ढाई करोड़ रुपये से कोतवाली और लाल इमली होगी स्मार्ट, सुंदरीकरण के साथ रोशन होगी दोनों ऐतिहासिक इमारतें
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत दोनों इमारतों को चिह्नित किया गया है। इसके तहत कोतवाली को दो करोड़ रुपये से और लाल इमली को पचास लाख रुपये से व्यवस्थित किया जाएगा। नगर आयुक्त शिव शरणप्पा जीएन ने टेंडर कराके जल्द काम शुरू कराया जाए।
कानपुर : शहर की ऐतिहासिक इमारत कोतवाली और लाल इमली को स्मार्ट करने की तैयारी की जा रही है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत ढाई करोड़ रुपये से दोनों इमारतों का सुंदरीकरण किया जाएगा। इसके अलावा रोशनी से दोनों इमारतें जगमग होगी। दोनों ऐतिहासिक इमारतों के सुंदरीकरण के लिए 28 दिसंबर को टेंडर आमंत्रित किया गया है। चार माह में इमारतों की रूपरेखा बदल दी जाएगी।
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत दोनों इमारतों को चिह्नित किया गया है। इसके तहत कोतवाली को दो करोड़ रुपये से और लाल इमली को पचास लाख रुपये से व्यवस्थित किया जाएगा। नगर आयुक्त शिव शरणप्पा जीएन ने स्मार्ट सिटी के प्रभारी आरके ङ्क्षसह को आदेश दिए है कि टेंडर कराके जल्द काम शुरू कराया जाए। कोतवाली के जर्जर हिस्से को ठीक करने के साथ ही रंगरोगन किया जाएगा इसके अलावा रोशन किया जाएगा। लाल इमली में पचास लाख रुपये से रंगरोगन और लाइटें लगायी जाएगी। सेल्फी प्वाइंट के रूप में भी विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी के प्रभारी ने बताया कि जल्द वर्क आर्डर जारी करके जनवरी के पहले हफ्ते में काम शुरू कर दिया जाएगा। चार माह में दोनों इमारतों को व्यवस्थित कर दिया जाएगा।
कोतवाली का इतिहास
स्थान- कोतवाली बड़ा चौराहा
आधारशिला रखी गई - 10 मार्च 1936 को आगरा व अवध के गवर्नर जनरल हैरी हैग द्वारा
निर्माण हुआ - 25 माह में दो मंजिला भवन का निर्माण पूरा हुआ।
उद्घाटन - 26 अप्रैल 1938
लाल इमली का इतिहास
स्थापना वर्ष - वर्ष 1876 में जार्ज ऐलन, वीई कूपर, गैविन एस जोन्स, डा कोंडोन और बिवैन पेटमैन ने किया था।
पहले बनता था - ब्रिटिश सेना के सिपाहियों के लिए कंबल बनता था। तब इसका नाम कानपोरे वुलन मिल्स था।
लाल इमली नाम पड़ा- परिसर में लाल इमली का पेड़ होने के कारण इसका नाम लाल इमली पड़ गया।
बीमार यूनिट घोषित हुई - वर्ष 1992
उत्पादन ठप हुआ - दिसंबर 2013 में।