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पर्यटन केंद्र बनेगा मियावाकी पद्धति से तैयार जंगल, एक साल में हो जाएंगे 15 फीट ऊंचे पौधे Unnao News

उन्नाव के चमरौली में तैयार होगा प्रदेश का पहला गुरुनानक पवित्र जंगल आरक्षित की गई दो हजार वर्ग फीट जमीन।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 02:57 PM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2019 10:17 AM (IST)
पर्यटन केंद्र बनेगा मियावाकी पद्धति से तैयार जंगल, एक साल में हो जाएंगे 15 फीट ऊंचे पौधे Unnao News
पर्यटन केंद्र बनेगा मियावाकी पद्धति से तैयार जंगल, एक साल में हो जाएंगे 15 फीट ऊंचे पौधे Unnao News

उन्नाव, [अनिल अवस्थी]। गुरुनानक देव के प्रकाशोत्सव के 550 वर्ष पूरे होने पर गुरुद्वारा श्री गुरुसिंह सभा ने उत्सव को यादगार बनाने के लिए पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया है। मियावाकी पद्धति से चमरौली क्षेत्र में प्रदेश का पहला गुरुनानक पवित्र जंगल तीर्थाटन के रूप में विकसित किया जाएगा।

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श्री गुरुसिंह सभा के प्रधान गुरुवीर सिंह ने बताया कि सभा के सदस्य और इको सिख संस्था के यूपी कोआर्डिनेटर सरदार अजीत पाल सिंह ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। अजीत पाल सिंह ने बताया कि इको सिख संस्था के संस्थापक डॉ. राजवंत सिंह के साथ मिलकर प्रदेश का पहला गुरुनानक पवित्र जंगल विकसित करने के लिए दो हजार वर्ग फीट जमीन आरक्षित कर ली गई है। मियावाकी पद्धति से पवित्र जंगल तैयार किया जाएगा। पहले चरण में सितंबर तक 550 पौधे रोपित किए जाएंगे। मिट्टी की जांच के साथ बाउंड्री का निर्माण कराया जा चुका है। पंजाब में 20 जंगल उगाने वाले रवनीत सिंह और दिल्ली में 2500 पौधों के साथ मियावाकी जंगल तैयार कर रहे संस्था के गगनदीप सिंह गिन्नी और महाराष्ट्र सरकार द्वारा पुरस्कृत चरनप्रीत सिंह व पवनीत सिंह इसमें सहयोग करेंगे।

क्या है मियावाकी पद्धति

मियावाकी पद्धति तेजी से जंगल उगाने की तकनीक है। यह पद्धति जापान के डॉ. अकीरा मियावाकी ने 40 साल पहले विकसित की थी। इस पद्धति से 10 हजार वर्ग फीट जगह में 3500 पौधे उगाए जाते हैं। कम स्थान और बंजर जमीन में भी झाड़ीनुमा, मध्यम आकार के पेड़ और छांव देने वाले बड़े पेड़ लगाकर जंगल उगाया जा सकता है। अर्बन फॉरेस्ट कैटेगरी की इस तकनीक से बगीचे या आसपास की खुली जगह में भी मिनी मियावाकी जंगल उगा सकते हैं। इस तकनीक से लगाए गए पौधे एक वर्ष में 10-15 फीट ऊंचे हो जाते हैं।

ऐसे लगाए जाते हैं पौधे

जमीन को तीन फीट गहरा खोदा जाता है। मिट्टी की जांच के बाद उर्वरता बढ़ाने के लिए चावल का भूसा, गोबर, जैविक खाद या नारियल के छिलके डालकर ऊपर से मिट्टी डाली जाती है। पौधों को आधे-आधे फीट की दूरी पर लगाया जाता है। दो फीट चौड़ी और 30 फीट लंबी पट्टी में 100 से अधिक पौधे रोपे जा सकते हैं। बांस, शीशम, पीपल, बरगद जैसे छायादार पौधों को प्राथमिकता दी जाती है। बगीचे या घर के पिछले हिस्से में झाड़ीनुमा पौधे लगाए जाते हैं। एक एकड़ में 10 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। 


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