IIT कानपुर के प्रो. मणींद्र अग्रवाल का दावा, उत्तर प्रदेश में 19 जनवरी और देश में इस तारीख को चरम पर होगी तीसरी लहर
प्रो. अग्रवाल गणितीय सूत्र माडल के आधार पर कोरोना संक्रमण के मामलों का आंकलन करके अनुमानित भविष्यवाणी करते हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर कुछ जिलों व राज्यों में चरम पर पहुंच चुकी है और कुछ दिन में अन्य राज्यों में भी चरम पर आने वाली है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। Corona virus third wave कोरोना संक्रमण के फैलने के अब तक के आंकड़ों के आधार पर पद्मश्री से सम्मानित आइआइटी के प्रो. मणींद्र अग्रवाल (IIT Professor Manindra Agarwal )ने तमाम राज्यों और जिलों के लिए नई भविष्यवाणी की है। इसके तहत उत्तर प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर दो दिन बाद 19 जनवरी को ही चरम पर होगी। इसके साथ ही देश में 23 जनवरी को यह लहर चरम पर हो सकती है। इसके कुछ दिनों में ही संक्रमण की रफ्तार तेजी से घटनी भी शुरू हो जाएगी और मार्च में खत्म हो सकती है।
प्रो. अग्रवाल गणितीय सूत्र माडल के आधार पर कोरोना संक्रमण के मामलों का आंकलन करके अनुमानित भविष्यवाणी करते हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर कुछ जिलों व राज्यों में चरम पर पहुंच चुकी है और कुछ दिन में अन्य राज्यों व जिलों में भी चरम पर आने वाली है। हाल ही में संक्रमण के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके तहत कोरोना की तीसरी लहर के चरम पर होने का ग्राफ कुछ पहले हुआ है। उत्तर प्रदेश में तीसरी लहर 19 जनवरी को चरम पर होगी। इस दौरान रोजाना 40 से 50 हजार तक संक्रमण के मामले सामने आ सकते हैं। हालांकि संक्रमण हल्का होने की वजह से इसमें से एक फीसद मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ेगी। यूपी के साथ ही इसी माह कई और राज्यों में भी संक्रमण की तीसरी लहर चरम पर होगी। संपूर्ण भारत में यह पीक वैल्यू 23 जनवरी को होने की संभावना है। इसके बाद संक्रमण के मामले लगातार कम होंगे और फरवरी में कुछ हजार केस ही सामने आएंगे।
उत्तरप्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर का ग्राफ। सौजन्य : प्रो. मणींद्र अग्रवाल
देश में कोरोना की तीसरी लहर का ग्राफ। सौजन्य : प्रो. मणींद्र अग्रवाल
वैक्सीन की दोनों डोज रहेगी कारगर
डा. अग्रवाल ने कहा कि जिन लोगों ने वैक्सीन की डोज ले ली है, उससे लोगों को संक्रमण से बचने में कुछ फायदा हो सकता है। टीका संक्रमण को हल्का और कम समय तक चलने वाला बनाने में सहायक हो सकता है। इसी तरह बूस्टर डोज भी कम से कम अल्पकालिक प्रतिरक्षा देती है। जिन देशों में प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता (संक्रमित होकर ठीक होने से विकसित इम्युनिटी) कम है, उन्हें बूस्टर पर निर्भर रहने की जरूरत है।