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चिराग तले अंधेरा : कानपुर का बदहाल स्वास्थ्य तंत्र, सीएमओ आफिस के पास ही जिंदगी से होता खिलवाड़,

रामादेवी रोड पर भी न्यू खुशी हास्पिटल सॢजकल एंड ट्रामा सेंटर पर चुनिंदा डाक्टर मिले जबकि बाहर लगे बोर्ड में दर्जनों नामी डाक्टरों के नाम लिखे थे। कर्मचारियों से बात करने पर पता चला कि स्पेशलिस्ट डाक्टरों को बुलाने के लिए अलग से चार्ज देना पड़ता है।

By Akash DwivediEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 08:05 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 08:05 AM (IST)
चिराग तले अंधेरा : कानपुर का बदहाल स्वास्थ्य तंत्र, सीएमओ आफिस के पास ही जिंदगी से होता खिलवाड़,
अहिरवां रोड पर बना दर्शन हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर। जागरण

कानपुर, जेएनएन। चिराग तले अंधेरा कहावत का अर्थ अगर आपको समझना हो तो एक बार शहर में हाईवे से सटे क्षेत्रों में चल रहे कथित ट्रामा सेंटरों में पहुंच जाएं। वहां की अव्यवस्था और संसाधनों की कमी आपको स्वयं ही इस कहावत से परिचित करा देगी। रामादेवी स्थित सीएमओ कार्यालय से चंद दूरी पर चल रहे ट्रामा सेंटरों में डाक्टरों की तैनाती के साथ एंबुलेंस और मूलभूत सुविधाएं कोसों दूर दिखीं। दैनिक जागरण की टीम ने गुरुवार को लालबंगला और रामादेवी क्षेत्र के कथित ट्रामा सेंटरों की पड़ताल की तो हकीकत सामने आ गई।

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रामादेवी हाईवे से सटे माधवी हास्पिटल और मैटरनिटी एंड ट्रामा सेंटर पहुंचे जागरण संवाददाता ने मरीज के उपचार के लिए वहां तैनात महिला कर्मचारी से बात की। सेंटर पर अस्पताल जैसा कुछ नहीं दिखा। घर के अंदर चल रहे अस्पताल में एक नर्स और कुछ मेडिकल उपकरण थे। ओटी, आइसीयू नहीं दिखे। डाक्टर भी ट्रामा सेंटर से नदारद थे। पूछने पर पता चला कि वह चार बजे तक आएंगे।

अगर कोई इमरजेंसी आ जाए तो, जवाब मिला डाक्टर साहब अपने समय से ही आते हैं। मरीज ले लाओ भर्ती करा दो। हालांकि जब संचालक डा. एमके सिंह से बात की गई तब पता चला कि वह एक आपरेशन के लिए बाहर गए थे। कुछ आगे बढऩे पर माडर्न आर्थोकेयर एंड ट्रामा सेंटर मिला वहां पर भी स्थिति जस की तस थी, सिर्फ आर्थों के डाक्टर के भरोसे चल रहे ट्रामा सेंटर के बोर्ड पर डाक्टरों की लंबी लिस्ट थी। सीटी स्कैन, एंबुलेंस, एमआरआइ दूसरे सेंटरों पर कराने की बात कही गई। रिसेप्शनिस्ट से न्यूरो के डाक्टर की जानकारी ली तो पता चला कि यहां डाक्टरों को जरूरत पडऩे पर दूसरे जगह से बुलाने की व्यवस्था है। डाक्टर से बात करने की कोशिश की तो सिस्टर ने बताया कि आप मरीज ले आओ उपचार दिया जाएगा। नियमत: एक ट्रामा सेंटर पर हर समय स्पेशलिस्ट डाक्टर की टीम का होना जरूरी होता है।

रामादेवी रोड पर भी न्यू खुशी हास्पिटल सॢजकल एंड ट्रामा सेंटर पर चुनिंदा डाक्टर मिले, जबकि बाहर लगे बोर्ड में दर्जनों नामी डाक्टरों के नाम लिखे थे। कर्मचारियों से बात करने पर पता चला कि स्पेशलिस्ट डाक्टरों को बुलाने के लिए अलग से चार्ज देना पड़ता है। चंद बेड के इन ट्रामा सेंटरों में आइसीयू के बेड के आठ से दस हजार तक लेने की बात स्वीकारी गई। सेंटर के डा. एस कुमार ने बताया कि सामान्य बेड के तीन हजार और वेंटिलेंटर के 15 हजार लिए जाएंगे। डाक्टर व अन्य चार्ज अलग से देना होगा। इसी प्रकार दर्शन हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर में डाक्टरों की उपस्थिति और व्यवस्थाएं ट्रामा से मानक से कोसों दूर दिखीं।

बोर्ड पर लिखा ट्रामा सेंटर, मानक के बारे में पता नहीं : हाईवे से सटे क्षेत्रों में चल रहे ट्रामा सेंटर व इमरजेंसी हास्पिटलों में पाॄकग की व्यवस्था नहीं दिखी और योग्य स्टाफ भी नदारद रहा। माधवी व माडर्न ट्रामा सेंटरों में पुल के नीचे वाहनों के खड़े का जुगाड़ दिखा। इन सेंटरों में सीमित स्टाफ से ही सभी काम कराए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से उपचार के लिए शहर आने वाले मरीज व तीमारदार ट्रामा सेंटरों के नाम पर लुटते हैं। नामी डाक्टरों के बोर्ड दिखाकर मरीजों को बेहतर उपचार का दावा किया जाता है। ज्यादातर ट्रामा सेंटरों पर बोर्ड ट्रामा सेंटरों का दिखा, परंतु मानक के बारे में पूछने पर ऐसे ही लिखने की बात कही।

ये हैं ट्रामा के मानक

  • चार आपरेशन थियेटर होने चाहिए। इसमें न्यूरो, हड्डी व पेट के लिए अलग-अलग आपरेशन थियेटर हों।
  •  सेंटर पर आइसीयू, वेंटिलेटर एमआरआइ व सीटी स्कैन की सुविधा होनी चाहिए।
  •  न्यूरो सर्जन व आर्थोपेडिक सर्जन सहित दूसरे सभी सर्जन 24 घंटे ट्रामा सेंटर में ही मौजूद रहें।
  •  एडवांस एंबुलेंस की सुविधा मिनी ओटी के साथ हो।

इनका ये है कहना

  • एक-एक ट्रामा सेंटर की जांच की जाएगी। जो भी अस्पताल मानक के विपरीत चल रहे हैं, उन पर जल्द ही कार्रवाई होगी।- डा. नैपाल सिंह, सीएमओ 

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