कानपुर की तकनीक से मालगाड़ी को दो इंजन से दौड़ाने का प्रयोग सफल, अब पांच इंजन के साथ दौड़ाने की तैयारी
अभी तक तार के माध्यम से इंजन जोड़कर फ्रिक्वेंसी सेट करके मालगाड़ी चलाई जाती थीं जिसमें मुश्किलें आती थीं। अब वायरलेस सिस्टम से जोड़कर लांग हॉल मालगाड़ी को पटरी पर सफलता पूर्वक दौड़ाकर परीक्षण किया गया है ।
कानपुर, आलोक शर्मा। दो इंजन के साथ वैगन जोड़कर पहले भी मालगाड़ी चलाई जाती थी लेकिन तब तकनीक इतनी सहज नहीं थी। तार से दोनों इंजन जोडऩा और समान फ्रिक्वेंसी सेट करना आसान नहीं था लेकिन अब उत्तर मध्य रेलवे कानपुर के इंजीनियरों ने इसे बेहद आसान कर दिया है। लोकल एरिया नेटवर्क (लैन) वायरलेस सिस्टम से दो इंजन जोड़कर चलाने में कामयाबी पा ली है। इस तकनीक में एक मास्टर इंजन को ही कमांड देनी पड़ी और पूरी मालगाड़ी बखूबी चलती रही।
इसी माह कानपुर से दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (मुगलसराय) के बीच ट्रैक पर मालगाड़ी दौड़ाकर सफल परीक्षण भी कर लिया गया है। अब पांच मालगाडिय़ां जोडऩे का काम चल रहा है। इससे 300 से ज्यादा माल वैगन जोड़कर गंतव्य तक पहुंचाए जा सकेंगे। इसका बड़ा फायदा ये होगा कि पांच अलग-अलग मालगाडिय़ों की मॉनिटरिंग भी नहीं करनी पड़ेगी और एक समय में माल भी पहुंच जाएगा।
यह है नई तकनीक
अभी तक एक मालगाड़ी के पीछे दूसरी मालगाड़ी लगाकर पहले इंजन को दूसरे इंजन को तार के माध्यम से जोड़ा जाता था। यह तार वैगन के नीचे कपलिंग के जरिए दूसरे इंजन तक जाता था। तार से दोनों इंजनों की फ्रिक्वेंसी सेट की जाती थी ताकि जिस गति से आगे का इंजन रफ्तार ले तो उसी गति से पीछे लगा इंजन भी चले। ब्रेक व अन्य दूसरी गतिविधियां भी समान तरीके से संचालित हों। इसमें कई बार दिक्कत ये आती थी कि तार टूट जाता था या फिर फ्रिक्वेंसी सेट नहीं हो पाती थी।
अब इलेक्ट्रिक लोको शेड फजलगंज के इंजीनियरों ने डिस्ट्रीब्यूटेड पॉवर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम (डीपीडब्लूसीएस) की तकनीक विकसित की है। इसमें 460 हटर्ज फ्रिक्वेंसी से बिना तार के ही इंजनों को जोड़ा गया। इस तकनीक में आगे के इंजन से जो कमांड दी गई, उसे पीछे लगा इंजन भी फॉलो करता रहा। रेलवे के सीनियर डीईई शिवम श्रीवास्तव बताते हैं कि इसी तकनीक से अब एक साथ पांच इंजन जोड़कर चलाने की तैयारी है।
- वायरलेस तकनीक से जोड़कर पनकी रेलवे स्टेशन से मुगलसराय के दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के बीच करीब 350 किमी तक मालगाड़ी का सफल संचालन किया गया। इसमें 116 वैगन लगे थे, अब 300 तक पहुंचाने का लक्ष्य है। -हिमांशु शेखर उपाध्याय, डिप्टी सीटीएम, कानपुर सेंट्रल