कानपुर : शिक्षा के अधिकार अधिनियम से दाखिले पर अफसर थे गंभीर, अब फीस पर साधी चुप्पी
कानपुर शहर में आरटीई के तहत स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए दाखिले के लिए प्रशासनिक और शिक्षा विभाग के अफसरों ने खास दिलचस्पी दिखाई लेकिन अब फीस को लेकर गंभीर नहीं दिखाई देने से व्यवस्था चरमरा गई है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। जिले में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत दाखिले शुरू होते हैं, तो प्रशासन से लेकर बीएसए कार्यालय तक अफसर खूब दौड़भाग करते हैं। परिणाम यह होता, है कि प्रवेश तो हो जाते हैं लेकिन उसके बाद न तो समय से बच्चों की पढ़ाई के लिए राशि मिलती है और न ही स्कूलों को समय से फीस पहुंचती है।
पिछले दो वर्षों का आलम यह है, कि जिले में स्कूल फीस व बच्चों की पढ़ाई के लिए बीएसए कार्यालय से 24.5 करोड़ रुपये बजट मांगा गया था, मगर पिछले माह केंद्र व राज्य स्तर पर महज सवा तीन लाख रुपये ही भेजे गए। ऐसे में बजट न मिलने से आरटीई से होने वाले दाखिलों की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। अफसर यह नहीं समझ पा रहे हैं, कि आखिर इस मामूली राशि का वह क्या करें। दरअसल, जब नया सत्र शुरू होता है तो प्रवेश को लेकर ही सारा फोकस रखा जाता है। फिर, बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी, इसे लेकर बेहतर ढंग से नीति नहीं बनती, जिसके चलते बच्चे और अभिभावक पूरा खामियाजा भुगतते हैं।
आंकड़ों पर डाले एक नजर
जिले में कुल स्कूलों में आरटीई से दाखिले होते हैं: 375
जिले में कुल बच्चों के हर साल औसतन प्रवेश कराए जाते हैं- 1500-2000
बच्चों के लिए राशि नहीं भेजी गई: पिछले एक साल से
स्कूलों को फीस नहीं मिली: पिछले दो सालों से
स्कूलों को हर माह फीस दी जाती है- 450 रुपये प्रति माह
बच्चों की पढ़ाई के लिए राशि भेजी जाती है: 5000 रुपये प्रति बच्चा
जिले में कुल बजट की मांग की गई थी: 24.5 करोड़ रुपये
कुल अभी तक बच्चे प्रभावित हुए हैं- 7500-8000
-आरटीई से जो प्रवेश हुए हैं, उनकी पूरी जानकारी शासन स्तर से लेकर केंद्र सरकार को भेजी जा चुकी है। प्रवेश के बाद 24.5 करोड़ रुपये बजट के रूप में मांगे गए थे, मगर सवा तीन लाख रुपये ही मिले। अब, दोबारा केंद्र से लेकर राज्य स्तर तक अफसरों को पत्र भेजकर बजट मांगेंगे। -डा.पवन तिवारी, बीएसए