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कानपुर ने चीन को दी 100 करोड़ की चोट

- करीब 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के बिजली बाजार से चीन का पत्ता साफ - वर्षों बाद कानपुर में

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 02:00 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 02:00 AM (IST)
कानपुर ने चीन को दी 100 करोड़ की चोट
कानपुर ने चीन को दी 100 करोड़ की चोट

जागरण संवाददाता, कानपुर : करीब 10 साल से दीपावली के मौके पर बिजली बाजार पर एकाधिकार जमाए चीन को कानपुर ने इस साल करीब 100 करोड़ रुपये की चोट दी है। बिजली बाजार में इस बार स्वदेशी झालरों की चमक दिख रही है। पिछले साल तक देश में निर्मित झालर की जानकारी देने से झिझकने वाले कारोबारी इस बार पूरे स्वाभिमान के साथ इसकी खूबियां समझा रहे हैं। चीन का पुराना स्टॉक भी कारोबारियों ने नहीं निकाला है।

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बिजली की झालर के लिए देश भर में पहचाने जाने वाले कानपुर में बल्ब, कैप, पट्टे वाली झालर सबकुछ बनता और बिकता था। नेहरू नगर इसके लिए प्रसिद्ध था। यह दौर वर्षों चला। दीपावली से पहले बच्चे यहां से बिजली के तार, बल्ब और कैप ले जाते थे और खुद घर के लिए झालर बना लेते थे। कानपुर से प्रदेश के तमाम जिलों के साथ ही दूसरे राज्यों में भी माल जाता था। चीन ने इस कारोबार में प्रवेश किया तो सस्ती झालर मिलने पर लोगों ने कानपुर का माल खरीदना बंद कर दिया। इससे कारोबार से जुड़े लोगों को दूसरे काम करने पड़े। 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के बाजार में 90 फीसद से अधिक पर चीन काबिज हो गया था। बिजली बाजार के अध्यक्ष राजीव मेहरोत्रा के मुताबिक, चीन का विरोध कई वर्ष से दीपावली के पहले होता था, लेकिन इस साल बिना विरोध प्रदर्शन खुद बाजार ने चीन को बाहर कर दिया है। दुकानदारों ने पहल कर अपने पास से तार और एलईडी बल्ब देकर जरूरतमंद लोगों से झालर बनवाईं। इससे कई सौ परिवारों को रोजगार भी मिला। झालर विक्रेता गजेंद्र जादौन के मुताबिक, स्वदेशी झालर काफी मजबूत है। फिनिशिग भले कुछ कमजोर है, लेकिन ग्राहक इसे ही मांग रहे हैं।

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इन कारोबार में भी लगी चोट

- चीन के गिफ्ट बॉक्स को राजस्थानी हैंडीक्राफ्ट आइटम ने झटका दिया है। चीन से हर साल करीब पांच करोड़ रुपये के बॉक्स आते थे।

- चीन से बनकर आने वाली गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां इस बार गायब हैं। एक करोड़ रुपये की मूर्तियां आती थीं। - वंदनवार के बाजार ने भी चीन को सात करोड़ रुपये का झटका दिया है। इस बार राजस्थानी वंदनवार की बिक्री बढ़ी है।

- आंगन और ड्राइंग रूम को सजाने के लिए चीन से करीब 20 करोड़ रुपये के कृत्रिम पौधे और पेड़ आते थे, लेकिन इस बार स्वदेशी कंपनियां हावी हैं।

- क्राकरी की दुकानों में बोन चाइना का नया माल नहीं है। मेलामाइन की बिक्री बढ़ी है। चीन को 60 करोड़ का झटका।

- दीपावली के मौके पर चीन से 30 से 35 करोड़ रुपये रसोई की सामग्री के साथ नॉन स्टिक बर्तन आते थे, लेकिन इस बार भारतीय कंपनियों के उत्पाद बिक रहे।


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