जांच शुरू, अब खुलेगा शादी अनुदान में बड़ा फर्जीवाड़ा
कई मामले में लेखपाल ने अपात्रों को पात्र बनाकर फाइल क बढ़ा दी आगे।
केस एक : कल्याणपुर निवासी रेशमा का विवाह अभी तक नहीं हुआ है, लेकिन रेशमा ने शादी अनुदान के लिए आवेदन कर दिया और लेखपाल ने उसके आवेदन पत्र को पात्र मानते हुए रिपोर्ट लगा दी।
केस दो : कल्याणपुर की नेहा की शादी को दो साल हो गए हैं, लेकिन उसे भी लेखपाल ने पात्र माना। यह फाइल समाज कल्याण विभाग भेज दी गई। इस पर कानूनगो और तहसीलदार के हस्ताक्षर हैं।
केस तीन : आवास विकास की विंदेश्वरी के आवेदन को भी पात्र माना गया है, जबकि अभी तक उसकी शादी ही नहीं हुई है। लेखपाल की रिपोर्ट को अफसरों ने भी आगे बढ़ा दिया।
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जागरण संवाददाता, कानपुर : शादी अनुदान में फर्जीवाड़े से जुड़े ये आंकड़े सिर्फ नमूने हैं, जबकि ऐसे और आवेदन हैं जिनमें अपात्रों को पात्र बनाया गया है। फाइल लेखपाल के बाद कानूनगो और तहसीलदार ने सत्यापित कर एसडीएम को भेजी है और वहीं से समाज कल्याण विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को भेजी गई है। 2200 से अधिक फाइलों की जांच शुरू हुई है। जिस तरह अपात्रों की संख्या बढ़ रही है उससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि दलाल, लेखपाल और लिपिक ने मिलकर पांच सौ से अधिक अपात्रों को पात्र बनाया है। जांच सही तरीके से हुई तो फिर तमाम जिम्मेदारों की गर्दन नपेगी।
डीएम द्वारा गठित कमेटी ने पारिवारिक लाभ योजना व शादी अनुदान के आवेदन पत्रों की जांच शुरू कर दी है। जांच टीम गुरुवार से घर-घर जाएगी और सत्यापन करेगी। जांच टीम के सदस्यों को कहा गया है कि वे खुद ही लोगों के घर जाएंगे, किसी और को नहीं भेजेंगे। ऐसा इसलिए ताकि जांच पूरी तरह से पारदर्शी हो।
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निलंबित होगी महिला लिपिक
सदर तहसील में तैनात महिला लिपिक की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया है। एसडीएम ने महिला लिपिक सुषमा को निलंबित करने की संस्तुति की है। लेखपालों ने भी कहा है कि जो 85 फाइलें समाज कल्याण अधिकारी को भेजी गई थीं, जिस पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। किसी और ने हस्ताक्षर किए हैं।
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गायब हो गया कारीगर
सदर तहसील के ज्यादातर लेखपालों ने कारीगर रखे हैं। ये कारीगर शादी अनुदान, पारिवारिक लाभ योजना, विधवा, दिव्यांग व वृद्धावस्था पेंशन के आवेदकों के घर जाकर जांच करते हैं और फिर लेखपाल उनके अनुसार रिपोर्ट लगाते हैं। तहसील में कुछ लिपिकों ने रामसुख नाम के एक कारीगर को तैनात कर रखा था। इस कारीगर ने ही कुछ लेखपालों के फर्जी हस्ताक्षर से रिपोर्ट लगा दी है।