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कानपुर में शादी के 17 दिन बाद नवविवाहिता की मुंह और नाक दबाकर हत्या, पुलिस जांच में जुटी

बेटी की तबीयत ज्यादा खराब होने की जानकारी दी थी। जिस पर वह लोग देर रात बेटी के ससुराल पहुंचे। जहां बेटी के ससुराल वालों ने बाथरूम में पैर फिसलने से गिरने और सिर पर अंदरूनी चोट आने से मौत होने की जानकारी उन्हेंं दी थी

By Akash DwivediEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 08:06 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 08:06 PM (IST)
कानपुर में शादी के 17 दिन बाद नवविवाहिता की मुंह और नाक दबाकर हत्या, पुलिस जांच में जुटी
नीरज के मुताबिक दस दिसंबर को बेटी ससुराल आयी थी

कानपुर, जेएनएन। नौबस्ता के केशव नगर में बाथरूम में नवविवाहिता का शव मिला था। ससुरालियों का कहना था कि बाथरूम में पैर फिसलने वह गिरी थी। सिर पर अंदरूनी चोट आने से उसकी मौत हो गई। जबकि पोस्टमार्टम में मुंह और नाक दबाकर हत्या किए जाने की पुष्टि हुई है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

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मध्य प्रदेश के सहडोल निवासी इंटरलाकिंग टाइल्स कारोबारी नीरज कटारे के तीन बच्चे हैं। सबसे बड़ी इंजीनियर बेटी आरजू, बेटा अमन और अनंत है। उन्होंने बेटी आरजू की शादी 17 दिन पहले आठ दिसंबर को केशव नगर निवासी अमनदीप गुप्ता के साथ की थी। अमनदीप बंगलूरु में इंजीनयिर है। बेटी ने शादी से कुछ दिन नौकरी छोड़ दी थी। नीरज के मुताबिक दस दिसंबर को बेटी ससुराल आयी थी। 

शुक्रवार को उनके पास दोपहर में अमन के घर से फोन आया और बेटी की तबीयत ज्यादा खराब होने की जानकारी दी थी। जिस पर वह लोग देर रात बेटी के ससुराल पहुंचे। जहां बेटी के ससुराल वालों ने बाथरूम में पैर फिसलने से गिरने और सिर पर अंदरूनी चोट आने से मौत होने की जानकारी उन्हेंं दी थी, जिसके बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। जहां शनिवार देर शाम हुए पोस्टमार्टम में मुंह और नाक दबाकर हत्या किए जाने की पुष्टि हुई है। थाना प्रभारी नौबस्ता सतीश कुमार सिंह ने बताया कि स्वजन की तहरीर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

बिना मजिस्ट्रेट के आए दारोगा ने भर दिया पंचनामा

शहर पुलिस भी नए कारनामों के लिए मशहूर है। उस्मानपुर चौकी में तैनात दारोगा अशोक कुमार को पुलिस की कार्य प्रणाली की जानकारी ही नहीं है। नियमानुसार शादी के सात साल के भीतर अगर किसी विवाहिता की मौत होती है तो मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पंचनामा भरा जाता है। दारोगा को इतनी जल्दी थी कि न तो उन्होंने संबंधित एसीएम को सूचना देनी उचित समझी और न ही उनके आने का इंतजार किया। बिना एसीएम के आए ही दारोगा ने पंचनामा भरकर कागज पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा दिए। पोस्टमार्टम की तैयारियां होने पर जब कागज अभिलेखों में दर्ज करने के लिए मांगे गए तो उसने में एसीएम के हस्ताक्षर, मुहर आदि न होने से पोस्टमार्टम कर्मियों ने कागज लौटा दिए। महिला कांस्टेबल ने थाना पुलिस को जानकारी दी। जिसके बाद थाना प्रभारी ने एससीएम छह से वार्ताकर प्रक्रिया को पूरा कराया, जिससे शाम आरजू का पोस्टमार्टम हो सका।


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