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कोर्ट की टिप्पणी, दुष्कर्म के आरोपित को जमानत दी तो समाज में नहीं जाएगा अच्छा संदेश

सात साल की बच्ची से दुष्कर्म में आरोपित की जमानत खारिज करते हुए अदालत ने टिप्पणी देकर हालात स्पष्ट किये। कहा-अारोपित का कृत्य गंभीर प्रकृति का है इसलिए ऐसे मामलों मामलों जमानत दिया जाना सर्वथा उचित नहीं है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 01:35 PM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 01:35 PM (IST)
कोर्ट की टिप्पणी, दुष्कर्म के आरोपित को जमानत दी तो समाज में नहीं जाएगा अच्छा संदेश
कानपुर कोर्ट में जमानत याचिका पर कोर्ट का संदेश।

कानपुर, जेएनएन। सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजवीर सिंह ने आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि आरोपित ने जो कृत्य किया है वह अपराध गंभीर प्रकृति का है। यदि ऐसे मामलों में जमानत दे दी गई तो समाज में अच्छा संदेश नहीं जाएगा।

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रेलबाजार के सुजातगंज निवासी असलम पर आराेप है कि उसने अपने किरायेदार की सात वर्षीय बेटी के साथ दुष्कर्म किया। वह अक्सर उसे टाफी दिलाने का लालच देकर अपने कमरे में ले जाता था। 28 नवंबर 2020 को किशोरी ने अपने पिता को यह जानकारी दी जिसके बाद पिता ने रेलबाजार थाने में दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करायी थी। न्यायालय में बचाव पक्ष की ओर से जमानत के पक्ष में तर्क दिया गया कि दोनों के बीच किरायेदारी का विवाद चल रहा है। इसी के चलते असलम को गलत आरोप लगाकर झूठा फंसाया गया है।

विशेष लोक अभियोजक गंगा प्रसाद यादव ने जमानत के विरोध में तर्क दिए। कहा, आरोपित ने सात वर्षीय बालिका के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म का अपराध किया है। यह अपराध बालिका को भविष्य में मानसिक रूप से परेशान करेगा। बालिका और उसके परिवार को भविष्य में आने वाली दूसरी समस्याओं से भी जूझना होगा। अपराध की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने आरोपित की जमानत अर्जी खारिज किए जाने की मांग अदालत से की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपित की जमानत अर्जी कड़ी टिप्पणी के साथ खारिज कर दी।


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