दूर हुई कमी तो हर माह एक हजार कंटेनरों से विदेश जाने लगा माल, रेल परिवहन बना पहली पसंद
कंटेनर की कमी समाप्त होने पर निर्यात को रफ्तार मिली है। रेलवे द्वारा मुंबई के जेएनपीटी के बाद गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह को कंटेनर ट्रेन चलाई जा रही है। कानपुर समेत छह जिलों के निर्यातक हर माह एक हजार कंटेनरों से विदेश माल भेज रहे हैं।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कानकोर प्रबंधन मुंबई के जेएनपीटी के बाद अब गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह के लिए कंटेनर ट्रेन भेज रहा है, इससे आवागमन में कम समय लगने से कंटेनर जल्दी खाली हो रहे हैं,जिससे पर्याप्त संख्या में डिपो में कंटेनरों की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है। बता दें कि पहले मुंद्रा बंदरगाह तक सड़क माग से कंटेनर भेजे जाते थे। इस कारण आवागमन में ज्यादा समय लगने से कंटेनरों को खाली होने में अधिक समय लगता था और निर्यातकों को कई कई दिन तक कंटेनर के खाली होने का इंतजार करना पड़ता था।
शहर के जूही यार्ड में स्थित भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड (कानकोर) में निर्यातकों ने निर्यात के लिए बुङ्क्षकग बढ़ा दी है। प्रयागराज, कानपुर, लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव, जैनपुर, रेनूकूट, वाराणसी के निर्यातकों का कानकोर पर भरोसा बढ़ा है। निर्यातक कानकोर के माध्यम से हर माह एक हजार से ज्यादा कंटेनरों में चावल, चमड़े से बना सामान, फुटवियर, एलुमिनियम, केमिकल, मशीनरी, भैंस का मांस, काठी का सामान बुक कर दूसरे देशों को निर्यात कर रहे हैं। कंटेनर निगम को निर्यातकों से प्रतिमाह साढ़े चार करोड़ की आय हो रही है।
इन देशों में निर्यात होता है माल : डिपो के अधिकारी ने बताया कि कानपुर शहर में 12 सौ के करीब निर्यातक हैं। कंटेनर ट्रेन की सर्वाधिक मांग चमड़े से बने सामान का निर्यात करने के लिए आती है। चर्म निर्यातकों का माल यूएस, रूस, यूरोप, चीन, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर और खाड़ी देशों में जाता है।
आइसीडी जूही रेलवे यार्ड के अधिकारी अनिल कुमार कनौजिया ने बताया कि मुंद्रा बंदरगाह तक माल निर्यात करने के लिए निर्यातक अब सड़क मार्ग के बजाय रेल परिवहन को प्राथमिकता दे रहे हैं।