कन्नौज के इस विकास केंद्र से जुड़े देश भर के 23 हजार किसान साथ ही विदेश के हजारों छात्र भी ले रहे प्रशिक्षण
एफएफडीसी का उद्देश्य एग्रो टेक्नॉलाजी तथा रासायनिक प्रोद्यौगिकी दोनों के क्षेत्र में सुगंध और स्वाद उद्योग के बीच इंटरफेस के रूप में सेवा प्रदान करना है। केंद्र का मुख्य उद्देश्य सुगंधित खेती और इसके प्रसंस्करण में लगे किसानों और उद्योग की स्थिति की सेवा रखरखाव और उन्नयन करना है
कन्नौज (प्रशांत कुमार)। इत्र और इतिहास की नगरी कन्नौज में स्थापित सुरस एवं सुगंध विकास केंद्र (एफएफडीसी) इत्र कारोबार में जहां सुंगध भर रहा है तो देश-विदेश के हजारों छात्र और किसान खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण प्राप्त कर लाभांवित हो रहे हैं। यह केंद्र एग्रो टेक्नोलॉजी तथा रासायनिक प्रोद्यौगिक के मध्य समन्वय स्थापित कर उत्पादों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। एफएफडीसी की स्थापना साल 1991 में सूक्ष्म, लघु, मध्यम एवं उद्यम मंत्रालय द्वारा की गई थी। कन्नौज की तत्कालीन सांसद शीला दीक्षित के प्रयास से जिले को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई थी। एफएफडीसी का उद्देश्य एग्रो टेक्नॉलाजी तथा रासायनिक प्रोद्यौगिकी दोनों के क्षेत्र में आवश्यक तेल, सुगंध और स्वाद उद्योग के बीच इंटरफेस के रूप में सेवा प्रदान करना है। केंद्र का मुख्य उद्देश्य सुगंधित खेती और इसके प्रसंस्करण में लगे किसानों और उद्योग की स्थिति की सेवा, रखरखाव और उन्नयन करना है, ताकि उन्हेंं स्थानीय और वैश्विक बाजार दोनों में प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।
एफएफडीसी के घटक
- एग्रो एवं बायोटेक डिवीजन
- प्रोसेट टेक डिवीजन
- क्वालिटी असिसमेंट एंड डिवीजन
- खुशबू और स्वाद डिवीजन
- प्रशिक्षण डिवीजन
- उत्पाद एवं शोध डिवीजन
एफएफडीसी की गतिविधियां
- आवश्यक तेलों, सुगंधों और स्वादों के उद्यमियों और प्रशिक्षुओं के लिए सूचना का प्रसार
- प्रशिक्षण कार्यक्रम का संगठन और विस्तार कर नई तकनीक को विकसित करना
- प्रशिक्षण और विकास कार्य के लिए परिणामी उत्पादों की बिक्री एवं प्रदर्शन
- साल में कई बार सेमिनार, कार्यशाला एवं प्रदर्शनी का आयोजन करना
किसानों और छात्रों को दिया जा प्रशिक्षण : एफएफडीसी में देश-विदेश के हजारों किसान और छात्र प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। इससे अब तक 23 हजार किसान जुड़ चुके हैं। एफएफडीसी न केवल सैद्धांतिक पहलुओं पर बल्कि अधिकांश आधुनिक प्रयोगशालाओं और पायलट प्लांट पर वाणियिक प्रक्रियाओं पर भी सुनियोजित और पेशेवर रूप से प्रतिबंधित प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के माध्यम से व्यापक प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करता है। एफएफडीसी ने नई तकनीकों को पेश करने तथा अवशोषित करने की कला सिद्ध की है।
प्रशिक्षण के लिए उपलब्ध मानव संसाधन : एफएफडीसी के पास प्रशिक्षण के लिए योग्य वैज्ञानिक व प्रशिक्षक हैं। इसके अलावा एफएफडीसी में उपलब्ध संकाय, क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला-जम्मू, सीएफटीआरआइ-मैसूर, बीएचयू-वाराणसी, एचबीटीआई-कानपुर, सीएसजेएमयू-कानपुर, एनबीपीजीआर-दिल्ली, सीएसआइआर-पालमपुर से फैकल्टी को लिया गया है। आवश्यकता पडऩे पर प्रशिक्षण में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों की सेवाएं भी ली जातीं हैं। विशेष रूप से परियोजना प्रशिक्षण एवं प्रोद्यौगिकी उन्नयन पर आधारित है।
कोरोना काल में बनाया सैनिटाइजर : एफएफडीसी के प्रधान निदेशक डॉ. शक्ति विनय शुक्ला ने बताया कि कोरोना संकट काल में उन्होंने सैनिटाइजर बनाया, जो सबसे कारगर साबित हुआ। यह सैनिटाइजर सभी सरकारी विभागों को उपलब्ध कराया गया। विशेष बात यह है कि एफएफडीसी का सैनिटाइजर बाजार से भी कम मूल्य पर उपलब्ध कराया गया।