जाजमऊ पुल : इस बदहाली का जिम्मेदार कौन ?
पुल का फुटपाथ किस कदर जर्जर है, इसका अंदाजा इसी से लग जाता है कि एक भी स्लैब ऐसा नहीं है जिसमें खतरनाक गैप न हो।जरा सा चूके तो पैरा टूटने का खतरा मोल ले लिया।
By Edited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 01:25 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 10:43 AM (IST)
जागरण संवाददाता, कानपुर: टूटी सड़क, क्षतिग्रस्त फुटपाथ, रेलिंग और हादसों को बुलावा देता हुआ घनघोर अंधेरा। हम किसी पिछड़े गांव या देहात की बात नहीं कर रहे, यह हाल है शहर को आसपास के जनपदों से जोड़ने वाले जाजमऊ पुल का। लापरवाही और अनदेखी से जर्जर स्थिति में पहुंच चुके जाजमऊ पुल की इस हालत का जिम्मेदार कौन है, क्योंकि एनएचएआइ मेंटीनेंस की किसी भी कमी को मानने को तैयार ही नहीं है।
हालात यह है कि पुल केवल वाहनों के लिए ही नहीं बल्कि फुटपाथ के सहारे पैदल चलने वालों के लिए भी खतरे से खाली नहीं है। दावों से कोसों दूर हकीकत दावा : हर साल कंपनी करती है मेंटीनेंस एनएचआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पुरुषोत्तम लाल चौधरी ने बताया कि पुल के मेंटीनेंस का ठेका हर वर्ष एक कंपनी को दिया जाता है। तीन महीने पहले ही ठेका समाप्त हुआ।
दूसरा करार होने में समय लग गया और इसी बीच भारी बारिश से पुल अधिक क्षतिग्रस्त हो गया। हालांकि वे बारिश से फुटपाथ और रेलिंग के जर्जर होने के सवाल पर जवाब नहीं दे सके। क्योंकि कंपनी के कामों की निगरानी भी एनएचएआइ के जिम्मे है।
टूटी रेलिंग, अंधेरा और क्षतिग्रस्त स्लैब से हादसों की आशंका
करीब 750 मीटर लंबे पुल का फुटपाथ किस कदर जर्जर है, इसका अंदाजा इसी से लग जाता है कि एक भी स्लैब ऐसा नहीं है जिसमें खतरनाक गैप न हो। गैप भी इतने कि जरा सा चूके तो पैरा टूटने का खतरा मोल ले लिया। पुल की रेलिंग तीन स्थानों पर पूरी तरह टूट चुकी है। जबकि शेष जर्जर हो चुकी है। एक जगह 50 मीटर तक रेलिंग का हिस्सा टूट चुका है। यहां बचाव के लिए पिलर रखकर जुगाड़ किया गया है। रात की स्थिति और भी भयावह है। पुल की प्रकाश व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है, अंधेरे में कभी भी बड़ा हादसा होने की आशंका रहती है।
हालात यह है कि पुल केवल वाहनों के लिए ही नहीं बल्कि फुटपाथ के सहारे पैदल चलने वालों के लिए भी खतरे से खाली नहीं है। दावों से कोसों दूर हकीकत दावा : हर साल कंपनी करती है मेंटीनेंस एनएचआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पुरुषोत्तम लाल चौधरी ने बताया कि पुल के मेंटीनेंस का ठेका हर वर्ष एक कंपनी को दिया जाता है। तीन महीने पहले ही ठेका समाप्त हुआ।
दूसरा करार होने में समय लग गया और इसी बीच भारी बारिश से पुल अधिक क्षतिग्रस्त हो गया। हालांकि वे बारिश से फुटपाथ और रेलिंग के जर्जर होने के सवाल पर जवाब नहीं दे सके। क्योंकि कंपनी के कामों की निगरानी भी एनएचएआइ के जिम्मे है।
टूटी रेलिंग, अंधेरा और क्षतिग्रस्त स्लैब से हादसों की आशंका
करीब 750 मीटर लंबे पुल का फुटपाथ किस कदर जर्जर है, इसका अंदाजा इसी से लग जाता है कि एक भी स्लैब ऐसा नहीं है जिसमें खतरनाक गैप न हो। गैप भी इतने कि जरा सा चूके तो पैरा टूटने का खतरा मोल ले लिया। पुल की रेलिंग तीन स्थानों पर पूरी तरह टूट चुकी है। जबकि शेष जर्जर हो चुकी है। एक जगह 50 मीटर तक रेलिंग का हिस्सा टूट चुका है। यहां बचाव के लिए पिलर रखकर जुगाड़ किया गया है। रात की स्थिति और भी भयावह है। पुल की प्रकाश व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है, अंधेरे में कभी भी बड़ा हादसा होने की आशंका रहती है।
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