भू उपयोग परिवर्तन के लिए केडीए से एनओसी लेना जरूरी, उपाध्यक्ष ने एसडीएम से जताई आपत्ति
भू उपयोग परिवर्तन पर केडीए के उपाध्यक्ष ने आपत्ति जताई है। उन्होंने एसडीएम को कहा है कि भू उपयोग परिवर्तन करने से पहले केडीए की एनओसी ले ली जाए। एनओसी उन गांवों में लेनी होगी जो 85 गांव केडीए की सीमा में निहित हो गए हैं।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कृषि योग्य भूमि की प्लाटिंग के लिए बड़े पैमाने पर लोग भू उपयोग परिवर्तन करा रहे हैं। कुछ लोग तो भूमि पर लोन लेने के लिए भी भू उपयोग परिवर्तन कराते हैं। भू उपयोग परिवर्तन कराने के लिए एसडीएम न्यायालय में आवेदन करना होता है। एसडीएम ही संबंधित पक्षों को सुनते हैं और फिर भू उपयोग परिर्तन करते हैं। इसके लिए जरूरी शुल्क भी सर्किल रेट के अनुसार जमा कराया जाता है। अब भू उपयोग परिवर्तन पर केडीए के उपाध्यक्ष ने आपत्ति जताई है। उन्होंने एसडीएम को कहा है कि भू उपयोग परिवर्तन करने से पहले केडीए की एनओसी ले ली जाए। एनओसी उन गांवों में लेनी होगी जो 85 गांव केडीए की सीमा में निहित हो गए हैं।
शहर के आसपास तेजी से सोसाइटी क्षेत्रों का विकास हो रहा है। लोग बड़े पैमाने पर किसानों से भूमि खरीद रहे हैं और प्लाटिंग कर उसे बेच रहे हैं। प्लाटिंग करने से पहले सदर तहसील , नर्वल तहसील व अन्य तहसीलों के एसडीएम के न्यायालय से धारा 80 के तहत भू उपयोग परिवर्तन करा रहे हैं। भू उपयोग परिवर्तन करने से पहले एसडीएम की ओर से किसी विभाग की एनओसी नहीं ली जाती है। तमाम लोग ऐसे भी हैं जो केडीए व अन्य विभागों से उनके भविष्य में आने वाले प्रोजेक्ट की जानकारी कर लेकर लेते हैं और फिर भूमि का भू उपयोग परिवर्तन करा लेते हैं। इससे एक फायदा यह होता है कि मुआवजा अधिक मिलता है। अब केडीए ऐसे लोगों की चाल को नाकाम करने जा रहा है। केडीए उपाध्यक्ष अरविंद सिंह ने उप जिलाधिकारियों से फोन कर कहा है कि वे भू उपयोग परिवर्तन करने से पहले केडीए की एनओसी लें। ताकि केडीए को पता तो रहे कि वह जहां कोई योजना लांच करने जा रही है वहां कोई किसान या अन्य व्यक्ति मुआवजा अधिक लेने के लिए भू उपयोग परिवर्तन तो नहीं करा रहा है।