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देश-दुनिया के नामी औद्योगिक समूहों में है शुमार, बुनियादी विकास में कंधे से कंधा मिला सरकार का दिया साथ

देश की आजादी के बाद बुनियादी ढांचा विकसित करने व सुविधाएं-संसाधन जुटाने में जेके घराना भी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए अग्रणी पंक्ति में खड़ा हुआ। कानपुर समेत शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूत बुनियाद रखी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 11:54 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 11:54 AM (IST)
देश-दुनिया के नामी औद्योगिक समूहों में है शुमार, बुनियादी विकास में कंधे से कंधा मिला सरकार का दिया साथ
कानपुर को जेके घराने ने दिया बुनायादी ढांचा।

कानपुर, जागरण संवाददाता। देश-दुनिया के औद्योगिक समूहों में शहर के जेके घराने का भी नाम शुमार हैं। आजादी के बाद से प्रदेश और देश के विकास में अहम योगदान देने के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों में भी जेके समूह ने अहम भूमिका निभाई। आजादी के बाद आमजन के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए सुविधाएं और संसाधन जुटाने में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए अग्रणी पंक्ति में खड़ा रहा। औद्योगिक इकाइयां स्थापित कर रोजगार सृजन का कार्य किया। वहीं, जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार किया। उसी के बल पर शहर ही नहीं, आसपास के 15-20 जिलों की पांच करोड़ की आबादी की चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।

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आजादी के बाद कानपुर नगर की पहचान प्रमुख औद्योगिक शहर के रूप में हुई। दूसरे जिलों ही नहीं पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में लोग यहां काम के सिलसिले में आकर रहते थे। उस समय स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए महज दो अस्पताल उर्सला और डफरिन थे, जो अंग्रेजों ने स्थापित किए थे। उस समय तक यहां ओपीडी की सेवाएं ही उपलब्ध थीं। उर्सला में पुरुषों और डफरिन में महिलाओं के इलाज की सुविधा थी। उस समय इलाज की बेहतर सुविधाएं न होने से दिल्ली और मुंबई भागना पड़ता था। संपन्न लोग तो इलाज कराने में सक्षम थे, जबकि जरूरतमंद इलाज के अभाव में दम तोड़ देते थे।

आजादी के बाद सरकार के पास भी सुविधाएं और संसाधन जुटाने के लिए बजट की कमी थी। ऐसे में सरकार की परेशानी को समझते हुए आमजन की चिकित्सकीय जरूरतें पूरी करने के लिए जेके समूह (जेके आर्गेनाइजेशन) ने आगे आकर मदद की पेशकश की। समूह के चेयरमैन पदमपत सिंहानिया ने जेके चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना करके सरकार के साथ मिलकर बुनियादी ढांचा तैयार करने में जुट गए। उस समय कैंसर ऐसी बीमारी थी, जिसमें पीडि़त परिवार बर्बाद हो जाता था। ऐसे में उन्होंने सबसे पहले कैंसर संस्थान बनाने का बीड़ा उठाया। तब देश में सिर्फ दो ही कैंसर संस्थान थे। कैंसर संस्थान एवं रेडियोथेरेपी मशीनें मंगाकर सरकार को सौंपीं। इसी क्रम में बिरहाना रोड में राजा दरभंगा से भूमि खरीदने के बाद अपने पिता की स्मृति में कमलापत स्मारक अस्पताल (केपीएम हास्पिटल) का निर्माण कराया।

भवन एवं उपकरण आदि से सुसच्जित कर वर्ष 1961 में राज्य सरकार को दिया। चिकित्सा शिक्षा के उच्चीकरण के लिए कैलाशपत सिंहानिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिसिन के भवन व वार्ड का निर्माण कराया, ताकि एमडी मेडिसिन की पढ़ाई शुरू हो सके। इसके अलावा दिल के इलाज व पढ़ाई के लिए लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान की स्थापना भी की। पदमपत सिंहानिया, उनके पुत्र गौरहरि सिंहानिया और उनके बाद यदुपति सिंहानिया हमेशा आमजन के लिए सुविधाएं संसाधन जुटाने को सजग रहे। उस परंपरा को समूह की नई पीढ़ी भी बखूबी निभा रही है।

अहम तथ्य

- 24 मार्च 1956 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद ने कैंसर संस्थान की आधारशिला रखी। 14 लाख रुपये की लागत से तैयार 100 बेड के जेके इंस्टीट्यूट आफ रेडियोलाजी एंड कैंसर रिसर्च का लोकार्पण वर्ष 1963 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया। यहां की ओपीडी में 200-250 कैंसर के मरीज इलाज को आते हैं। 100 मरीजों को भर्ती करने व रेडियोथेरेपी करने की सुविधा है।

- कमलापत स्मारक अस्पताल का लोकार्पण उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्त ने 12 अगस्त 1961 में किया था। यहां की ओपीडी में 600-800 मरीज रोजाना आते हैं। 75 बेड की क्षमता के अस्पताल में हड्डी, जनरल सर्जरी व आंखों के आपरेशन होते हैं।

- जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) परिसर स्थित मेडिसिन विभाग का निर्माण कराया था। उसमें 100 बेड का पूरा ब्लाक, नेफ्रोलाजी यूनिट, फैकल्टी के बैठने के लिए अलग-अलग कक्ष, पुस्तकालय और लेक्चर का निर्माण कराया। इसका लोकार्पण वर्ष 1972 में किया गया।

- हृदय रोग संस्थान के लिए भूमि बागला ट्रस्ट ने दी और उस भूमि पर भवन निर्माण, उपकरण ओटी एवं बेड आदि का बंदोबस्त जेके ट्रस्ट ने वर्ष 1975 में शुरू कराया। लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान का लोकार्पण मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने 27 नवंबर 1976 में किया। यहां की ओपीडी में 800-1000 मरीज रोजाना आते हैं। दिल के इलाज एवं सर्जरी की सभी सुविधाएं हैं। 140 बेड के अस्पताल के बेड लगभग भरे रहते हैं।

-जेके समूह देश का ऐसा औद्योगिक घराना है, जो चिकित्सा समेत हर क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सहयोग के लिए सदैव तत्पर रहता है। पदमपत सिंहानिया की सोच का ही नतीजा है कि शहर में कैंसर से लेकर दिल के इलाज की सभी सुविधाएं मुहैया हैं। जरूरतमंद मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली व मुंबई जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। -अनिल अग्रवाल, सचिव, जेके आर्गेनाइजेशन।


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