Kanpur Dakhil Daftar Column: मंत्री जी हमें छोड़ दें गलती हुई, काम सुधार लें फिर कोई नहीं डांटेगा...
कानपुर शहर में प्रशासनिक विभागों की चर्चाओं को लेकर आता है दाखिल दफ्तर कॉलम। किसानों के लिए काम करने वाले एक विभाग के बड़े साहब ने पिछले दिनों घोटाला पकड़ लिया। तबादला रुकवाने के लिए बड़े साहब को मोबाइल गिफ्ट कर दिया।
कानपुर, दिग्विजय। कानपुर शहर में प्रशासनिक विभागों में चर्चाएं आम रहती हैं लेकिन सुर्खियां नहीं बन पाती हैं, ऐसी ही चर्चाओं को सप्ताह में चुटीले अंदाज में लेकर आता है दाखिल दफ्तर कॉलम। पढ़िए, इस बार विभागों में क्या खास हलचल रही..।
मंत्री जी हमें छोड़ दें गलती हुई
किसानों के लिए काम करने वाले एक विभाग के बड़े साहब ने पिछले दिनों घोटाला पकड़ लिया। घोटाला पकड़ में आने के बाद पता चला कि दो चार लाख रुपये नहीं, बल्कि दो करोड़ रुपये का खेल किया गया है। साहब थोड़ा ईमानदार किस्म के हैं तो उन्होंने आनन-फानन में घोटाला कराने में शामिल दूसरे विभाग के साहब और उनके अधीनस्थों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति भी भेज दी। इतना सबकुछ होने के बाद कुछ लोगों ने साहब तक संदेशा पहुंचा दिया कि बहुत ज्यादा हीरो बनेंगे तो तबादला करा देंगे। इसी के साथ ही लॉङ्क्षबग में भी जुट गए। मामला एक मंत्री जी के पास पहुंचा। मंत्री जी ने पूरी बात सुनी ओर बोले, अब तबादला तो नहीं होगा, लेकिन तुम लोगों के विरुद्ध जांच जरूर होगी। इस पर पैरवी करने वाले बोले, मंत्री जी हमें छोड़ दें गलती हुई।
साहब आपका मास्क
कोरोना की रोकथाम के अभियान से जुड़े एक अफसर सोमवार को कलेक्ट्रेट में मीटिंग के लिए पहुंचे। गेट पर ही कुछ युवक मिल गए। उनमें से एक ने मास्क नहीं लगाया था। साहब उसे मास्क न लगाने पर फटकारने लगे। बोले, तुम्हारे जैसे लोग कोरोना फैला रहे हैं। जहां देखा वहीं थूक दिया। साहब की फटकार काफी देर तक चारों युवक सुनते रहे। इसी बीच वहां एक दूसरे अधिकारी आ गए तो साहब ने नमस्ते की और हाथ मिलाते हुए मास्क भी हटा दिया। उनका इतना करना था कि उनमें से एक युवक ने साहब को ही खरी खरी सुना दी। बोला, साहब हमें तो आप मास्क लगाने, दो गज की दूरी का पालन करने और कहीं न थूकने की सलाह दे रहे हैं। ऊपर से आप खुद ही हाथ मिला रहे हैं और बात करने के चक्कर में मास्क भी हटा दिया। इतना सुन साहब बोले गलती हो गई।
साहब का तबादला और गिफ्ट में मोबाइल
एक साहब का पिछले दिनों तबादला हो गया। साहब ने तबादला रुकवाने के लिए अपने से बड़े साहब को एक नामी कंपनी का मोबाइल गिफ्ट कर दिया। मोबाइल की कीमत 50 हजार रुपये से अधिक थी। साहब को लगा कि इस गिफ्ट के बाद तो अब उनका तबादला रुक ही जाएगा। बड़े साहब ने भी उन्हें आश्वस्त कर दिया। सबकुछ ठीक चल रहा था।
साहब ने कुछ कार्रवाइयां कीं, लेकिन इसी बीच उनके तबादले का फरमान फिर आ गया। शासन से तत्काल कार्यमुक्त करने के लिए कहा गया। इसलिए उन्हें तत्काल कार्यमुक्त कर दिया गया। अब इस बात की चर्चा जोरों पर है कि साहब द्वारा दिया गया गिफ्ट उनके काम नहीं आया। अगर और बड़ा गिफ्ट वे देते तो शायद तबादला रुक जाता है और यहीं मलाईदार पोस्ट पर बने रहते। साहब भी समझ नहीं पा रहे हैं कि वे क्या करें मोबाइल लेकर भी तबादला नहीं रुकवा सके।
काम सुधार लें फिर कोई नहीं डांटेगा
भूखंडों का आवंटन करने वाले विभाग में साल भर पहले एक साहब दूसरे विभाग से स्थानांतरित होकर आए थे। साहब की कार्यप्रणाली वैसी ही है, जैसी पहले वाले विभाग में थी। साहब काम में कम बात में ज्यादा रुचि लेते हैं। पास आने वालों को वे महापुरुषों का जीवन परिचय बताने में जुट जाते हैं। इतिहासकारों पर एक जाति विशेष के महापुरुषों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पूरा भाषण देते हैं और सरकार पर खुद की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाते हुए अपनी वाणी को विराम देते हैं।
पिछले दिनों उनके अधीनस्थ अफसर ने उन्हें एक फाइल भेजी। साहब को उस फाइल को मंजूर कर आगे बढ़ाना था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने के बजाय तमाम तरह की आपत्तियां लगाते हुए फाइल वापस कर दी। बड़े साहब ने डांट दिया तो अधीनस्थ से बोले बड़ी उपेक्षा हो रही है। अधीनस्थ ने कहा साहब काम सुधार लें फिर कौन डांटेगा।