जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच में ये बात आई सामने, उत्तर प्रदेश में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने मचाई थी तबाही
तेजी से कोरोना का संक्रमण फैलने लगा। सबसे पहले मुंबई और गुजरात से आने वालों में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। अप्रैल में उत्तर प्रदेश के कानपुर लखनऊ वाराणसी आगरा एवं गोरखपुर में तेजी से केस बढ़ते चले गए। संक्रमण की दर 40-50 फीसद तक पहुंच गई।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में उत्तर प्रदेश में भारत के ही डबल म्यूटेडेट वायरस ने तबाही मचाई। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की कोविड-19 लैब समेत प्रदेश भर से मई माह में 2000 से अधिक सैंपल दिल्ली स्थित काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (सीएसआइआर-आइजीआइबी) भेजे गए थे। इन सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग जांच में कोरोना का भारत में डबल म्यूटेटेड डेल्टा वैरिएंट (बी- 1.617.2) की पुष्टि हुई है। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के केस मार्च में केरल, महाराष्ट्र एवं गुजरात में तेजी से बढऩे शुरू हुए थे। मार्च अंत और अप्रैल की शुरूआत में वायरस ने उत्तर प्रदेश में दस्तक दे दी। तेजी से कोरोना का संक्रमण फैलने लगा। सबसे पहले मुंबई और गुजरात से आने वालों में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। अप्रैल में उत्तर प्रदेश के कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, आगरा एवं गोरखपुर में तेजी से केस बढ़ते चले गए। संक्रमण की दर 40-50 फीसद तक पहुंच गई।
चरमरा गई थी व्यवस्था, कम पड़ गए संसाधन : तेजी से केस बढऩे से प्रदेश की व्यवस्था चरमरा गई थी। अस्पतालों में उपलब्ध संसाधन कम पड़ गए थे। संक्रमितों को न अस्पताल में बेड और न ही ऑक्सीजन मिल पा रही थी। मई की शुरूआत में केस तेजी से बढ़ते चले जा रहे थे। ऐसे में मौतों की संख्या बढ़ती चली गई।
जीएसवीएम के सभी सैंपल में डेल्टा वैरिएंट : जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आरबी कमल ने बताया कि कोविड-19 लैब से डॉ. विकास मिश्रा ने 17 सैंपल एकत्र किए थे। यह सैंपल ऐसे कोरोना संक्रमितों के थे, जिन्हें लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। साथ ही उनका सीटी वैल्यू 25-30 के बीच रहा। उनके सैंपल एकत्र कराने के बाद 20 मई को नई दिल्ली स्थित सीएसआइआर-आइजीआइबी लैब भेजा गया था। उनकी जांच रिपोर्ट आ गई है। यहां के सभी सैंपल में डेल्टा वैरिएंट मिला है। इसकी जानकारी फोन के जरिए दी गई है। वहां से आफिशियल ईमेल भी जल्द भेजे जाने की बात कही गई है।
पांच फीसद में पहले वाला वायरस : प्रो. कमल के मुताबिक जीनोम सिक्वेंसिंग की रिपोर्ट में 95 फीसद में डेल्टा वायरस का संक्रमण पाया गया है। प्रदेश से भेजे गए सैंपल में से महज पांच फीसद में पहले वाला वायरस बी.1.1617.1 पाया गया है, जो घातक नहीं है।
डब्ल्यूएचओ ने किया नामकरण : पहले देश के नाम से वायरस के वैरिएंट का नाम था। कुछ देशों ने एतराज जताया था। इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरस का नाम बदल दिया। जीनोम सिक्वेंसिंग
में ब्रिटेन में मिले वायरस बी.1.17 का नाम अल्फा है। दक्षिण अफ्रीका के वायरस का नाम बी.1.351 का नाम बीटा है। ब्राजील के वायरस पी.1 का नाम गामा और भारत के वायरस बी.1.1617.2 का नाम डेल्टा है।
आए जानें डेल्टा वैरिएंट के बारे में
- कोरोना वायरस का डबल म्यूटेंट वैरिएंट है
- बहुत आक्रामक, घातक और तेजी से फैलता है।
- भारत का यह वैरिएंट विश्व के 50 से अधिक देश में मिलने की पुष्टि