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Jajmau Teela Kanpur: राजा यायाति के किले पर होते रहे कब्जे, जिम्मेदार भरते रहे कागज का पेट

कानपुर के जाजमऊ में टीले में तब्दील 16 बीघे क्षेत्रफल वाले किले परिसर में कब्जा करके तीन सौ ज्यादा परिवार अवैध रूप से निवास कर रहे हैं। प्रशासन या पुलिस के गंभीरता नहीं दिखाने से सनातन संस्कृति का बड़ा केंद्र नष्ट होने के कगार पर है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 08:52 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 08:52 AM (IST)
Jajmau Teela Kanpur: राजा यायाति के किले पर होते रहे कब्जे, जिम्मेदार भरते रहे कागज का पेट
जाजमऊ में टीले में तब्दील राजा यायाति का किला।

कानपुर, जेएनएन। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित राजा ययाति के किले पर अवैध कब्जों को लेकर वर्ष 2017 से 2019 तक तमाम जांचें हुईं। पुरातत्व विभाग, पुलिस, जिला प्रशासन और राजस्व की जांचों में यही पाया गया कि भूमाफिया पप्पू स्मार्ट ने कब्जा किया हुआ है। सभी विभागों ने अपनी कागजी कार्यवाही पूरी कर ली है। नष्ट होने की कगार पर पहुंच चुके सनातन संस्कृति से जुड़े इस बड़े केंद्र को बचाने के दावे हुए, लेकिन हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर अवैध कब्जों को हटाने का निर्णय टाल दिया गया।

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राजा ययाति का यह किला पुरातत्व विभाग के लखनऊ कार्यालय के अंतर्गत आता है। सबसे पहले इस किले पर अवैध कब्जेदारी का मामला जुलाई 2017 में तब उठा, जब अधिवक्ता संदीप शुक्ला ने पप्पू स्मार्ट सहित तमाम लोगों पर थाना चकेरी में मुकदमा दर्ज कराया। इस मुकदमे के दर्ज होने के बाद पुलिस की जांच के साथ ही प्रशासन, राजस्व विभाग और एएसआइ ने अपने-अपने स्तर से जांचें कराई। सभी ने माना कि भूमाफिया पप्पू स्मार्ट ने अपने भाइयों व साथियों के साथ मिलकर कब्जा कर लिया है। तत्कालीन जिला प्रशासन की ओर से दावा किया गया कि कब्जे हटेंगे, पर चार साल बाद हालात पहले से खराब हुए हैं और अवैध निर्माणों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। एक अनुमान के मुताबिक 16 बीघा संरक्षित किले के 300 से ज्यादा परिवार अनाधिकृत रूप से यहां रहे हैं।

सीमांकन को बैरंग लौटा दी थी एएसआइ की टीम

भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार संरक्षित किले से अवैध कब्जे हटाने को उन्होंने लगभग एक दर्जन भर पत्र जिला प्रशासन और पुलिस को दिए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। आखिरी बार पत्र 21 फरवरी 2021 को लिखा गया था। स्थानीय प्रशासन किस तरह से एक विशेष समुदाय से जुड़े भूमाफिया के हाथों खेल रहा है, इसका उदाहरण पिछले दिनों तब मिला था, जब नवंबर 2020 में एएसआइ की एक टीम किले के सीमांकन को कानपुर आई, लेकिन न तो राजस्व विभाग का कोई अधिकारी आया और न पुलिस ने ही कोई सुरक्षा मुहैया कराई। ऐसे में एएसआइ के अफसरों की टीमें बैरंग लौट गई।

राज्यसभा में उठाएंगे मामला

सपा के राज्यसभा सदस्य चौधरी सुखराम सिंह ने दैनिक जागरण की खबर का संज्ञान लेते हुए मामले को राज्यसभा में उठाने का फैसला लिया है। दैनिक जागरण से फोन पर उन्होंने बताया कि यह बड़ा मामला है। एक पुरानी संस्कृति से जुड़ा संरक्षित स्मारक सरकारी उदासीनता के चलते नष्ट होने के कगार पर पहुंच चुका है। ऐसे में यह यह मामला राज्यसभा में उठाएंगे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर भी यहां के हालात से अवगत कराएंगे।


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