलिंडर पहुंचाए गए। गिरोह ने एक आक्सीजन सिलिंडर के एक लाख रुपये तक वसूले थे।

यह था मामला

पिछले दिनों ग्वालटोली पुलिस ने एसीपी त्रिपुरारी पांडेय के नेतृत्व में ज्ञानेश शर्मा और प्रकाश मिश्रा नाम के दो व्यक्तियों को लाइपोजोनल इम्फोटोरिसिन बी के 68 नकली इंजेक्शन के साथ गिरफ्तार किया था। मामले में पुलिस ने शनिवार को प्रयागराज के काङ्क्षलदीपुरम में मेडिकल स्टोर संचालक अग्रवाल मेडिकल स्टोर के मालिक पंकज अग्रवाल और मधुरम मेडिकल स्टोर के मालिक मधुरम बाजपेयी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

  • -विजय के मोबाइल में ही उसके खिलाफ पर्याप्त सुबूत मिले हैं। काल रिकार्डिंग भी हैं। उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। -असीम अरुण, पुलिस आयुक्त

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