Kamal Rani Death News: कमलरानी ने देखा था दिव्यांगों के लिए एक ख्वाब, अब पूरा होने की ओर
आंबेडकर इंस्टीट्यूट में रिसर्च सेंटर बनाने का प्रस्ताव तैयार हो चुका है और सेंटर के लिए कॉलेज प्रशासन ने भवन का स्थान आवंटित कर दिया है।
कानपुर, जेएनएन। डॉ. आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड (एआइटीएच) ने उस रिसर्च सेंटर का प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसका सपना प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण ने देखा था। इसमें दिव्यांग छात्र-छात्राओं के लिए ऐसे उपकरण विकसित किए जाएंगे, जो उन्हें जमाने की दौड़ में आगे ले जाने को सेतु का काम करेंगे। यह केंद्र दिव्यांगों के लिए ऑटोमेटिक उपकरण डिजाइन और विकसित करने का केंद्र होगा।
एआइटीएच के पुस्तकालय, शैक्षणिक परिसर, महिला छात्रावास व लिफ्ट का लोकार्पण करने के दौरान उन्होंने छात्र-छात्राओं को शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के निर्देश दिए थे। उसे पूरा करने के लिए निदेशक प्रो. रचना अस्थाना के निर्देशन में गठित की गई रिसर्च सेंटर की कमेटी में कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियङ्क्षरग, आइटी, केमिकल व बायो टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, आर्किटेक्चर व मॉडर्न ऑफिस डिप्लोमा कोर्स के विभागाध्यक्ष को शामिल किया गया हैं। प्रस्ताव को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में रखा जाएगा। कुछ दिन पहले ही सेंटर के लिए कॉलेज प्रशासन की ओर से भवन का स्थान भी आवंटित हो चुका है।
प्रावधिक शिक्षा मंत्री की घोषणा पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक ने स्मार्ट टेक्निकल सेंटर बनाने के लिए आर्थिक मदद का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा था कि सेंटर बनाना शुरू कीजिए एकेटीयू हर तरह की सहायता करेगा। इस केंद्र में छात्र छात्राएं आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ ङ्क्षथग्स, मशीन लर्निंग के उपयोग से नवाचार कर सकेंगे। यूपीटीटीआइ के निदेशक प्रो. मुकेश ङ्क्षसह ने बताया कि अ'छे प्लेसमेंट पर मंत्री का बहुत जोर था। उनका कहना था कि छात्रों को अ'छे पैकेज की नौकरी दिलाने के लिए गुणवत्तापरक शिक्षा जरूरी है।
कोरोना काल में छात्रों को मिल रहा ई-कंसोडियम का लाभ
प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण ने प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र छात्राओं के लिए ई-कंसोडियम की शुरूआत की थी। यह एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसमें छात्र-छात्राएं डिजिटल तरीके से पढ़ाई कर सकते हैं। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर छात्र-छात्राएं महज एक रुपये प्रतिदिन खर्च कर पांच हजार इंटरनेशनल जर्नल का अध्ययन कर सकते हैं। इसके साथ उन्होंने आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस व इमर्जिंग टेक्नोलॉजी पर दो मूक कोर्स भी शुरू कराए थे, जो ऑनलाइन क्रेडिट कोर्स के रूप में चल रहे हैं। पॉलीटेक्निक का डिजिटल मूल्यांकन भी उन्हीं के समय में हुआ था। इसके साथ एकेटीयू और आइईटी में सौर ऊर्जा के बड़े प्लांट का लोकार्पण भी उन्होंने किया था।