कानपुर: गंगा व पांडुनदी में गिर रहे नालों की सफाई के लिए मांगे गए छह करोड़, जल निगम ने भेजा प्रस्ताव
14 दिसंबर 2019 को शहर आगमन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंद हो चुके सीसामऊ नाला का निरीक्षण बोट से किया था। इस दौरान जल निगम ने गंगा बैराज से लेकर जाजमऊ तक गंगा में गिर रहे सभी नालों को बंद कर दिया गया था।
कानपुर, जेएनएन। गंगा को अविरल-निर्मल बनाने के लिए केवल कागजी कार्रवाई चल रही है।गंगा व पांडु नदी में गिर रहे 11 नालों की बायोरेमिडेशन पद्धति से सफाई के लिए जल निगम ने नगर निगम से छह करोड़ सात लाख रुपये मांगे है। वहीं गंगा में गिर रहे पांच नालों को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। जल निगम नालों को बंद करने के लिए पिछले डेढ़ साल से 48 करोड़ रुपये मांग रहा है, लेकिन अभी तक धन नहीं मिला। मामला नगर विकास मंत्री तक पहुंच चुका है।
14 दिसंबर 2019 को शहर आगमन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बंद हो चुके सीसामऊ नाला का निरीक्षण बोट से किया था। इस दौरान जल निगम ने गंगा बैराज से लेकर जाजमऊ तक गंगा में गिर रहे सभी नालों को बंद कर दिया गया था। गंगा में गिर रहे पांच नालों का बायोरेमिडीयेशन करके सीवर का पानी ट्रीट करके गंगा में डाला गया। इसके लिए 2.43 करोड़ रुपये दिए थे। अब धन खत्म हो गया है। इसके चलते रामेश्वर नाला, रानी घाट नाला, गोलाघाट नाला, मेस्कर अौर सत्ती चौराहा नाला गंगा में धड़ल्ले से गिर रहा है। जल निगम के परियोजना प्रबंधक जीके चौधरी ने नगर आयुक्त शिव शरणप्पा जीएन को पत्र भेज है कि रानी घाट, गोला घाट रामेश्वरघाट, डबका, सत्तीचौरा, मैस्करघाट, परमिया, पनकी, आइसीआइ नाला, गंदा नाला, और हलवा खांडा के सीवरेज को बायोरेमिडियेशन तकनीकी से शोधित किया जाना है। इसके लिए 6 करोड़ सात लाख रुपये खर्च आएगा। इसका पूरा प्रस्ताव बनाकर जल निगम ने भेज दिया है। वर्तमान समय में हालत यह है कि गंगा और पांडुनदी में धड़ल्ले से दूषित पानी गिर रहा है। परमट नाला भी रोक के बाद गंगा में गिर रहा है। सरकार अब तक गंगा को साफ करने के नाम पर दस अरब रुपये खर्च कर चुकी है। वर्ष 1989 से गंगा साफ हो रही है लेकिन अभी तक साफ नहीं हो पाई है।