दिल्ली की तर्ज पर जहरीली हो रही कानपुर की आबोहवा
जागरण संवाददाता, कानपुर : भले ही दिल्ली व एनसीआर में ट्रकों का धुआं, धूल व पराली प्रदूषण के क
जागरण संवाददाता, कानपुर : भले ही दिल्ली व एनसीआर में ट्रकों का धुआं, धूल व पराली प्रदूषण के कारक हों, लेकिन शहर भी इस मामले में पीछे नहीं। यह अलग बात है कि यहां पराली का प्रभाव उतना नहीं, पर इसकी कमी सड़कों पर उड़ती धूल व काला धुआं उगलते ट्रक पूरी कर रहे हैं। देश में सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शीर्ष पर रहे कानपुर की आबोहवा भी दिल्ली की तर्ज पर अब जहरीली हो चुकी है। आइआइटी कानपुर की रिपोर्ट फिलहाल तो यही इशारा कर रही है।
आइआइटी कानपुर ने वर्ष 2015 में दिल्ली के प्रदूषण पर एक रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट के आंकड़े इसलिए चौकाते हैं क्योंकि दिल्ली व कानपुर की आबोहवा करीब-करीब एक समान है। यही नहीं प्रदूषण बढ़ने की वजह भी मिलती-जुलती ही हैं। इनमें मुख्य रूप से ट्रकों का धुआं और सड़क पर उड़ने वाली धूल शामिल है। रिपोर्ट में पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा मानक से कई गुना अधिक मिली। शहर से रोजाना ढाई लाख ट्रक गुजरते हैं। डीजल वाले टेंपो और ट्रैक्टर अलग से प्रदूषण फैला रहे हैं। वायु प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कवायद की जरूरत है, लेकिन इस दिशा में कोई काम नहीं हो रहा।
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प्रदूषण की मात्रा मानक से अधिक
स्थान पीएम 10 की मात्रा
किदवई नगर 248.12
जरीब चौकी 223.21
पनकी 245.02
शास्त्री नगर 190.28
आवास विकास 205.56
(सितंबर 2018 के आंकड़े)
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मानकों के मुताबिक पीएम 10
क्षेत्र मात्रा
शहरी 100 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूबिक
वाणिज्यिक 100 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूबिक
औद्योगिक 100 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूबिक
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बढ़ते प्रदूषण के ये भी कारण
कूड़ा व कोयला जलना, इमारतों का निर्माण, औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाली हानिकारक गैसों का वातावरण में मौजूद रहना, हवा का न चलना, तापमान का गिरना आदि।
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आइआइटी कानपुर की रिपोर्ट
सर्दी में पीएम 10 की मात्रा: 600 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूबिक
सर्दी में पीएम 2.5 की मात्रा : 375 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूबिक
गर्मी में पीएम 10 की मात्रा: 500 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूबिक
गर्मी में पीएम 2.5 की मात्रा: 300 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूबिक
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इन दिनों लगातार वायु प्रदूषण इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि हवाएं शांत हैं। साथ ही तापमान भी गिर रहा है। हवाएं तेज गति से चल जाएं तो प्रदूषण की मात्रा कम हो सकती है।
- कुलदीप मिश्रा, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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वायु प्रदूषण रोकने के उपाय
- टूटी व उखड़ी सड़कों की मरम्मत कराई जाए।
- सड़कों किनारे लगे पेड़-पौधों पर सुबह व शाम पानी का छिड़काव कराया जाए।
- यातायात व्यवस्था बेहतर की जाए, जाम न लगे इसका ध्यान रखा जाए।
- खुले स्थानों पर निर्माण सामग्री का फैलाव न हो।
- कूड़ा व अन्य कबाड़ को कतई न जलाया जाए।
- औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों की जांच हो, जिनसे अधिक धुआं निकलता है।