कमलरानी ने घाटमपुर में खिलाया था कमल, ढहाया था कांग्रेसी और समाजवादी किला
Kamal Rani Death News बुंदेलखंड सीमा से जुड़ी इटावा से प्रयागराज तक यमुना पट्टी में तगड़ी पैठ बनाकर 1996 में पार्टी को फतह दिलाई थी।
कानपुर, जेएनएन। कमलरानी ने भाजपा के लिए दुरुह बन चुके घाटमपुर का किला फतह किया था। बुंदेलखंड सीमा से जुड़ी यमुना किनारे की इटावा से लेकर प्रयागराज के बीच की बेल्ट भाजपा के लिए मुश्किल भरी थी। इसे रामलहर में भी पूरी तरह फतह नहीं किया जा सका था। 1996 व 1998 में इसी बेल्ट की घाटमपुर (सुरक्षित) सीट से कमलरानी कालोकसभा पहुंचना उस दौर में अचंभे से कम नहीं था। यही हाल घाटमपुर विधानसभा का भी था। भाजपा यहां कभी सीधे मुकाबले में भी नहीं पहुंच सकी थी, लेकिन 2017 में चुनावी समर में उतरीं कमल रानी 51 फीसद मत हासिल कर विधानसभा पहुंची थीं।
इटावा से प्रयागराज तक यमुना पट्टी वाली बेल्ट कांग्रेसी और समाजवादी गढ़ मानी जाती थी। भाजपा 1991 में रामलहर से पहले घाटमपुर में प्रत्याशी उतारने तक की हिम्मत तक नहीं जुटा पाती थी। 1991 में पहली बार उम्मीदवार मैदान में लाई, लेकिन जनता दल के केशरी लाल जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। भाजपा सीधे मुकाबले से बाहर रही थी।
वर्ष 1996 में भाजपा ने कमल रानी वरुण को उतारा तो वह लोकसभा सीट अंतर्गत डेरापुर, राजपुर, भोगनीपुर (कानपुर देहात), घाटमपुर (कानपुर नगर) व जहानाबाद (फतेहपुर) पांचों विधानसभा क्षेत्रों से सीधी जीत हासिल कर लोकसभा पहुंचीं। गांव-गांव घरों के अंदर तक पारिवारिक रिश्ता बनाने वाली कमल रानी 1998 में भी जीती थीं। भाजपा की अंतर्कलह ने उन्हें 1999 में हरा दिया था। 2009 में वह इटावा से लडऩा चाहती थीं, लेकिन टिकट नही मिला था। 2017 में वह फिर विधानसभा चुनाव में घाटमपुर लौटीं। इसमें उनको 92,776, बसपा की सरोज कुरील को 47,598 व सपा गठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी नंदराम सोनकर को 40,465 मत मिले थे।