Kanpur Naptol Ke: सेलेब्रेटी के लिए दो लाख का डिनर नहीं आया रास, सांप गुजर गया अब लकीर पीट रहे
कानपुर शहर में व्यापारिक गतिविधियों के बीच खास चर्चा का विषय बनने वाली बातों को नापतोल के कॉलम लोगों तक पहुंचाता है। इस बार एक सेलेब्रेटी को कारोबारी का न्योता खास चर्चा में रहा है तो व्यापार मंडल में अब टिकट का कयास लगना शुरू हो गया है।
कानपुर, [राजीव सक्सेना]। कानपुर महानगर की बाजार सबसे बड़ी है तो यहां व्यापारिक गतिविधियां भी काफी ज्यादा है। शहर में व्यापारिक संगठन भी सक्रिय है और रोजाना हलचल बनी रहती है। इस हलचल की कुछ बातें चर्चा में तो आती हैं लेकिन सुर्खियां नहीं बन पाती हैं। इन्हें लोगों तक पहुंचाने के लिए है नापतोल के कॉलम...। आइए, जानते है इस सप्ताह किसकी खास चर्चा रही।
दो लाख का डिनर नहीं आया रास
पिछले दिनों शहर में एक सेलेब्रिटी मौजूद थीं। पहले दिन कार्यक्रम में लोग उनके ज्यादा से ज्यादा निकट रहने का प्रयास कर रहे थे। मंच से हटने के बाद भी उनसे बात करने, साथ में फोटो लेने के हरसंभव प्रयास हो रहे थे। पुराने संबंध तलाशे जा रहे थे। पहला दिन पूरा हुआ तो दूसरे दिन प्रयास शुरू हुआ कि कैसे उन्हें लंच या डिनर पर घर बुलाएं। शहर के एक बड़े कारोबारी ने घर पर डिनर का ऑफर किया। बातचीत के सेतु बने शख्स ने पांच लाख रुपये मांगे। कारोबारी को लगा कि यह तो कुछ ज्यादा हो गया है। उन्होंने कुछ देर बाद दोबारा बात की और दो लाख रुपये देने की बात की। अब गेंद सेलेब्रिटी के पाले में थी। उन्होंने इसे साफ नकार दिया। कारोबारी अब भी परेशान हैं कि किसी ने उनके साथ डिनर का ऑफर ठुकरा दिया वह भी दो लाख रुपये के साथ।
जंगल में मोर नाचा...
किसी मुद्दे पर विरोध इसलिए किया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक उसका संदेश पहुंचे। इसलिए विरोध करने वाले ऐसा ही स्थान तलाशते हैं जहां ज्यादा लोग उन्हें देख सकें। शहर में बड़ा चौराहा, शिक्षक पार्क, घंटाघर चौराहा जैसे स्थान हैं जहां लोग इसलिए प्रदर्शन करते हैं क्योंकि वहां से कुछ देर में हजारों लोग गुजरते हैं। गैस के दाम बढ़े तो एक राजनीतिक दल के व्यापारिक संगठन ने विरोध किया। यह विरोध प्रदर्शन ऐसी गली में किया गया जहां दो बाइक के बीच से तीसरी बाइक न निकल सके। खड़ंजे वाली गली के बीच में सिलिंडर रख, हाथों में पेट्रोल व डीजल के दाम कम करने के पोस्टर लेकर नारेबाजी भी हुई। गली में दोनों तरफ मकान थे लेकिन इस प्रदर्शन का कितना असर लोगों पर पड़ा, इसका अंदाजा इससे ही लग गया कि मकानों के छज्जे पर एक बच्चे के अलावा कोई झांकने तक नहीं आया।
सांप गुजर गया, लकीर पीट रहे
टैक्स सलाहकारों का पूरा काम कारोबारियों पर ही आधारित होता है। जीएसटी लागू होने के बाद जिस ट्रिब्यूनल के गठित होने की बात पिछले तीन वर्षों से ज्यादा समय से कही जा रही थी, वह भी आखिरकार बना दिया गया। इसमें कानपुर को कोई जगह नहीं दी गई है। इसे देखते हुए कुछ टैक्स सलाहकारों ने मुहिम भी चला रखी है। इस मुहिम में वे व्यापारिक संगठनों को आगे आने के लिए कह रहे हैं ताकि कानपुर में ट्रिब्यूनल गठित किए जाने के लिए अभियान शुरू किया जा सके। अब उनके इस अभियान के साथ तमाम टैक्स सलाहकार ही नहीं जुट रहे हैं। इन टैक्स सलाहकारों का कहना है कि कानपुर को जीएसटी ट्रिब्यूनल की बेंच न मिलने का निर्णय तो पिछले वर्ष ही हो गया था। विवाद तो यही था कि लखनऊ और प्रयागराज में कौन सी मुख्य बेंच होगी। ऐसे में अब किस बात का अभियान चलाया जाए।
उम्मीदों का ऊंचा महल
पिछले कई चुनाव से हर बार टिकट की लाइन में रहने वाले व्यापार मंडल के पदाधिकारी इस बार टिकट को लेकर कुछ ज्यादा ही आशान्वित हैं। आर्यनगर विधानसभा सीट से रास्ता साफ होने के बाद उनकी यह आस कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। उनका कारोबार भी आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र में है, इसलिए इधर उन्होंने क्षेत्र का भ्रमण भी शुरू कर दिया है। दुकान हो या कोई और सार्वजनिक स्थान वह यह बताना नहीं भूलते कि किसी और को सहयोग का कमिटमेंट न कर देना, टिकट फाइनल है, बस हरी झंडी होनी बाकी है। जो भी उनकी बात सुनता है वह बधाई और सहयोग का आश्वासन दिए बिना नहीं रहता। टिकट के प्रति वह कितने आशान्वित हैं, यह बात भी पूरे बाजार में फैल चुकी है, इसलिए बहुत से लोग तो उनकी दुकान पर पहुंचते ही बधाई देने लगते हैं। अब देखना है कि उनकी दाल गलती है या नहीं।