कोरोना फाइटर्स पर हमला करने वाले को नहीं मिली अग्रिम जमानत, कानपुर के बजरिया का मामला
बजरिया में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने की सूचना पर पुलिस और डॉक्टरों की टीम जांच करने गई थी जिसके बाद भीड़ ने हमला कर दिया था। डॉक्टरों और पुलिस टीम के साथ अभद्रता की गई। उन्हेंं दौड़ा लिया गया। एंबुलेंस में भी तोडफ़ोड़ की गई थी।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना फाइटर्स पर हमला करने वाले आरोपित की अग्रिम जमानत अर्जी न्यायालय ने खारिज कर दी है। आरोपित की ओर से जमानत के पक्ष में कहा गया था कि उसे पुलिस ने फर्जी फंसाया है, जबकि अभियोजन का तर्क था कि अग्रिम जमानत मिली तो आरोपित फरार हो जाएगा।
बजरिया में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने की सूचना पर पुलिस और डॉक्टरों की टीम जांच करने गई थी, जिसके बाद भीड़ ने हमला कर दिया था। डॉक्टरों और पुलिस टीम के साथ अभद्रता की गई। उन्हेंं दौड़ा लिया गया। एंबुलेंस में भी तोडफ़ोड़ की गई थी। इस मामले में बजरिया पुलिस ने मोहम्मद दिलशाद समेत कई लोगों के खिलाफ सेवल क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट के तहत कार्यवाही की थी। दिलशाद की ओर से इस मामले में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की गई थी। इस जमानत के पक्ष में तर्क दिया गया कि वह शांतिप्रिय व्यक्ति है। उसने कोई अपराध नहीं किया है। उसे झूठा फंसाया गया है। सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गई है।
अग्रिम जमानत मिली तो वह उसका दुरुपयोग नहीं करेगा। इसके विरोध में सहायक शासकीय अधिवक्ता जितेंद्र कुमार पांडेय ने तर्क दिया कि आरोपित शातिर प्रवृत्ति का व्यक्ति है। कोरोना महामारी के दौरान पुलिस व मेडिकल टीम को उनके कार्य से रोकने के लिए लोगों को उकसाया गया और राज्य की संपत्ति को हानि पहुंचायी गई। अग्रिम जमानत दिए जाने पर वह न्यायालय की क्षेत्राधिकारिता से पलायन कर जाएगा। दोनों पक्षों को सुनने और समस्त दस्तावेजों का परीक्षण करने के बाद न्यायालय ने घटनाक्रम के गुण दोष पर टिप्पणी किए बिना अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त कर दी।