सात माह में 2558.58 करोड़ रुपये टैक्स, कानपुर के दोनों जोन में 710 करोड़ रुपये कर बढ़ोत्तरी
कानपुर शहर का कारोबार अब कोरोना काल के बाद से उबर रहा है। पिछले सात माह में बीते वर्ष की तुलना में 710 करोड़ ज्यादा टैक्स संग्रह किया गया है। वाणिज्य कर विभाग ने राजस्व संग्रह के संबंध में आरटीआइ में जानकारी दी है।
कानपुर, राजीव सक्सेना। शहर का कारोबार अब कोरोना से उबर गया है। पिछले वर्ष मार्च के अंत में कोरोना की वजह से लाकडाउन लगा था। नवंबर 2020 में दीपावली से बिक्री तेज हुई थी। उससे पहले कारोबार काफी धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रहा था, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष के पहले सात माह के मुकाबले इस वित्तीय वर्ष के पहले सात माह में 710 करोड़ रुपये ज्यादा राजस्व कानपुर के कारोबारियों ने चुकाया है। वाणिज्य कर विभाग ने आरटीआइ में यह सूचना दी है।
पिछले वर्ष 25 मार्च 2020 को लाकडाउन लग गया था। कई माह कारोबार बंद रहे थे। उसके बाद धीरे-धीरे ये पटरी पर आए थे। नवंबर 2020 में दीपावली की वजह से बाजार फिर से बढ़ा था। उससे पहले ग्राहक बाहर निकलने और भीड़ में खरीदारी करने में झिझक रहे थे। इसमें बाद भी कानपुर के दोनों जोन में 1847.70 करोड़ रुपये का कर संग्रह हुआ था।
इस बार भी वित्तीय वर्ष की शुरुआत में कोरोना का तगड़ा झटका कारोबार को लगा था और अप्रैल व मई में कारोबार प्रभावित हुआ था, इसके बाद भी चालू वित्तीय वर्ष के पहले सात माह में 710 करोड़ रुपये ज्यादा कर संग्रह हुआ है। इसमें 2558.58 करोड़ रुपये का संग्रह किया गया। इस कर संग्रह ने दिखा दिया है कि दूसरी लहर के ज्यादा घातक होने के बाद भी कानपुर के कारोबार ने कदम आगे ही बढ़ाए हैं।
इन क्षेत्रों में बढ़ रहा कर संग्रह : भारतीय जीवन बीमा निगम, सीमेंट, एफएमसीजी सेक्टर में सबसे ज्यादा कर संग्रह हो रहा है। रेडीमेड गारमेंट, आटोमोबाइल सेक्टर में कर संग्रह बढ़ रहा है, लेकिन इसकी रफ्तार धीमी है।
इस तरह एकत्र हुआ कर
- 1135.27 करोड़ रुपये एक अप्रैल 2020 से 31 अक्टूबर 2020 तक सात माह में जोन एक में कर संग्रह।
- 712.43 करोड़ रुपये एक अप्रैल 2020 से 31 अक्टूबर 2020 तक सात माह में जोन दो में कर संग्रह।
- 1546.29 करोड़ रुपये एक अप्रैल 2021 से 31 अक्टूबर 2021 तक सात माह में जोन एक में कर संग्रह।
- 1012.29 करोड़ रुपये एक अप्रैल 2021 से 31 अक्टूबर 2021 तक सात माह में जोन दो में कर संग्रह।
-कर संग्रह अच्छी रफ्तार से बढ़ रहा है। पिछले वर्ष के मुकाबले यह सात सौ करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ा है। -पीके सिंह, एडीशनल कमिश्नर ग्रेड वन जोन वन, वाणिज्य कर विभाग