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कानपुर शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़ा: 84 फाइलों का परीक्षण कर चुकी है एसआइटी, जानिए कहां तक पहुंची जांच

डीएम रहते आलोक तिवारी ने असलहा लाइसेंस की फाइलों का परीक्षण कराया था। परीक्षण में पाया गया था कि 3112 फाइलें ऐसी थीं जिन पर अनुमोदित या स्वीकृत तो लिखा था और हस्ताक्षर भी बने थे लेकिन ये हस्ताक्षर डीएम के हैं या एडीएम के यह स्पष्ट नहीं है।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Wed, 22 Dec 2021 08:31 AM (IST)Updated: Wed, 22 Dec 2021 08:31 AM (IST)
कानपुर शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़ा: 84 फाइलों का परीक्षण कर चुकी है एसआइटी, जानिए कहां तक पहुंची जांच
एसआइटी टीम फाइलों को परीक्षण कर रही है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। असलहा लाइसेंस बनाने में हुए फर्जीवाड़े की जांच को पूरा होने में अभी तीन से चार माह लगेंगे। जांच को तेजी से पूरा करने के लिए ही एसआइटी के एसपी देव रंजन वर्मा ने गृह विभाग को पत्र लिखकर जांच में सहयोग के लिए शासन की ओर से एक अफसर नियुक्त करने का आग्रह किया था। उनके आग्रह पर ही अब गृह विभाग में तैनात संयुक्त सचिव महेंद्र प्रसाद भारती को नामित किया गया है। वे असलहा स्वीकृत करने, नवीनीकरण आदि से जुड़े शासनादेशों का परीक्षण करेंगे और यह देखेंगे कि उनका पालन हुआ है या नहीं।

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डीएम रहते आलोक तिवारी ने असलहा लाइसेंस की फाइलों का परीक्षण कराया था। परीक्षण में पाया गया था कि 3112 फाइलें ऐसी थीं जिन पर अनुमोदित या स्वीकृत तो लिखा था और हस्ताक्षर भी बने थे, लेकिन ये हस्ताक्षर डीएम के हैं या एडीएम के यह स्पष्ट नहीं है। 2066 फाइलें ऐसी थीं जिन पर हस्ताक्षर डीएम के हैं लेकिन उन पर अनुमोदित या स्वीकृत नहीं लिखा है। 205 फाइलें ऐसी हैं जिन पर किसी एडीएम के हस्ताक्षर हैं और 25 फाइलें दो-दो पन्ने की हैं। ऐसे में डीएम ने एसआइटी जांच की संस्तुति की थी। एसआइटी ने जांच शुरू की और 189 फाइलों को कब्जे में लिया। एसआइटी अब तक सिर्फ 84 फाइलों का ही परीक्षण कर सकी है।

शेष का परीक्षण होना बाकी है। एसआइटी ने डीएम से 13 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी जो भेज दी गई हैं। एसआइटी ने पूछा था कि डीएम से नीचे के अफसरों ने किस शासनादेश के तहत लाइसेंस स्वीकृत किया। लाइसेंस स्वीकृत करने की प्रक्रिया की जानकारी भी मांगी थी। समय-समय पर जारी शासनादेश भी एसआइटी को दिए गए हैं। गृह विभाग के संयुक्त सचिव अब एसआइटी को जांच में सहयोग करेंगे। प्रशासन भी चाहता है कि जल्दी से जांच पूरी हो ताकि असलहों के नवीनीकरण और विरासत में लाइसेंस स्वीकृत करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है।


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