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Kanpur Naptol Column: रास न आई कार्यकारिणी, इधर हुए दावे और उधर खुल गई पोल

कानपुर नगर में बाजार में कारोबारियों के बीच भी गतिविधियां बनी रहती हैं वह चाहे फिर व्यापारिक राजनीति की हों या फिर कुछ और। इन्हें लेकर व्यापारियों के बीच चर्चा बनी रहती है लेकिन सुर्खिया बनने से रह जाती हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 11:58 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 11:58 AM (IST)
Kanpur Naptol Column: रास न आई कार्यकारिणी, इधर हुए दावे और उधर खुल गई पोल
कानपुर में बाजार की चर्चा का नापतोल कॉलम।

कानपुर, [राजीव सक्सेना]। शहर में कारोबारियों के बीच तरह तरह की हलचल रहती हैं लेकिन सुर्खियां नहीं बन पाती हैं। ऐसी कारोबारी हलचल को लोगों तक पहुंचाने के लिए नापतोल कॉलम है, इस बार कुछ यूं रही बाजार में हलचल...।

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संशय में प्रभारी बन गए भइया

कभी-कभी कहा कुछ जाता है और लोग अर्थ कुछ अलग ही निकाल लेते हैं। बात जब साफ होती है तो स्थिति अजीब हो जाती है। व्यापारियों के एक संगठन की बैठक में एक व्यापारी ने पीड़ा बताई कि कभी किसी साथी पर कोई संकट आए तो मदद के लिए कोई टास्कफोर्स होनी चाहिए। सब ना आ सकें तो कम से कम इतने सदस्य तो साथ ही आ जाएं कि मनोबल मजबूत हो। बैठक में मौजूद बड़े नेताजी ने भी टास्कफोर्स को सक्रिय करने की बात कही। मंच पर बैठे एक व्यापारी नेता को ना जाने क्या समझ में आया कि उन्होंने सबके बीच मैसेज देना शुरू कर दिया कि उन्हें अब टास्कफोर्स प्रभारी बना दिया गया है। व्यापारियों ने जिलाध्यक्ष से पूछा तो पता चला कि टास्कफोर्स प्रभारी तो पहले से ही हैं, अपना प्रचार कर रहे नेताजी को कुछ कंफ्यूजन हो गया है। इसके बाद से नेताजी शांत हैं।

इधर हुए दावे, उधर खुल गई पोल

दावे करते ही पोल खुल जाए तो इससे ज्यादा फजीहत भला क्या हो सकती है। कुछ ऐसा ही एक व्यापार मंडल की बैठक में हुआ। प्रदेश अध्यक्ष बैठक में आने वाले थे। उनके आने में कुछ समय बाकी था, इसलिए बैठक का संचालन हाथ में लेते हुए महामंत्री ने भाषण शुरू कर दिया। उन्होंने और जिले के पदाधिकारियों ने अपने संगठन को शहर का सबसे सक्रिय संगठन बताया। सबसे अच्छी सदस्यता के भी दावे किए गए। इसी बीच बैठक में कुछ सदस्यों से सुझाव लेने की बात आई तो पहले ही सदस्य ने उनके दावों की बखिया उधेड़ दीं। उन्होंने साफ कह दिया कि सदस्यता करने की बात कही गई थी लेकिन कहीं कोई सदस्यता नहीं हुई। इसे शुरू किया जाए। किसी तरह उन्हें शांत कर दूसरे को बुलाया गया तो उन्होंने डायरेक्ट्री न बनने की बात कह दी। इसके बाद सुझाव मांगने की बात वहीं खत्म हो गई।

रास न आई कार्यकारिणी

कहने को ये टैक्स सलाहकारों की बड़ी संस्था है। संगठन के कद का अंदाजा इससे लग सकता है कि बड़े वित्तीय विभाग ने उसे अपने यहां कार्यालय की जगह भी दे रखी है। इस संस्था का चुनाव काफी महत्वपूर्ण होता है। खूब गुटबाजी भी होती है। पैनल तक बनाए जाते हैं लेकिन इस बार का चुनाव किसी को रास नहीं आया। यह स्थिति तब थी जब 80 सदस्यों ने पत्र लिखकर चुनाव की मांग की थी। कमेटी में पदाधिकारियों के अलावा 11 कार्यकारिणी सदस्यों का भी चुनाव होता है लेकिन कार्यकारिणी सदस्य पद को लेकर जबरदस्त उदासीनता रही। 11 सदस्यों के लिए मात्र एक प्रत्याशी मैदान में उतरे। नामांकन भी हो गया और चुनाव भी लेकिन कार्यकारिणी में मात्र एक ही सदस्य रहा। करीब एक हजार सदस्यों वाली इस संस्था में अब टैक्स सलाहकारों का कहना है कि इस चुनाव से अच्छा है कि अगले चुनाव की तैयारी की जाए।

अग्निपरीक्षा में फेल तो भंग कर दी कमेटी

कुलीबाजार में पिछले कुछ समय में काफी ज्यादा राजनीतिक और व्यापारिक गतिविधियां होती रहीं। काफी बड़े क्षेत्र में व्यापार भी काफी दिन ठप रहा। व्यापार जल्द से जल्द दोबारा शुरू हो जाए, इसको लेकर जिनकी दुकानें बंद थीं, वे लगातार मांग कर रहे थे लेकिन उन्हें किसी भी स्तर से राहत नहीं मिली। व्यापारी अपने संगठन से नाराज भी थे। संगठन जो करीब एक दशक पुराना था और उसके कोई चुनाव नहीं हुए।

इधर ताजा घटनाक्रम के बाद व्यापार मंडल के संरक्षक ने अध्यक्ष और महामंत्री को पत्र लिखकर कमेटी को भंग कर दिया। पत्र में उन्होंने संगठन की प्रतिष्ठा लगातार धूमिल होने का जिक्र भी किया। व्यापार मंडल पदाधिकारियों का भी कहना है कि जो स्थितियां बन रही थीं, उसमें तो ये होना ही था। व्यापारियों को जब व्यापार मंडल की सक्रियता की सबसे ज्यादा जरूरत थी, वह पूरी तरह निष्क्रिय था। अब नया संगठन बने वही अच्छा है।


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