कानपुर में जाली स्टांप वेंडरों के पकड़े जाने के मामले में ये बात आई सामने, पुलिस जांच में जुटी
डीआइजी ने राजफाश करते हुए गिरोह के अन्य सदस्यों की धर पकड़ के निर्देश दिए थे। मामले में बर्रा पुलिस छानबीन कर रही है। एक टीम को रंजीत के कनेक्शन खंगालने के लिए प्रयागराज भेजा गया है। वहां से उसके करीबियों की धरपकड़ के प्रयास जारी हैं।
कानपुर, जेएनएन। जाली स्टांप वेंडरों के पकड़े जाने के मामले में पकड़े गए वेंडरों के बीच तीन साल से संबंध होने की बात सामने आयी है। दोनों मिलकर काम कर रहे थे। दोनों की पहली बार कचहरी में मुलाकात हुई थी। जमीन के विवाद में फर्जी दस्तावेजों के दावे पर पुलिस के कान खड़े हो गए थे। बर्रा पुलिस ने जमीन के विवाद के प्रकरण को पीछे छोड़कर दस्तावेजों की पड़ताल शुरू की थी। जिसमें लिखापढ़ी के लगे स्टांप और नोटरी टिकट जाली होने की बात सामने आयी थी। दस्तावेज देने वाले से जानकारी करने के बाद पुलिस ने स्टांप वेंडर कनर्लगंज निवासी शीजान और उसकी मदद से प्रयागराज निवासी रंजीत कुमार रावत को पकड़ा था, जिनके पास से 5.50 लाख कीमत के जाली स्टांप बरामद हुए थे।
डीआइजी ने राजफाश करते हुए गिरोह के अन्य सदस्यों की धर पकड़ के निर्देश दिए थे। मामले में बर्रा पुलिस छानबीन कर रही है। एक टीम को रंजीत के कनेक्शन खंगालने के लिए प्रयागराज भेजा गया है। वहां से उसके करीबियों की धरपकड़ के प्रयास जारी हैं। थाना प्रभारी के मुताबिक दोनों आरोपितों से हुई पूछताछ में सामने आया कि तीन साल से दोनों वेंडरों के बीच संबंध थे। दोनों मिलकर जाली स्टांप और नोटरी टिकट का कारोबार कर रहे थे। रंजीत कई सालों से शहर के वेंडरों को डिमांड पर जाली स्टांप और नोटरी टिकट मुहैया कराता था। शीजान दूसरे वेंडरों से बढ़े दाम पर खरीदता था। उसे वहीं के वेंडरों से रंजीत के बारे में पता चला तो उसने उससे सीधा संपर्क बना लिया। इसके बाद दोनों की दोस्ती इस कदर गहराई कि दोनों ने साथ मिलकर ही जाली स्टांप और नोटरी टिकट का कारोबार शुरू किया था।